जीतू पटवारी को मीडिया अध्यक्ष बनाना कांग्रेस की बड़ी भूल ?

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इंदौर। मध्यप्रदेश कांग्रेस ने आज एक नई घोषणा कर दी। प्रदेश मीडिया विभाग का अध्यक्ष पूर्व मंत्री जीतू पटवारी को बनाया गया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने इस नियुक्ति का पत्र जारी किया। प्रदेश में सत्ता गंवा चुकी कांग्रेस में ये बदलाव का पहला संकेत है। जीतू पटवारी ने बागी विधायकों की वापसी वाले मामले में हरियाणा से बेंगलुरु तक खूब चर्चा बटोरी। हालांकि वे असफल रहे। पर जो ड्रामा उन्होंने खड़ा किया वो मीडिया में खूब चर्चा में रहा।

शायद, उसी को देखते हुए उन्हें मीडिया की जिम्मेदारी मिली है। कांग्रेस ने हमेशा की तरह गलत फैसला लिया। जिसकी जो काबिलियत है उसको पिछले कुछ सालों से उसके उलट काम ही पार्टी दे रही है। इसका नतीजा भी भुगत रही है। पटवारी की नियुक्ति भी कई मायनों में कांग्रेस का ये फैसला गलत साबित हो सकता है। क्योंकि पटवारी मंत्री रहते जिस तरह से फोटो छपवाने और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बाईट देने को उतावले दिखते रहे हैं, वैसे में वे कांग्रेस को कितना जगह दिला पाएंगे? दूसरा वे बेहद बड़बोले हैं, जबकि मीडिया से बात करने वाले नेता का संयमित और कम बोलने वाले होना जरुरी है। उम्मीद कम ही है कि जीतू पटवारी संयम रख पाएंगे।

पटवारी जमीनी तौर पर मजबूत नेता है, पर लिखने-पढ़ने और पार्टी की छवि को मजबूत करने के लिए जो विवेक और चतुराई की जरुरत है, उसकी उनमे बहुत कमी है। इसके लिए उन्हें अभी लम्बा वक्त लगेगा।

इसमें कोई शक नहीं कि पटवारी बड़े जुझारू नेता है, उनमे संघर्ष की जबरजस्त काबिलियत है। प्रत्येक राजनीतिक दल को दो तरह के नेताओं की जरुरत होती है, पहली जमीनी, जुझारू और दूसरे ज्ञानी, संयमी। पटवारी पहले वाले समूह के लिए एक दम सही है। उन्हें प्रदेश में कांग्रेस को खड़ा करने, आंदोलन चलाने की जिम्मेदारी दी जा सकती है। पर दूसरे विभाग के लिए जीतू पटवारी सही चयन नहीं है।

मीडिया के लिए ऐसे चेहरे की जरुरत है, जिसे खुद के चर्चा में रहने का शौक न हो और वो ये अच्छे से समझता हो कि जो बात कही जायेगी उसका पार्टी के आने वाले वक्त पर क्या असर पड़ेगा।

पिछले एक साल के रिकॉर्ड को देखे तो पटवारी मीडिया में सर्वाधिक रहे, पर कोई अच्छे कामों के कारण नहीं। इंदौर में एक कार्यक्रम में वे जिस तरह से फिल्म अभिनेत्री ऐश्वर्या रॉय पर लट्टू हुए, और बार-बार ये बताया कि मैं ये हूं, मैं वो हूँ।

एक मंत्री के नाते उनका ये आचरण बिलकुल कमतर रहा, और नेशनल मीडिया में भी इसके खूब मजे लिए गए। इसके बाद वे अपने ही विधानसभा क्षेत्र में जाम में फंसे लोगों को निकालने के लिए ट्रैफिक पुलिस की तरह सड़क पर उतर गए। लोगों ने इस पर भी खूब सवाल उठाये। क्योंकि ये समस्या उनके अपने क्षेत्र में पिछले कई सालो से है, और इसका उपाय करने में वे खुद नाकाम रहे।

तीसरी घटना गांधी जयंती पर भोपाल में हुई। इस आयोजन में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने स्टूडेंट्स से आह्वान किया कि आने वाले वक्त में गांधी के आदर्शों को युवा पीढ़ी को ही ज़िंदा रखना है, मैं और जीतू तो उम्रदराज हो रहे हैं। इतने गंभीर मौके पर मुख्यमंत्री के भाषण के ठीक बाद पटवारी ने अपना भाषण यूं शुरू किया था – अभी तो मैं जवान हूँ।

बागी विधायकों के मामले में उनकी गंभीरता पूरा देश देख चुका है। भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद कांग्रेस को और गंभीर तरीके से मीडिया के सामने पेश आना होगा। अब जरुरी है कि खुद जीतू पटवारी भी अपने आपको बदलें, संयम के साथ उचित सलाह लेकर, कार्ययोजना बनाकर काम करे।

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