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इंदौर। बदनावर के प्रत्याशी का बदलाव प्रदेश में सियासत के बदलाव की निशानी है। कांग्रेस ने अपने घोषित प्रत्याशी अभिषेक सिंह टिंकू बना का टिकट अब कमलसिंह पटेल को दे दिया है। यानी अब यहां कमलसिंह पटेल और भाजपा के राजवर्धन सिंह दत्तीगांव के बीच मुकाबला होगा। अभिषेक सिंह के प्रत्याशी बनते ही ये बदलाव तय माना जा रहा था।
प्रत्याशी बदलना राजनीतिक दलों में सामान्य चलन है। बदनावर के टिकट का बदलाव भविष्य की पूरी राजनीति की दिशा तय करता है। अभिषेक सिंह का टिकट दिग्विजय सिंह की पसंद का बताया जा रहा है। उनकी टिकट वापसी का मतलब दिग्विजय की खींची लकीर मिटाना भी भी है। अब तक ये माना जाता रहा है कि दिग्विजय मध्यप्रदेश कांग्रेस पर एकछत्र राज करते हैं। वे जो कहते हैं, उसकी कोई काट नहीं।
अभिषेक सिंह के टिकट के कटने का कारण संगठन में विरोध जनता का सही फीडबैक न होने जैसा बताया जा रहा है। यही हमेशा कहा भी जाता है। पर मामला इतना आसान है नहीं। बदनावर टिकट में वही हुआ जो दिग्विजय की पुराना स्टाइल रहा है। इस राजा ने भी कई बार ऐसे टिकट दिए और फिर फीडबैक के नाम पर अपने आदमी को टिकट दिया। आज वही अंदाज़ उन पर लागू हो गया।
राजवर्धन सिंह सिंधिया के ख़ास हैं, वे सिंधिया के साथ ही भाजपा में आये हैं। उनके पिता प्रेमसिंह दत्तीगांव की राजनीति को खत्म करने का जिम्मेदार राजवर्धन सिंह दिग्विजय को ही मानते हैं। वे कभी दिग्विजय के बारे में बात तक करना पसंद नहीं करते। उनके सामने दिग्विजय भी अपनी पसंद के प्रत्याशी को ही चाहते थे।
कमलसिंह पटेल का नाम घोषित करवा कर उमंग सिंगार ने दिग्विजय खेमे को क्षेत्र में अपनी ताकत का अहसास भी करा दिया है। सिंगार संकेत दे चुके थे कि कमल पटेल को टिकट नहीं दिया गया तो वे चुनाव तक बदनावर से दूरी बना लेंगे। सिंगार पहले भी इस इलाके में दिग्विजय की घुसपैठ के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। सिंगार ने पहले भी दिग्विजय को खुली चुनौती दी है।
कांग्रेस ने जिस टिंकू बना का पहले नाम घोषित किया था उनके खाते में बड़ी उपलब्धि के नाम पर शिवराज-सिंधिया की हाल की बदनावर यात्रा में समर्थकों के साथ उन्हें काले झंडे दिखाना ही है। दत्तीगांव ने विधायक रहते टिंकू बना परिवार को कांग्रेस सदस्यता से निष्कासित कराने जैसी कार्रवाई की थी, इसके बाद भी उन्हें प्रत्याशी घोषित किए जाने का क्षेत्र के कांग्रेसजन खुल कर विरोध कर रहे थे।
टिंकू बना के पिता एडवोकेट जीपी सिंह का बदनावर में दबदबा तो रहा लेकिन दत्तीगांव के पॉवर में आने के बाद इसी परिवार को दलगत स्तर पर परेशानियों से भी जूझना पड़ा है। अब जब उनकी जगह पटेल को टिकट दे दिया है तब भी टिंकू बना की मजबूरी होगी कांग्रेस के लिए काम करना क्योंकि उन्हें दत्तीगांव से पुराने हिसाब चुकते करना है।
कमलसिंह पटेल राजवर्धन और उनके पिता
की सियासत के स्तम्भ रहे
कमल पटेल परिवार का प्रेम सिंह दत्तीगांव से लेकर राज्यवर्द्धन सिंह को राजनीतिक रूप से मजबूत करने में योगदान रहा है इस वजह से भी अब जब कमल पटेल को मौका दिया है तो आम कांग्रेसजन अधिक खुश है।दावेदारी में जिला कांग्रेस अध्यक्ष बीके गौतम के पुत्र मनोज का भी नाम था लेकिन कमल पटेल का नाम घोषित कर कांग्रेस ने स्थानीय प्रत्याशी वाली मांग का सम्मान किया है।
बदनावर की कुल जनसंख्या ,जातिगत मतदाता।। 35 हजार के करीब राजपूत, इतने ही 35 पाटीदार मतदाता है। 17हजार के करीब जैन समाज, 19 हजार के करीब मुस्लिम, 65 हजार के करीब आदिवासी व अन्य समाज के लोग विधानसभा में हैं। कुल जनसंख्या दो लाख के आसपास है।
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