‘काबा जैसा क्यूब’: सऊदी फ़ैशन शो ने धार्मिक विवाद को जन्म दिया

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रियाद। सऊदी अरब में आयोजित एक फ़ैशन शो ने विवादों का सिलसिला शुरू कर दिया है, जब शो में एक ग्लास क्यूब के आकार की संरचना को दिखाया गया, जो कुछ लोगों के अनुसार पवित्र काबा जैसा प्रतीत हो रहा था। यह घटना सऊदी अरब के वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव ‘रियाद सीज़न’ का हिस्सा थी, जिसे इस साल लेबनान के प्रसिद्ध डिज़ाइनर एली साब ने प्रस्तुत किया था।

फ़ैशन शो के दौरान प्रदर्शित क्यूब की संरचना को लेकर मौलवियों और कट्टरपंथी इस्लामी हस्तियों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कई आलोचकों का कहना है कि यह इस्लाम के सबसे पवित्र स्थल काबा का अपमान है। इस शो के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गईं, जिस पर मुस्लिम समुदाय के भीतर तीखी बहस छिड़ गई।

इस मुद्दे पर सऊदी अरब के सरकारी मीडिया और अफ़वाहों से निपटने वाले प्राधिकरण (एंटी रयूमर अथॉरिटी) ने स्पष्टीकरण दिया कि इस संरचना का काबा से कोई संबंध नहीं था। प्राधिकरण ने इसे सिर्फ एक क्यूब के आकार की कला का हिस्सा बताया, जिसका इस्लाम से कोई सीधा जुड़ाव नहीं था।

हालांकि, कई इस्लामी धर्मगुरुओं ने इसे भ्रष्टाचार और मूल्यों की गिरावट के रूप में देखा। मोरोक्को के इस्लामी धर्मगुरू अल-हसन बिन अली अल-कित्तानी ने इसे ‘विकृत’ प्रदर्शन करार देते हुए कहा कि यह घटनाएँ समाज में बढ़ते हुए नैतिक पतन को दर्शाती हैं। कुछ कट्टरपंथी विचारक इस घटना को सऊदी अरब के सत्तारूढ़ परिवार के खिलाफ एक सांस्कृतिक हमले के रूप में देख रहे हैं, जिनके बारे में उनका आरोप है कि वे पश्चिमी प्रभाव के तहत अपनी नीति बना रहे हैं।

इसी बीच, सोशल मीडिया प्लेटफार्मों जैसे टेलिग्राम और फेसबुक पर इसे लेकर बहस तेज हो गई है। एक इस्लामी लेखक ने इसे “अरब प्रायद्वीप में बहुदेववाद के लौटने” से जोड़ते हुए, इसे इस्लाम के खिलाफ एक सोची-समझी साजिश बताया। साथ ही, इस फ़ैशन शो का आलोचना यह भी की गई है कि यह ग़ज़ा पट्टी और लेबनान में जारी युद्ध की परिस्थितियों में हुआ, जहाँ संघर्ष और मानवीय संकट से जूझ रहे लोग हैं।

‘रियाद सीज़न’ हर साल सऊदी अरब में आयोजित होने वाला एक प्रमुख सांस्कृतिक और मनोरंजन इवेंट है, जिसमें कला, फैशन, खेल, और संगीत से जुड़ी कई गतिविधियाँ होती हैं। इस बार के शो में एक ओर आलोचना यह थी कि यह इवेंट उस समय आयोजित किया गया जब ग़ज़ा में हिंसा और युद्ध के हालात गंभीर थे, और कुछ ने इसे समय और संवेदनशीलता की कमी का संकेत बताया।

यह विवाद अब सऊदी अरब में राजनीतिक और सामाजिक विमर्श का हिस्सा बन गया है, और यह देखना बाकी है कि सरकार और समाज के विभिन्न हिस्से इस मुद्दे पर किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।

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