ये किसान हैं,अलगाववादी नहीं….. ये वही सिख हैं, जिन्होंने बंटवारे में पाकिस्तान छोड़कर हिंदुस्तान को चुना, आज  देशभक्ति पर सवाल क्यों ?

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शंभूनाथ शुक्ला (वरिष्ठ पत्रकार )

कई बार मुझे लगता है, कि क्या बीजेपी पोलेटिकल पार्टी नहीं है। यह मात्र एक भीड़ है, जो सिर्फ़ शोर-शराबा करती है। जिसके पास कोई रचनात्मकता नहीं होती। अब किसान आंदोलन को ही ले लें। बीजेपी के समर्थक लोगों का कहना है, कि इसमें खालिस्तानी हैं, अलगाववादी हैं।

किसानों की इस भीड़ में शामिल कथित किसान भिंडरावाले का चित्र लिए हैं और पाकिस्तान ज़िंदाबाद का नारा लगा रहे हैं। अब मज़े की बात कि ख़ालिस्तान शब्द कांग्रेस की देन था। इंदिरा गांधी ने आपरेशन ब्लू स्टार को सही बताने के लिए इस शब्द का ईजाद किया था। फिर उस वक्त जो दल इन कथित ख़ालिस्तनियों के साथ रहा, उन्हीं के साथ बीजेपी ने क़रीब ढाई दशक तक क्यों साँठ-गाँठ रखी?

दूसरे भिंडरावाले एक वैसा ही निहंग साधु-बाबा था, जैसे कि तमाम नागा अखाड़ों के साधु होते हैं। अब इंदिरा गांधी सरकार उसे टैकल नहीं कर पाई और फ़ालतू में उसे आतंकी बना डाला। तीसरे पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे कोई क्यों लगाएगा?

सिखों ने तो पाकिस्तान बन जाने के बाद हिंदुस्तान में रहना पसंद किया और अपना गाँव-घर छोड़ कर आ गए।

और बीजेपी के अधिकतर हिंदू महाज़िर नेता इन्हीं सिख वीरों के भरोसे तब भारत आए थे। अन्यथा जिन्ना के डायरेक्ट एक्शन में वे व्यापारी हिंदू मार डाले जाते। जबकि जिन्ना ने सिखों को पाकिस्तान में ही रहने का लालच दिया था। इसके विपरीत जोधपुर और राजस्थान के कुछ कथित हिंदू हृदय सम्राट रियासत के राजे पाकिस्तान जाने को उतावले थे। और उनके इरादों की मुखबिरी उन्हीं के एक मुस्लिम ड्राइवर ने तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल से की थी।

वह बूढ़ा ड्राइवर दिल्ली स्थित सरदार पटेल के बँगले पर धरना दे कर बैठा था। और कह रहा था- हुकुम म्हारे जोधपुर को बचा लो! यह सच है, कि पंजाब के किसान सिख हैं और उन्होंने कृषि को फ़ायदे का उद्यम बना दिया है। लेकिन आंदोलनकारी सिर्फ़ सिख नहीं हैं। उनमें हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हिंदू किसान भी हैं। और शायद इन हिंदू किसानों की संख्या सिखों से बहुत अधिक है।

किंतु ज़ान-बूझ कर बीजेपी इन्हीं सिखों को टारगेट कर रही है। मीडिया कवरेज में भी सिख किसान दिखते हैं। वे पगड़ी पहने होने के कारण पहचान में आ जाते हैं। जैसे दाढ़ी से मुसलमानों की पुष्टि हो जाती है। यूँ भी कांग्रेस से इन्हें कोई उम्मीद नहीं है और बाँके-बिहारी वामपंथी बिल्ली के गू की तरह बस सोशल मीडिया में आग उगल रहे हैं। इसीलिए किसान अपनी लड़ाई ख़ुद कर रहा है। बीजेपी के नेता इन किसानों का सम्मान करें और उनसे बात करें। उन्हें और पुलिस को परस्पर भिड़ाये नहीं। वे ही तो असली भारतीय हैं।

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