जनता से गद्दारी .. ‘रोटी’ न मिलने पर जान देने वाले दम्पति पर चुप्पी, पर मुख्यमंत्री को ठंडी रोटी मिली तो अफसर निलंबित

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दर्शक

इंदौर। बेशर्मी… लापरवाही…मक्कारी…अमानवीयता …और सीनाजोरी मध्यप्रदेश की सरकार और अफसरों पर ये सभी शब्द एकदम सटीक है। अमानवीयता की हदें इंदौर में पार होती जा रही है। आर्थिक तंगी के चलते सांवेर के एक गांव में बुजुर्ग दम्पति ने आत्महत्या कर ली। कोई कार्रवाई जांच नहीं।

इस घटना के तीन दिन बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक सरकारी आयोजन में गरीबों के मसीहा होने का दावा करते हैं। इस आयोजन के बाद मुख्यमंत्री को खाने के पैकेट देने की जिम्मेदारी जिस अफसर को दी गई उसे निलंबित कर दिया गया। क्योंकि रोटियां ठंडी थी।

जनता भूख से मर रही है, उसके पास रोजगार नहीं इसकी जांच करने की अफसरों को फुर्सत नहीं पर सीएम को ठंडी रोटी मिलने पर इतनी फुर्ती की एक वरिष्ठ अफसर को ताबड़तोड़ निलंबित कर दिया। आखिर जनता से अफसरों को मिलना भी क्या है ?

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इंदौर में गुरुवार को कलेक्टर मनीष सिंह ने खाद्य और औषधि प्रशासन विभाग के निरीक्षक मनीष स्वामी को निलंबित कर दिया। प्रोटोकॉल में चूक के चलते ये कार्रवाई हुई।

सूत्रों के मुताबिक शिवराज सिंह चौहान खाने का पैकेट देने की जिम्मेदारी मनीष स्वामी की थी। उन्होंने जो पैकेट भेजा उसमे खाना ठंडा था। इसे बड़ी चूक मानते हुए उन्हें निलंबित कर दिया गया।

प्रोटोकॉल तोड़ने वाले मुख्यमंत्री और गृह मंत्री कार्रवाई का साहस दिखाएंगे कलेक्टर साहब ?

इसी इंदौर जिले के सांवेर में जब एक दम्पति आर्थिक तंगी से परेशान होकर जान दे देता है, तब प्रशासन जिम्मेदारों पर कार्रवाई क्यों नहीं करता? इंदौर में ही मुख्यमंत्री के आयोजनों के बाद प्रोटोकॉल तोड़कर हजारों लोगों के भंडारे पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती ?

मैं मास्क नहीं पहनता कहने वाले गृहमंत्री पर अभी तक इंदौर जिला प्रशासन ने अब तक कोई कार्रवाई की हिम्मत क्यों नहीं दिखाई ? प्रोटोकॉल तोड़कर सभाओं में बैठकों में घुमने वाले तुलसी सिलावट परक्यों चुप्पी ?

क्या सिर्फ मुख्यमंत्री को गरम रोटी ही प्रोटोकॉल है, बाकी जनता के लिए सब कुछ शून्य। आखिर जनता को रोक रोककर चालान बनाने वाले अफसर कब तक ऐसे एकतरफा सोच रखेंगे।

इलायची….पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सांवेर की एक सभा में कहा था कि अफसर सरकार का बिल्ला लगाकर न घूमे? इस पर बड़ा बवाल हुआ। पर अब जो अफसर कर रहे है क्या वो बिल्ला लगाने सरीखा नहीं है।

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