मंदसौर गोलीकांड में बेटा गंवाने वाले परिवार से सरकार ने मांगे 25 हजार

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मृतक किसान के भाई को नोटिस दिया
माँ-बाप ने शिवराज सरकार को कोसा
मंदसौर, । 1 जून से 10 जून तक ग्राम बंदी के किसानों के ऐलान से शिवराज सरकार की सांसे फूल रही है। सरकार बीते साल की तरह के उपद्रव से इस कदर घबरा रही है कि गोलीकांड में मारे गए युवक के भाई से बकायदा 25 हजार रुपए का बांड भरवाकर ‘उपद्रव गारंटी ले रही है।  जिला प्रशासन ने अभिषेक के भाई को एक नोटिस थमा कर यह पूछा गया है कि आगामी किसान आंदोलन के दौरान आपका व्यवहार अच्छा होगा। इसके लिए आपको 25 हजार रुपए का बांड भरना होगा। 26 मई को मल्हारगढ को अभिषेक के भाई सहित बरखेडापंथ के 10 युवकों को तलब किया गया है।
   बीते साल 6 जून को मंदसौर गोली कांड में 6 किसानों की मौत के बाद शिवराज सरकार के खिलाफ किसानों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। अपनी तमाम मांगों को लेकर किसान मंदसौर कांड की बरसी पर आंदोलन की चेतावनी दे चुके हैं। पिछले साल की तरह किसान आंदोलन हिंसक ना हों इसके लिए सरकार तानाशाही फैसले ले रही है। गोलीकांड में मारे जा चुके अभिषेक पाटीदार के भाई मधुसुदन पाटीदार को जिला प्रशासन ने एक नोटिस थमाया है। ‘ग्राम बंदी’ के दौरान शांति रहे इसलिए बरखेडापंथ के 10 युवकों से यह ग्यारंटी बांड भरवाया जा रहा है। इस बांड के मुताबिक प्रस्ताविक आंदोलन में किसी तरह की शांति भंग उनकी तरफ से नहीं होगी और उनका व्यवहार ठीक होगा। यदि किसी तरह का उपद्रव होगा तो बांड की रकम जब्त हो जाएगी। इसके लिए 26 तारीख को मल्हारगढ थाने पर बकायदा तलब किया गया है। बरखेडा पंथ ही वह गांव है जहां के किसानों ने बहीपार्श्वनाथ चौराहे पर किए गए आंदोलन में बडी भूमिका अदा की थी। आंदोलन के दौरान ही पुलिस ने इन किसानों पर फायरिंग की थी जिसमें 5 किसानों की मौत हो गई थी। एक किसान की मौत अन्य स्थान पर पुलिस पिटाई से हुई थी।

 मधुसुदन पाटीदार के परिवार  के लोगों ने इस नोटिस पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि बीते साल हमने अपना बेटे अभिषेक को खोया है। हम अभी तक शोक में डूबे हुए हैं। क्या उनका परिवार का हर आदमी शांति भंग करना चाहता है क्या।

    मंदसौर से करीब 20 किलोमीटर दूर बरखेडा पंथ में रहने वाले मधुसुदन और मृतक अभिषेक के पिता दिनेश पाटीदार पेशे से किसान है। उनका कहना है कि सरकार उनके परिवार को परेशान करना बंद करे। दिनेश पाटीदार आज भी बतौर किसान शिवराज सरकार से नाराज है।
दिनेश कहते हैं कि 6 किसानों की मौत के बावजूद किसानों के मुद्दे आज एक साल के बाद भी जस के तस बने हुए हैं। अभिषेक के पिता दिनेश का कहना है कि हमारे 6 लोगों की बलि लेने के बाद आज भी सरकार हमें अपनी फसलों का वाजिब दाम नहीं दिला पा रही है। 5 साल पहले फसलों का दाम इतना मिल रहा था कि कम से कम लागत निकल जाती थी और घर चलाने के लिए थोडा मुनाफा मिल जाता था लेकिन बीते कुछ सालों से खेती की लागत भी नहीं निकल पा रही है। उत्पादन भले ही बढा हो लेकिन दाम आधे हो गए हैं। सरकार को शर्म करना चाहिए ‘उत्पादन के नाम पर अवार्ड लेने वाली सरकार को इस साल चुनाव में किसान अपना वोट अवार्ड देगें। ’
  अभिषेक सहीत 6 किसानों की जान जाने के बाद हाल ही में जो फसल उन्होनें ली है उसका दाम भी लागत से कम मिला है। लहसून का भाव एक हजार से ढाई हजार के बीच है लेकिन उसकी लागत 4 से 5 हजार है। शिवराज सिंह ने भले ही उन्हें एक करोड का मुआवजा दिया हो, बडे बेटे को नौकरी दी हो लेकिन उनका बेटा इस दुनिया में हमेशा-हमेशा के लिए खो चुका है, वह कभी लौट कर वापस नहीं आ सकेगा। जिन मांगों के कारण किसान आंदोलन किया गया था वे आज भी जहां की तहां खडी है। भावातंर योजना महज मजाक है।
  दिनेश का कहना है कि पूरे इलाके के किसानों में आज भी शिवराज सरकार के प्रति जमकर गुस्सा भरा है। बीते चुनाव में बीजेपी को वोट दिया था लेकिन इस चुनाव में बीजेपी को वोट देकर भूल नहीं करेगें।

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