Bihar Voter List: बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने को है लेकिन उससे पहले ही यहां का सियासी पारा चढ़ हुआ है।
वजह है चुनाव आयोग की ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR)’ प्रक्रिया, जिसे विपक्ष ने ‘वोटबंदी’ कहकर बड़ा हमला बोला है।
बुधवार को INDIA गठबंधन के 11 दलों का प्रतिनिधिमंडल दिल्ली में चुनाव आयोग से मिला।
लेकिन मुलाकात के बाद नतीजा यही निकला “सवाल तो बहुत हुए, जवाब कोई नहीं मिला।”
CPI(ML) नेता दीपांकर भट्टाचार्य बोले, EC के जवाबों से हमारी चिंताएं और गहरी हो गई हैं। लगता है ये वोट कटौती का प्लान है, सुधार नहीं।
जयराम रमेश का वार – “ये लोकतंत्र की वोटबंदी है”
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने X पूर्व में ट्विटर पर पोस्ट में लिखा मैं खुद दो घंटे वेटिंग रूम में बैठा रहा।
2016 की नोटबंदी ने अर्थव्यवस्था को तोड़ा था, अब ये ‘वोटबंदी’ लोकतंत्र की रीढ़ तोड़ देगी।
उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग ने पहले मिलने से मना किया, फिर हर पार्टी से सिर्फ दो लोगों को ही अंदर बुलाया।
तेजस्वी यादव का तीखा सवाल
RJD नेता तेजस्वी यादव ने पूछा, अगर 3 करोड़ बिहारी बाहर काम कर रहे हैं, तो वे फॉर्म कैसे भरेंगे? EC उनका नाम लिस्ट से हटा देगा?
उनका कहना है कि चुनाव से ठीक पहले ऐसी कवायद संदेह पैदा करती है और इससे निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।
EC का बचाव – “कानूनी प्रक्रिया है, डरने की जरूरत नहीं”
विवाद के बीच चुनाव आयोग ने सफाई दी कि SIR पूरी तरह संविधान और जन प्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक चल रही प्रक्रिया है। किसी का हक नहीं छीना जा रहा।
आयोग ने कहा कि 25 जुलाई तक BLO फॉर्म जमा कर रहे हैं, जिसके आधार पर ड्राफ्ट वोटर लिस्ट बनेगी।
लेकिन जो फॉर्म नहीं देगा, उसका नाम हट सकता है। यही बात विपक्ष को सबसे ज़्यादा खटक रही है।
असल मुद्दा: भरोसे की कमी या वोट की राजनीति?
एक ओर EC प्रक्रिया को ‘अपडेटिंग’ बता रहा है, तो दूसरी ओर विपक्ष इसे ‘हटाने की साजिश’ बता रहा है।
सवाल यह नहीं कि वोटर लिस्ट सुधर रही है या नहीं, सवाल यह है कि क्या हर नागरिक को उसका वोट देने का अधिकार बिना अड़चन मिल पाएगा?
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