जनता मर रही, ‘राजाजी’ महल सजा रहे !

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क्यों अपने नये महल,नये संसद भवन,सचिवालय पर इस भयानक संकट के समय जब लोग आक्सीजन की कमी से लोग मर रहे हैं, तेज़ी से काम की ज़िद है। इस दौर में भी ये सब अभी क्यों चाहिए ? अभी तो ये तमाशा/विलासिता
रोक दीजिये। इस प्रोजेक्ट में लगे मजदूरों की जान भी कीमती है।

विष्णु नागर (वरिष्ठ पत्रकार, लेखक )

बड़े परिवारवाले प्रधानमंत्री 7,रेसकोर्स रोड पर रहे हैं।’ राजा जी ‘ इस महल में अकेले रह रहे हैं।न बीबी,न बच्चा,न माँ साथ रहती हैं,न भाई और न उनका परिवार।इस अकेले ‘ राजाजी’ को इतना बड़ा निवास भी छोटा क्यों पड़ रहा है! कोई बता सकता है क्यों?क्यों इन्हें नया महल चाहिए?

ऐसा क्या है,जो ‘ राजाजी ‘ इस महल में नहीं कर पा रहे हैं?और उसमें गृहप्रवेश की इतनी जल्दी है कि वह दिसंबर तक तैयार हो जाना चाहिए, जबकि संसद भवन और बाकी सेंट्रल विस्टा 2024 से 2026 के बीच तैयार होंगे।कोरोना के इस दौर में,जिसका असर दिल्ली में भयानक है,राजाजी का महल बनता रहेगा,सेंट्रल विस्टा बनता रहेगा।

मजदूरों की जान भी कीमती है,इसे जब सुप्रीम कोर्ट भी नहीं मानता तो सिवाय जनता के जागने के कोई उपाय नहीं है और यह ‘ राजा जी ‘ सुनते किसी की हैं?किसान दिल्ली की सीमा पर मर रहे हैं और ये दाढ़ी बढ़ा रहे हैं।दाढ़ी बढ़ा कर रवींद्र नाथ टैगोर बनने के चक्कर में हैं। इनकी ‘टैगोरी ‘पश्चिम बंगाल में नहीं चली, तो कहाँ चलेगी?

क्यों अपने नये महल,नये संसद भवन,सचिवालय पर इस भयानक संकट के समय जब लोग आक्सीजन की कमी से लोग मर रहे हैं,इस नीरो को ये सब चाहिए?इसे बढ़िया से बढ़िया नई से नई कार चाहिए, अमेरिकी राष्ट्रपति जैसा भव्य हवाई जहाज चाहिए। महंगे से महंगे पेन चाहिए।दस लाख का सूट चाहिए।दिन में कम से कम छह ड्रेसें बदलने को चाहिए।सेल्फी चाहिए।दुनिया के बड़े से बड़े लोगों के साथ तस्वीर चाहिए।

वो तो कोरोना आ गया वरना इस एक साल में दस हजार करोड़ की विदेश यात्राएँ भी चाहिए होतीं।खाने के लिए न जाने कौन- कौन से व्यंजन चाहिए।और पता नहीं और क्या -क्या चाहिए।जनता की बेहतरी के अलावा नीरो को सब चाहिए।

विपक्ष क्यों चुप है?क्यों सुप्रीम कोर्ट इस नाटक की अनुमति दे रही है?क्या अगले संसद सत्र में यह सवाल ऐसी रणनीति के जरिए उठेगा कि नीरो की नींद टूट जाए?उसे पसीना आ जाए?कब तक जिंदा लोगों को जलाकर, उनके आर्तनाद के बीच यह रात्रिभोज चलता रहेगा?कब तक यह खानापीना चलता रहेगा?

कब तक जनता इस नीरो का भोंडा बाँसुरी वादन सुनती रहेगी?कब तक यह हमारे पैसों पर ऐश करता रहेगा?कभी कोई प्रधानमंत्री ऐसा आएगा, जिसे शर्म आना शुरू होगी?जो इस महल में रहना नामंजूर कर देगा?

नीरो देश के लोगों को वैक्सीन नहीं दे सकता मगर अपने लिए महल बनवा सकता है,बुलेट ट्रेन चलवा सकता है।कुछ दिखता है भक्तो, तुम्हें कि तुम्हें हिन्दूत्व का जहर किस लिए दिया जा रहा है,ताकि यह और इसके तीन ऐश करते रहें और हम मरते रहें,मरते रहें।मरने के लिए हम और तुम हो और हमें जलता छोड़कर रोशनी में मौज मारनेवाले ये हैं। (साभार)

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