आखिर क्या सोचकर भोपाल से चुनाव लड़ रहे हैं दिग्विजय, खुद मुख्यमंत्री
रहते ये सीट कांग्रेस को नहीं जीतवा सके, अब क्या हवा इतनी कांग्रेस के पक्ष में है।!
इंदौर। दिग्विजय सिंह अपनी ज़िंदगी के सबसे बड़े मुकाबले में हैं। पहली बार वे होम टाउन से बाहर चुनाव लड़ेंगे। सबको जीत का गुर देने वाले इस राजा के लिए भोपाल का नवाब बनना आसान नहीं होगा। संभवतः खुद को मुख्यमंत्री चुने जाने वाली विधायक दल की बैठक के अलावा दिग्विजय ने कभी कोई चुनौती वाली लड़ाई नहीं लड़ी है। सबसे बड़ी बात अपने दस साल के मुख्यमंत्री वाले कार्यकाल के दौरान भी वे भोपाल लोकसभा से कांग्रेस को नहीं जीतवा सके। ऐसे में अब वे क्या और कैसे करेंगे इस पर सबकी नजर है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शनिवार को घोषणा की कि कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव में भोपाल सीट से पार्टी के प्रत्याशी होंगे। यह सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है। यहां मिंटो हॉल में कांग्रेस की ओर से पत्रकारों के लिए आयोजित ‘होली मिलन’ समारोह में मध्य प्रदेश से लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के उम्मीदवारों के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में कमलनाथ ने कहा कि देखिये यह प्रेस कांफ्रेंस नहीं है। लिस्ट मेरी जेब में है। जब उनसे सवाल किया गया कि यह तो बता दीजिए दिग्विजय सिंह कहां से चुनाव लड़ेंगे तो इस पर उन्होंने कहा कि एक घोषणा मैं कर सकता हूं। शुक्रवार को (कांग्रेस की) सेन्ट्रल इलेक्शन कमेटी में दिग्विजय सिंह जी का नाम भोपाल से फाइनल हो गया है। कमलनाथ ने कहा कि ये हमारी रणनीति होगी।
कमलनाथ ने तय किया, दिग्गी बोले ठीक है
उन्होंने कहा कि मैंने दिग्विजय से अनुरोध किया था कि आप लंबे समय तक (वर्ष1993 से वर्ष 2003 तक) मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। इसलिए आप राजगढ़ लोकसभा सीट (दिग्विजय एवं उसके छोटे भाई लक्ष्मण सिंह द्वारा लंबे समय से जीतने वाली सीट) से चुनाव लड़ो, यह आपको जचता नहीं है। मैंने उनसे कहा कि भोपाल, इंदौर या जबलपुर जैसी मुश्किल सीट से लड़ लो। इस पर दिग्विजय ने कहा ठीक है कि आप ही तय कर लो। मैंने कहा ठीक है मैंने तो तय कर लिया। तो उन्होंने कहा कि बता दीजिए। मैंने कहा भोपाल से लड़ लीजिए। तब हमने तय कर दिया।
कमलनाथ ने कहा कि हमने भोपाल से आप लोगों के लिए अच्छा उम्मीदवार बनाया है। कृपया उन्हें अपना पूरा सहयोग दें। जब उनसे सवाल किया गया कि क्या दिग्विजय सिंह इस फैसले से खुश हैं, तो इस पर उन्होंने कहा कि यह आप उनसे (दिग्विजय) पूछिये। मैं खुश हूं। गौरतलब है कि कमलनाथ द्वारा मध्य प्रदेश की सबसे मुश्किल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का मशविरा दिये जाने के बाद दिग्विजय सिंह ने सोमवार को ट्विटर पर लिखा था कि मैं वहां से लोकसभा चुनाव लड़ने को तैयार हूं, जहां से पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी कहेंगे। चुनौतीयों को स्वीकार करना मेरी आदत है। कांग्रेस ने वर्ष 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में भोपाल सीट जीती थी। तब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में कांग्रेस की लहर थी, जिसके चलते भोपाल से के.एन. प्रधान जीते थे।
30 साल से भोपाल पर भाजपा का कब्जा
इस सीट पर पिछले 30 साल से भाजपा का कब्जा है। यह सीट भाजपा ने वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से छीनी थी और तब से लेकर अब तक इस सीट पर आठ बार चुनाव हुए हैं और आठों बार भाजपा ने कांग्रेस के प्रत्याशियों को हराया है। भोपाल के मौजूदा सांसद आलोक संजर हैं और उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट से 3.70 लाख से अधिक मतों से विजय प्राप्त की थी। भोपाल सीट पर 12 मई को मतदान होगा। राघौगढ़ राजघराने से ताल्लुक रखने वाले दिग्विजय एवं उसके परिवार के सदस्य सामान्यत: अपनी परंपरागत राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते आ रहे हैं। इस सीट से वर्ष 1984 एवं 1991 में दिग्विजय कांग्रेस के टिकट पर जीतकर सांसद रहे, जबकि उनके छोटे भाई लक्ष्मण सिंह इस सीट से पांच बार सांसद बन चुके हैं। लक्ष्मण वर्ष 1994 के उपचुनाव, 1996, 1998 एवं 1999 में कांग्रेस के टिकट पर सांसद निर्वाचित हुए, जबकि वर्ष 2004 में भाजपा के टिकट पर।
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