कॉफी टेबल बुक कलेक्टर !
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कॉफी टेबल बुक कलेक्टर !

 

मध्यप्रदेश में एक कलेक्टर को कॉफी टेबल बुक प्रकाशित करने का ऐसा शौक या जूनून है कि वे इस जोश में प्रधानमंत्री की कोरोना गाइडलाइन को तोड़कर कॉफी टेबल बुक निकालने के काम में जुटे हुए हैं

पंकज मुकाती

मध्यप्रदेश में एक कलेक्टर को पर्यटन और ऐतिहासिक इमारतों से बेहद लगाव हैं। वे इस पर खूब चिंतन, मनन करते हैं। उनके सारे चिंतन का निचोड़ और रस हर जिले में एक ही निकलता है। ये साहब जिस भी जिले में जाते हैं एक काम ऐसा है जो कभी नहीं भूलते हैं।

तीन जिले बदले, पर कॉफी टेबल बुक बनाना किसी जिले में नहीं भूले। अफसरों के बीच धीरे-धीरे ये कॉफी टेबल बुक कलेक्टर के नाम से चर्चित भी हैं। अभी वे सागर के कलेक्टर हैं। पूरा देश कोरोना की आपदा से लड़ रहा है, सरकारें छोटी-छोटी बचत में लगी हैं। पर साहब का दिल है कि मानता नहीं।

इस आपदा में भी वे कॉफी टेबल बुक बनवाने में लगे हुए हैं। जबकि केंद्र सरकार के साफ़ निर्देश हैं कि किसी भी तरह से डायरी, कैलेंडर, त्योहार और किसी भी अन्य तरह की सामग्री छापी न जाए। इसके आदेश मंत्रियों और सभी विभागों के अफसरों को भी भेजे गए हैं। बावजूद इन निर्देशों के कलेक्टर साहब कॉफी टेबल बुक निकाल रहे हैं।

कलेक्टर दीपक सिंह ने सागर में बाकायदा कॉफी टेबल बुक के लिए फोटोग्राफी प्रतियोगिता रखी गई है। इस प्रतियोगिता के सर्वश्रेष्ठ फोटोग्राफर को अवार्ड मिलेगा। विजेता को गणतंत्र दिवस पर एक लाख का इनाम दिया जाएगा। दीपक सिंह इसके पहले बुरहानपुर और धार जिले के कलेक्टर रह चुके हैं।

दोनों हीजिलों में वे कॉफी टेबल बुक निकाल चुके हैं। जिले बाले पर साहब का बुक प्रेम और उनके इस प्रेम के रचनाकार हर बार एक ही रहे। आखिर क्यों? सवाल ये भी उठ रहा है कि धार और बुरहानपुर तो ठीक है, पर आपदा के इस दौर में जिले का प्रमुख ऐसी किसी बुक के लिए फुरसत भी कैसे निकाल सकता हैं।

शायद इसका जवाब कलेक्टर साहब के फेसबुक वॉल पर लिखी इन पंक्तियों में छिपा है –

लिपट रही हैं जो
तुझ से , दुआएँ मेरी हैं,
हवा का शोर नहीं है
सदाएँ मेरी हैं !
किसी भी राह से
तुम आ सको तो आ जाना,
कि शहर मेरा है
सारी दिशाएँ मेरी हैं!!

 

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