ठेकेदार और सरकार आमने-सामने, ठेकेदार राजस्व में कमी के अलावा रेड जोन में बनी शराब ग्रीन जोन में बेचने को खतरा मान रहे हैं, सरकार हर हाल में शराब बेचने पर आमादा
इंदौर। मध्यप्रदेश में शराब ठेकेदार दूकान नहीं खोलना चाहते। दूसरी तरफ प्रदेश के गृह मंत्री कह रहे हैं कि दूकान खोलनी पड़ेगी। सरकार चाहती है, दूकान खोलो, तो आपको खोलना ही पड़ेगी। यदि शराब दूकान नहीं खोली तो सरकार लाइसेंस निरस्त कर, नए लोगों को लाइसेंस दे देगी। प्रदेश में शराब दुकानें खुलेंगी या नहीं, इसे लेकर राज्य सरकार और ठेकेदार आमने-सामने आ गए हैं।
ठेकेदारो का कहना है कि वे लॉकडाउन में दुकानें नहीं खोलना चाहते। ,जबकि सरकार ग्रीन जोन वाले 24 जिलों में राजस्व जुटाने दुकानें खोलने का आदेश दे चुकी है। सरकार ने ठेकेदारों को साफ़-साफ़ कह दिया कि दुकान खोलने का आदेश सरकार का है और ठेकेदारों की मनमानी नहीं चलेगी वे दूकान खोलें।
ठेकेदारों का राजस्व के अलावा ये भी कहना है कि शराब बेचने में कोरोना का खतरा है, शराब की फैक्ट्रियां रेड जोन में हैं, वहां से शराब लाकर ग्रीन जोन में बेचना खतरनाक है। आखिर सरकार 17 तारीख तक रुक क्यों नहीं जाती।
कमलनाथ सरकार पर प्रदेश को मद्य प्रदेश बनाने का आरोप लगाने वाली भाजपा लॉकडाउन में भी हर हाल में शराब दूकान खोलने की जिद पर है। मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दुकान न खोलने पर ठेकेदारों को ठेके रद्द करने तक की चेतावनी दी है। यदि वे जिद पर अड़े रहे तो दूसरे विकल्पों पर विचार करेंगे। संभवत: ठेके रद्द भी किए जा सकते हैं।
इधर , हाईकोर्ट ने भोपाल, इंदौर समेत कई जिलों के 30 शराब ठेकेदारों की याचिका पर सरकार से पूछा है कि जब लॉकडाउन में शराब दुकानें खोलने का समय सरकार ने कम कर दिया है तो इनके ठेकों की पूर्व निर्धारित बिड राशि क्यों नहीं घटाई। कोर्ट ने आबकारी आयुक्त व सरकार को नोटिस जारी कर 19 मई तक जवाब मांगा है। उल्लेखनीय है कि निविदा के वक्त 14 घंटे शराब दुकानें खोलने की अनुमति थी, जबकि सरकार ने अब 4-5 घंटे दुकानें खोलने का आदेश दिया है।
सरकार को मार्च-अप्रैल में 1800 करोड़ रु का नुकसान
विवाद क्यों .. सरकार दुकान खुलवाना चाहती है क्योंकि दो माह में उसे 1800 करोड़ रु. राजस्व का नुकसान हुआ, मई में एक हजार करोड़ का नुकसान होगा। ठेकेदार इसलिए परेशान हैं क्योंकि उन्हें मिनिमम गारंटी कोटा में तय शराब खरीदनी पड़ेगी, लेकिन उतने खरीदार नहीं होंगे। एक्साइज ड्यूटी तय चुकाना पड़ेगी। कोटे से स्टॉक बढ़ेगा। मिनिमम कोटा मतलब मई का टारगेट देखा जाए तो 10% के हिसाब से ठेकेदारों को ड्यूटी के एक हजार करोड़ रु. चुकाने होंगे।
ठेकेदारों का पक्ष- रेड जोन वाली शराब ग्रीन में बेचने से खतरा
-सरकार को 17 मई तक रुकने में क्या दिक्कत है।
-ठेकेदार कोटा उठा लेंगे, खरीदार नहीं आए तो स्टॉक का क्या?
-रेड जोन में शराब बनती है, ग्रीन में खतरा रहेगा।
-जितना माल हम बेचें, उनकी ही ड्यूटी ली जाए।
-2 माह नुकसान हुआ। कोटे के बंधन से मुक्त हों।
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