एनडीए के पहले बैंकिंग सिस्टम को पहुंचाया गया था नुकसान
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एनडीए के पहले बैंकिंग सिस्टम को पहुंचाया गया था नुकसान

– यूपीए की आर्थिक नीतियों पर पीएम मोदी ने बोला हमला

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर सात वर्ष पहले की यूपीए सरकार के कार्यकाल में बैंकिंग क्षेत्र में होने वाली गड़बड़ियों का मुद्दा उठाया।

शुक्रवार को आरबीआइ की तरफ से दो योजनाओं को लांच करने के दौरान दिए गए भाषण में उन्होंने जहां पुरानी सरकार की वित्तीय गड़बडि़यों पर जमकर निशाना साधा वहीं वहीं अपने सात वर्षों के कार्यकाल में वित्तीय समावेशन से लेकर एनपीए प्रबंधन के लिए उठाए गए कदमों की जमकर सराहना की।

उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों पर यह आरोप भी लगाया कि उस दौर में बैंकिंग और बीमा सुविधाएं गरीबों तक नहीं पहुंच पाई। इसके लिए बेशर्मी के साथ बहाने बनाए जाते थे।

मजबूत बैंकिंग सिस्टम बेहद जरूरी : पीएम मोदी ने कहा कि एक मजबूत बैंकिंग सिस्टम मजबूत होती अर्थव्यवस्था के लिए बहुत जरूरी है।

वर्ष 2014 के पहले के कुछ सालों में देश के बैंकिंग सिस्टम को जिस प्रकार से नुकसान पहुंचाया गया था, उससे हर किसी को पता है कि कैसी स्थितियां पैदा हो गई थीं।

बीते सात सालों में एनपीए (फंसे कर्जे) को पारदर्शिता के साथ पहचाना गया, इनके समाधान और रिकवरी पर ध्यान दिया गया, फाइनेंशियल सिस्टम और सरकारी बैंकों में सुधार किया गया।

जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले पहले सिस्टम से खिलवाड़ करते थे लेकिन अब मार्केट से फंड जुटाने का रास्ता बंद कर दिया गया है। आज बैंकिंग सेक्टर में नया विश्वास, नई ऊर्जा लौट रही है।

वित्तीय समावेशन के मुद्दे पर भी घेरा : पीएम ने पूर्व की यूपीए सरकार को वित्तीय समावेशन के मुद्दे पर भी घेरा। उन्होंने कहा कि छह से सात वर्ष पहले भारत में बैंकिंग, पेंशन और बीमा एक्सक्लूसिव क्लब जैसा था। देश का सामान्य नागरिक, गरीब परिवार, छोटे किसान, छोटे व्यापारी, महिलाएं, दलित, पिछड़ों आदि के लिए ये सारी सुविधाएं बहुत दूर थीं।

जिन लोगों पर इन सुविधाओं को पहुंचाने की जिम्मेदारी थी, उन्होंने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया। बल्कि बदलाव नहीं हो, कोई परिवर्तन ना आए, गरीब तक जाने के लिए रास्तों को बंद करने के लिए भांति-भांति के बहाने बनाए जाते थे।

क्या कुछ नहीं बेशर्मी के साथ कहा जाता था। बैंक ब्रांच नहीं है, स्टाफ नहीं है, इंटरनेट नहीं है, लोगों में जागरूकता नहीं है। इस तरह के कई तर्क दिए जाते थे।

हालांकि आज स्थिति बदल रही है। आज वित्तीय समावेशीकरण ही नहीं, बैंकिंग व वित्तीय सेक्टर में आसानी से पहुंच भारत की पहचान बन रही है। रेहड़ी, ठेला, फेरी चलाने वालों को भी संस्थागत कर्ज से जोड़ दिया गया है।

पीएम ने कहा कि पिछले सात वर्षों में भारत ने डिजिटल लेनदेन के मामले में 19 गुना वृद्धि की है। फिनटेक में भारतीय स्टा‌र्ट्रअप ग्लोबल चैंपियन बन रहे हैं।

अंत में उन्होंने आरबीआई की भूमिका की भी सराहना की और कहा कि निवेशकों के भरोसे को निरंतर मजबूत करते रहना होगा।

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