-89 ट्राइबल ब्लॉक के पदाधिकारी भी बुलाए
भोपाल। मध्य प्रदेश में आदिवासी वोटबैंक की सियासत तेज होती जा रही है। अब कांग्रेस इस समुदाय को साधने के लिए भोपाल में मंथन करेगी।
प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 24 नवंबर को अनुसूचित जनजाति वर्ग के विधायकों की बैठक बुलाई है। इसमें प्रदेश के 22 जिलों के 89 ट्राइबल ब्लॉक के पदाधिकारियों को भी बुलाया गया है। इस दौरान पंचायत चुनाव की तैयारियों को लेकर भी निर्णय लिए जाएंगे।
इससे पहले BJP ने आदिवासी समुदाय को जोड़ने के लिए भोपाल में 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में जनजातीय सम्मेलन में अपनी ताकत दिखा चुकी है।
हालांकि इसी दिन कांग्रेस ने जबलपुर में सम्मेलन आयोजित किया था, लेकिन आदिवासियों की कम संख्या के चलते बीजेपी ने कमलनाथ पर तंज कसा था।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि जनजातीय समुदाय को जोड़े रखने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। बैठक में इसकी रूपरेखा बनाई जाएगी।
इसके पहले सितंबर 2021 में पार्टी आदिवासी क्षेत्रों में काम करने वाले विभिन्न संगठनों को एक मंच पर लाने लिए सम्मेलन कर चुकी है।
जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब आदिवासियों के लिए कई योजनाएं शुरू की गई थीं। कमलनाथ सरकार ने आदिवासियों की ऋण मुक्ति, अनुसूचित जनजाति वित्त विकास निगम से लिया ऋण माफ करने के साथ गोठान के विकास, आदिवासी के घर जन्म या मृत्यु होने पर मुफ्त राशन देने, 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाने और इसके लिए हर ट्राइबल ब्लॉक को एक-एक लाख रुपए देने का निर्णय लिया था।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने जनजातीय समाज को सिर्फ वोटबैंक की तरह इस्तेमाल किया। देश में करीब 60 साल कांग्रेस की सरकार रही, तब उसने बिरसा मुंडा की जन्मतिथि पर राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम क्यों नहीं किए?
उन्होंने कहा कि हाल ही में चार सीटों के उपचुनाव में भी बड़ी संख्या में आदिवासी वोट बीजेपी को मिला है। कांग्रेस का वोट बैंक सिकुड़ गया है। इससे विपक्ष के नेताओं में घबराहट और बेचैनी है।
कमलनाथ के आरोप पर शिवराज का पलटवार : इससे पहले कमलनाथ ने जनजातीय सम्मेलन आयोजित करने को लेकर BJP पर निशाना साधा था।
उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह चौहान को 18 साल बाद आदिवासी याद आ रहे हैं, पहले इन्हें कभी आदिवासी याद नहीं आए। कमलनाथ ने कहा कि सीएम शिवराज को अपने 17 सालों का आदिवासियों के लिए किए गए कामकाज का हिसाब देना चाहिए।
कमलनाथ के आरोपों पर शिवराज ने भी पलटवार किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कार्यक्रम में कोई नहीं आया, तो वह हिसाब मांग रहे हैं।
इसलिए हो रही कवायद : आदिवासी बहुल इस इलाके में 84 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 84 में से 34 सीट पर जीत हासिल की थी। वहीं, 2013 में इस इलाके में 59 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी।
2018 में पार्टी को 25 सीटों पर नुकसान हुआ है। वहीं, जिन सीटों पर आदिवासी उम्मीदवारों की जीत और हार तय करते हैं, वहां सिर्फ बीजेपी को 16 सीटों पर ही जीत मिली है।
2013 की तुलना में 18 सीट कम है। अब सरकार आदिवासी जनाधार को वापस बीजेपी के पाले में लाने की कोशिश में जुटी है।
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