पीएम मोदी और सीएम चौहान ने दाऊदी बोहरा समाज के अशर मुबारक आयोजन में की शिरकत
इंदौर|कभी गोल मुस्लिम टोपी पहनने से इनकार कर देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को इंदौर में दाऊदी बोहरा समाज के अशर मुबारक आयोजन में न केवल शिरकत की, बल्कि सैयदना साहब के साथ हजरत इमाम हुसैन की शहादत वाली आयतें भी दोहराईं। प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहजता से पढ़ सकें, इसके लिए उन्हें आयतें लिखे हुए पेपर दिए गए। इस मौके पर मोदी बड़े सैयदना साहब के साथ अपने रिश्तों को याद कर भावुक भी हो उठे। प्रधानमंत्री लगभग एक घंटा आयोजन में रहे और उन्होंने तीस मिनट तक समुदाय को संबोधित किया। इस मौके पर दाऊदी बोहरा समाजजन कई बार पीएम की कही बातों का समर्थन करते दिखे।
मोदी ने दिवंगत बड़े सैयदना साहब को याद करते हुए कहा कि वे एक बार सूरत से अहमदाबाद आए थे और वहां से मुंबई जा रहे थे। उनके पास समय नहीं था तो मैं उनसे मिलने एयरपोर्ट पर ही चला गया। वहां पर गुजरात के जलसंकट के बारे में उनसे बात हुई और बातचीत में चेक डेम बनाने की आवश्यकता सामने आई। सैयदना साहब ने इसे एक अभियान के रूप में लिया। मेरा और उनका अपनापन का रिश्ता था और एक ही मुलाकात में परिवार का हिस्सा बन गया। आज भी मेरे दरवाजे अपने समाजजन के लिए हमेशा खुले रहते हैं। आपका और आपके परिवार का स्नेह मुझ पर अपरंपार रहा है।
सैयदना साहब ने सौंपे साढ़े सात करोड़ के चेक
कार्यक्रम से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की रुखसती के वक्त सैयदना साहब ने उन्हें अलल-अलग लिफाफे भेंट किए। समुदाय के सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी को दिए गए लिफाफे में पांच करोड़ रुपए और शिवराज सिंह चौहान को दिए गए लिफाफे में ढाई करोड़ रुपए का चेक है। ये चेक सरकारों के नाम पर नहीं है, संभवत: इन्हें पार्टी फंड में जमा किया जाएगा। सूत्र बताते हैं कि आयोजन में सहयोग देने के लिए समाज की ओर से ये भेंट दी गई है।
जुलाई, 2013
जब कुत्ते के बच्चे वाले बयान पर उठा विवाद
गुजरात में 2002 में हुए भयावह दंगों पर मोदी ने जब अपनी लंबी चुप्पी तोड़ी थी, तब कहा था कि मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया। अगर उन्होंने कुछ गलत किया होता तो उन्हें अफसोस जरूर होता। जुलाई 2013 में रॉयटर्स को दिए गए इंटरव्यू में मोदी ने गुजरात दंगों को लेकर प्रभावी तरीके से सफाई दी थी। उन्होंने कहा कि कुत्ते का बच्चा भी गाड़ी के नीचे आकर मर जाए, तो भी दुख होता है। मोदी ने साक्षात्कार में कहा कि वह एक हिंदू राष्ट्रवादी हैं और हिंदू होने में कोई गुनाह नहीं है। कुत्ते के बच्चे का रूपक मोदी ने अपमानपूर्ण रूप में इस्तेमाल किया था या सहज भाव से… इस पर कभी एक राय संभव नहीं होगी। कहना मुश्किल है कि मोदी शेर के बच्चे का रूपक लेते, तब भी यही प्रतिक्रिया होती या नहीं।
सितंबर, 2011
जब मुस्लिम टोपी पहनने से किया था इनकार
गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी ने एक मौलाना द्वारा दी गई मुस्लिम टोपी को पहनने से इनकार कर दिया था। सितंबर 2011 में अहमदाबाद जिले के पीराणा गांव में एक कार्यक्रम चल रहा था। उस दौरान सैयद इमामशाही सैयद ने मोदी का सम्मान करते हुए उन्हें मुस्लिम टोपी पहनाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने विनम्रता से टोपी पहनने से मना कर दिया था। हालांकि उन्होंने शॉल स्वीकार कर लिया। इस पर देशभर के मीडिया में तस्वीर-खबर प्रकाशित हुई थी। आज भी विपक्षी दल इस वाकये का वास्ता देकर मोदी पर मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगाते हैं।
2014 के बाद…
जब देशी-विदेशी मस्जिदों में जाना शुरू किया
अपने विदेश दौरों पर पीएम मोदी कई बार मस्जिदों में जा चुके हैं। इंडोनेशिया के जकार्ता में वह इस्तिकलाल मस्जिद में गए थे। सिंगापुर की चुलिया मस्जिद का दौरा भी उन्होंने किया था। इसी साल फरवरी में मोदी ने ओमान के मस्कट में सुल्तान कबूज ग्रांड मस्जिद को देखा था। अगस्त 2015 में मोदी यूएई के मंत्री शेख हमदान बिन मुबारक अल नहयन के साथ अबू धाबी की शेख जैयद ग्रांड मस्जिद में गए थे। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे 2017 में जब भारत दौरे पर आए थे, तो पीएम मोदी खुद उन्हें अहमदाबाद की मशहूर सीदी सैयद मस्जिद दिखाने ले गए थे। इसके अलावा मोदी रंगून में अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर द्वितीय की मजार पर गए थे और वहां इत्र भी छिड़का था।
Leave feedback about this