आधे घंटे में तीन मौत के वायरल वीडियो के बाद जागा इंदौर प्रशासन
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आधे घंटे में तीन मौत के वायरल वीडियो के बाद जागा इंदौर प्रशासन

इंदौर के गोकुलदास अस्पताल में गुरुवार रात जांच टीम पहुंची, अस्पताल पर बड़ी वसूली और  इलाज में लापरवाही का आरोप है, इसके पहले भी कई अस्पतालों की शिकायत आई, पर जिला प्रसाशन इंदौर के मेडिकल माफिया पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं कर पाया।

इंदौर। गुरुवार को इंदौर में आधे घंटे में तीन मरीजों की मौत के बाद एक वीडियो वायरल हुआ। इस वीडियो में मृतक के मरीजनों ने गोकुलदास अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही और जानबूझकर मरीजों की अनदेखी के आरोप लगाए। इस वीडियो के वायरल होने के कुछ घंटे बाद प्रशासन ने वरिष्ठ अधिकारीयों और डॉक्टर्स की टीम को मामले की जांच के लिए हॉस्पिटल भेजा। देर रात तक टीम जांच करती रही। इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने परिजनों से बात करने के भी अधिकारीयों को निर्देश दिए।

viral Video….

गोकुलदास अस्पताल की लगातार शिकायतें मिल रह हैं, इसके पहले बुधवार को भी एक मरीज की रिपोर्ट जानबूझकर छिपाने के आरोप का वीडियो वायरल हुआ था। लम्बे बिल की वसूली के लिए अस्पताल ऐसा कर रहे हैं। इस मामले और पुराने कई मामलों में प्रशासन ने कोई सुध नहीं ली। गुरुवार को मामला तेज़ी से वायरल होने और मौत के होने के बाद प्रशासन को सक्रिय होना पड़ा। इंदौर में अस्पतालों की खुली लूट लगातार जारी है। जिला प्रशासन भी केवल जाँच का आश्वासन देता रहा है, पर अभी तक किसी भी हॉस्पिटल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

गुरुवार रात गोकुलदास अस्पताल पहुँचने वालो में सीएमएचओ डॉ प्रवीण जड़िया, डॉ. सलिल भार्गव और डॉ. पी एस ठाकुर रहे। वीडियो वायरल होने के बाद इंदौर सांसद शंकर लालवानी ने भी कलेक्टर से इस मामले में फ़ौरन जांच का आग्रह किया था।

इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर यह वायरल वीडियो शेयर करते हुए कहा है कि गोकुलदास अस्पताल की यह दशा स्वास्थ्य सेवाओं पर बड़ा सवाल और शिवराज सरकार की नीयत पर गम्भीर सवाल है। सरकार को इन सभी परिजनों से सवालों का जवाब और स्पष्टीकरण देते हुए पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच करानी चाहिए।

गोकुलदास अकेला मामला नहीं

इंदौर में मेडिकल माफिया की एक पूरी टीम सक्रिय है। इसके खिलाफ कोरोना दौर में तमाम शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसका ही नतीजा है कि निजी अस्पताल मनमानी वसूली कर रहे हैं। गोकुलदास के पहले सिनर्जी हॉस्पिटल ने भी एक मरीज ललित बड़जात्या की पॉजिटिव रिपोर्ट दस दिनों तक दबाये रखी। दरअसल ये सारा खेल पैसों की वसूली का है। इसी तरह चोइथराम हॉस्पिटल पर भी सरकारी अस्पतालों से रेफेर किये गए मरीजों से पैसे की वसूली का मामला सामने आया है।

शिवराज सरकार की भी लापरवाही

चोइथराम अस्पताल सहित कई अस्पतालों के प्रबंधन का कहना है कि 40 दिन बीत गए हैं। अधिग्रहण के बावजूद सरकार ने अभी तक कोई अनुबंध अस्पतालों से नहीं किया। इसका नतीजा ये है कि अस्पताल भी फीस लेने को मजबूर हैं।

सामान्य बीमारियों में दोगुनी वसूली

कोरोना के दौर में ग्रीन हॉस्पिटल नॉन कोरोना मरीजों से भी जमकर वसूली कर रहे हैं। सामान्य तौर पर होने वाली जांच के तीन गुना तक पैसे वसूले जा रहे हैं। मरीजों के प्रतिदिन 25 से 30 हजार के बिल बन रहे हैं। ऐसी शिकायते शेल्बी और सुयश जैसे हॉस्पिटल्स की भी लगतार आ रही है।

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