मध्यप्रदेश कि सरकार इतनी मजबूर कि व्यापम घोटाले में जेल जा चुके विनोद भडांरी, अजय गोयनका और सुरेश भदौरिया से खुद मुख्यमंत्री को करनी पड़ी बात
इंदौर। मध्यप्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में बेहद नाकाम साबित हो रही है। इंदौर और भोपाल जैसे शहरों में भी पर्याप्त संसाधन नहीं है। छोटे जिलों और कस्बों को तो भगवान भरोसे ही मान सकते हैं। प्रदेश में सरकारें स्वास्थ्य सेवाओं का एक ढांचा तक खड़ा नहीं कर पायी। इसका सबसे बड़ी मिसाल है, व्यावसायिक परीक्षा मंडल की मेडिकल टेस्ट में हुए घोटाले से जुड़े मेडिकल कॉलेजों को कोरोना के इलाज के लिए अधिग्रहित करने को सरकार मजबूर है।
प्रदेश के इस सबसे बड़े घोटाले में जेल जा चुके अरविंदो मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर विनोद भंडारी, इंडेक्स और अमलतास मेडिकल कॉलेज के सुरेश भदौरिया और भोपाल के चिरायु मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर अजय गोयनका से खुद मुख्यमंत्री को सहायता के लिए बात करनी पड़ी।
इंदौर और भोपाल में कोरोना का संक्रमण तेज़ी से फैला है। इससे निपटने के लिए इंदौर मेडिकल कॉलेज की सुविधायें बेहद कमतर साबित हो रही है। ऐसे में सरकार ने सुरेश भदौरिया के अमलतास और इंडेक्स मेडिकल कॉलेज को अधिग्रहित किया है। इसी तरह व्यापम घोटाले में करीब दो साल से ज्यादा जेल में रहे डॉक्टर विनोद भंडारी के श्री अरविंदो मेडिकल कॉलेज को भी सरकार ने अधिग्रहित किया है। भोपाल में चिरायु हॉस्पिटल को सरकार ने लिया है, इसके प्रमुख डॉक्टर अजय गोयनका भी व्यापम मामले में जेल जा चुके हैं। तीनो ही मेडिकल कॉलेज के संचालक अभी जमानत पर हैं। पिछले 15 सालों में खड़े हुए इन मेडिकल कॉलेज ने ऐसे क्या संसाधन जुटा लिए जो प्रदेश सरकार भी इनके आगे कमजोर साबित हो रही है।
इस बारे में व्यापम घोटाले का खुलासा करने वाले डॉक्टर आनंद रॉय का साफ़ कहना है कि प्रदेश में कभी हेल्थ को लेकर कुछ बड़ा सोचा ही नहीं गया। ये हमारी सरकार कि कभी प्राथमिकता रहा ही नहीं। यही कारण है कि खुद मुख्यमंत्री को व्यापम में जेल काट चुके मेडिकल कॉलेज संचालकों से सहायता मांगनी पड़ रही है। आखिर पिछले कुछ सालों में खड़े हुए मेडिकल कॉलेज कैसे सरकारी कॉलेजों से आगे दिखाई दे रहे हैं।
इंदौर में कोरोना के संक्रमण को लेकर प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के बीच भी तालमेल नहीं दिख रहा है। व्यापम के आरोपी सुरेश भदौरिया जो करीब दो साल तक फरार रहे, मीडिया में खुद को महादानी बताने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी तरफ ये ये बताया जा रहा है कि उन्होंने स्वेच्छा से सरकार को अपने दोनों मेडिकल कॉलेज सौंप दिए हैं।
इंदौर के एबी रोड का होटल भी सरकार को उपयोग के लिए दे दिया है। भदौरिया ने बीस लाख रुपये मुख्यमंत्री सहायता कोष में भी दिए हैं। अरविंदो मेडिकल कॉलेज के विनोद भंडारी का हाल भी कुछ ऐसा ही है। भोपाल के डॉक्टर अजय गोयनका भी गदगद हैं सरकार की सहायता करके।
2 करोड़ रुपये प्रतिमाह पर
लिए है सरकार ने कॉलेज
मीडिया और आम जनता के सामने जो बात आ रही है उससे ये तीनो मेडिकल कॉलेज के संचालक बड़े दानी दिखाई दे रहे है। ऐसा लगता है जैसे इन्होने पूरा मेडिकल कॉलेज मुफ्त में सरकार को सौंप दिया हो। दरअसल, सरकारी नियम के मुताबिक इन कॉलेजों को प्रतिमाह दो करोड़ रूपए दिए जाएंगे।
क्या इस सहायता के बदले
अभयदान मिलेगा ?
व्यापम घोटाले में जेल में रह चुके तीनों आरोपी डॉक्टर विनोद भंडारी, सुरेश भदौरिया और अजय गोयनका अभी जमानत पर हैं। क्या उन्हें शिवराज की सहायता के बदले कुछ अभयदान मिलेगा ? वैसे शिवराज सरकार पर सवाल उठाने वाले कमलनाथ सरकार ने भी 15 महीनों में व्यापम के घोटालेबाजों पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की है।
विशेष-आखिर क्यों बॉम्बे हॉस्पिटल को छोड़कर छोटे-छोटे अस्पतालों को किया जा रहा अधिग्रहित (अगली स्टोरी में पढ़िए )
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