कैलाश और सज्जन शर्म इन्हे आती नहीं !

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  • पढ़ते रहिये अभी नेताओं के दिमागी थर्मामीटर की बहुत सी कहानियां बाकी हो।

भोपाल। इंदौर शहर से जुड़े दो बड़े नामी नेता। दोनों की राजनीतिक “विचारधारा” अलग। दोनों रहते इंदौर में, पर जनप्रतिनिधि इंदौर के बाहर से पर। तमाम विरोधी राजनीति के बावजूद दोनों एक मामले में एक सरीखे हैं। सज्जन और कैलाश दोनों के महिलाओं, समाज और विकास पर एक से विचार हैं।

इन विचारों को न तो सज्जन विचार कह सकते हैं, न कैलाश पर्वत जैसे उच्च। दोनों के राजनीति में महिलाओं पर विचार सिर्फ एक है-चिकने चेहरा। दोनों औरतों को इस चेहरे के अलावा किसी और पैमाने पर मापते ही नहीं।

दिमागी थर्मामीटर तक तो इनका पारा चढता ही नहीं। ऐसे भी विकास पर भी ये कुछ भी बोलते रहते हैं, भविष्य की नहीं आज में अपने तक सीमित। अपनी बात से यू टर्न लेने में दोनों माहिर पलटीमार।

प्रियंका गांधी कांग्रेस महासचिव बनी। भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने उन्हें चॉकलेटी चेहरे वाली नेता बता दिया। बाद में बोले में तो करीना और दूसरी अभिनेत्रियों को कांग्रेस चुनाव लड़वाना चाहती है, उस पर बोल रहा था.

प्रियंका को चॉकलेटी नहीं कहा। इस बयान के कुछ घंटे बाद ही कैलाश जी अपनी पार्टी की एक अभिनेत्री के साथ मंच पर जीन्स टी शर्ट में खड़े हुए नजर आये। मौसमी चटर्जी इंदौर में थी, कैलाश विजयवर्गीय के आयोजन में।

उन्हें भाजपा बंगाल में उन्होंने ही पार्टी में शामिल करवाया। बीजेपी में स्मृति ईरानी ,हेमामालिनी, ईशा कोप्पिकर जैसी कई अभिनेत्रियां हैं उनपर कैलाश जी कुछ नहीं बोले। बस प्रियंका का चेहरा चॉकलेटी लगा। सिर्फ इसलिए की वो कांग्रेसी है।

अब दूसरे नेता सज्जन सिंह वर्मा की। कांग्रेस की राजनीति के सूरमा। बड़ा नाम। दिग्विजय मंत्रिमंडल में भी मंत्री। अब फिर बन गए। सोनकच्छ से विधायक। इनकी भी वाणी नाम के विपरीत ही है। इन्होने कभी कुरता-पजामा नहीं पहना, कैलाश जी ने ऐसा कोई परिधान नहीं जो छोड़ा हो।

खैर, कैलाश विजयवर्गीय के बयान के जवाब ने सज्जन ने जो कहा वो तो और शर्मनाक है। वे बोले बीजेपी में तो चिकने चेहरे वाली महिलाएं हैं ही नहीं। सब बोथरे चेहरे हैं इस पार्टी में।उन्होंने कहा प्रियंका को ईश्वर ने खूबसूरत बनाया,

बीजेपी के पास बस खुरदुरे चेहरे, ये वोट के लिए हेमामालिनी से डांस करवाते हैं। यही सज्जन सिंह वर्मा हैं, जो भविष्य की जानकारी रखे बगैर कहते हैं -बीआरटीएस उखाड़ फेंकना चाहिए। अब कमलनाथ अपने चहेते नेता को समझाइश देते हैं ?

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