बच्चों की मौत पर आप क्यों नहीं पसीजते मुख्यमंत्री नीतीश जी?

Share Politics Wala News

रविशंकर उपाध्याय  ((वरिष्ठ पत्रकार, बिहार )

आखिर संवेदनशील कहे जाने वाले सीएम नीतीश कुमार बच्चों की मौत पर तुरंत क्यों नहीं संज्ञान लेते हैं? छपरा का गंडामन मिड डे मील हादसा आप सभी को याद होगा. वहां 16 जुलाई 2013 की दोपहर प्राथमिक विद्यालय धर्मासती गंडामन में एमडीएम खाने से 23 बच्चों की मौत हो गई थी. वहीं रसोइया समेत 24 बीमार बच्चों का पटना में महीनों इलाज हुआ था. मुख्यमंत्री पीएमसीएच भी नहीं गये थे और ना ही उस गांव में जाकर पीड़ितों को ढांढ़स बंधाया, जहां हादसा हुआ था. अभी जब मुजफ्फरपुर में जानलेवा बुखार से रोज बच्चे मर रहे हैं तो भी मुख्यमंत्री अब तक वहां नहीं गये हैं. पंद्रह दिनों से वहां रोज मौत हो रही है. अब तो आंकड़ा भी बढ़कर सवा सौ मौत तक पहुंच गया है. मुख्यमंत्री ने सात दिन पूर्व आइजीआइएमएस में बच्चों की मौत पर दुख जताते हुए समुचित इलाज के बारे में डॉक्टरों के निर्देश देने का बयान देकर अपने कर्तव्यों की इति श्री कर ली. इसके बाद दिल्ली चले गये, नीति आयोग की बैठक में भाग लिया, झारखंड में पार्टी कैसे सुदृढ़ होगी इसपर भी बैठक की लेकिन बच्चों की हालत को देखने, उन मजबूर माता पिता को सांत्वना देने नहीं गये. अाखिर क्यों? क्या राजधर्म इसकी इजाजत देता है कि आपके राज्य में बच्चे तिल तिल कर मरते रहें और आप उसे देखने नहीं जाएं? इतनी संवेदना तो नेताओं में होनी चाहिए, नीतीश कुमार से तो लोगों को काफी उम्मीदें रहती है. गंडामन हादसे के बाद आपने उस गांव को गोद ले लिया. वहां पर बुनियादी सहूलियतें भी मुहैया करा दी, मुजफ्फरपुर में क्या करेंगे, इसका नहीं पता. चार लाख रुपये देने की घोषणा क्या उन लोगों को संतान से बिछड़ने का दुख सहन करने में सहायता करेगी?
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय विजय आनंद तिवारी ने मशरक थाना कांड संख्या 154‍/13 में आरोपी प्रधानाध्यापिका मीना देवी को 30 अगस्त 2016 को 17 साल की सजा सुनाते हुए एक टिप्पणी की थी जिसका यहां जिक्र करना जरूरी है. न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा था कि माता-पिता के लिए संतान की क्षति अपूरणीय है, धन की कोई भी मात्रा पर्याप्त नहीं हो सकती. उन्होंने अनुग्रह की राशि को भी पीड़ितों के लिए अपर्याप्त माना था और सीआरपीसी की धारा 357 के तहत प्रदत शक्तियों का प्रयोग करते हुए पीड़ितों को बिहार पीड़ित प्रतिकर स्कीम 2014 के अंतर्गत उनके पुनर्वास के लिए समुचित राशि प्रदान किये जाने की अनुशंसा भी की थी.  खैर इस बीच हमें अब भी उम्मीद है कि आपकी संवेदना जगेगी और इसपर कोई उचित कदम जरूर उठाएंगे.  ((ब्लॉग जलशहर से साभार )

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *