भोपाल। ग्वालियर-चम्बल में चुनावी रैलियों पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। अदालत ने कहा है कि रैली के पहले चुनाव आयोग की अनुमति जरुरी है। इससे नाराज शिवराज ने कहा कि वे चुप नहीं बैठेंगे।
आखिर ये कैसा आदेश ? प्रदेश में ग्वालियर-चम्बल को छोड़कर बाकी जगह रैली की छूट है, तो यहां क्यों नहीं ? शिवराज ने आज इस इलाके की अपनी सभी सभाएं रद्द करके जनता से माफ़ी मांगी।
कोरोना संक्रमण को देखते हुए हाईकोर्ट ने ये फैसला दिया है। फैसले के खिलाफ भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर ली है। शिवराज सिंह चौहान ने कहा- ‘हम माननीय न्यायालय का सम्मान करते हैं, लेकिन इस फैसले के संबंध में सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं।’
शिवराज ने गुरुवार को अशोकनगर के शाडोरा और भांडेर में बराच की सभाएं निरस्त कर दीं और वहां के लोगों से माफी मांगी। शिवराज ने कहा कि बिहार में सभाएं हों रही हैं, रैलियां हो रही हैं, लेकिन मध्यप्रदेश के एक हिस्से में सभाएं नहीं हो सकती।
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने चुनाव आयोग के नियमों को लेकर कहा कि भाजपा चुनाव आयोग और न्यायालय में भरोसा करने वाली पार्टी है। कोविड-19 को देखते हुए चुनाव आयोग ने जो फैसला किया है, सभी को उसका पालन करना चाहिए।
चुनाव जीतने से जरुरी है जनता की ज़िंदगी
बुधवार को मध्यप्रदेश की ग्वालियर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने दतिया के भांडेर में कमलनाथ और ग्वालियर में नरेंद्र तोमर की रैली को अपने आदेश का आधार बनाया और दोनों पर एफआईआर करने के आदेश दिए। जस्टिस शील नागू और जस्टिस राजीव कुमार श्रीवास्तव की बेंच ने आदेश में कहा- राजनीतिक दलों की वर्चुअल मीटिंग अगर नहीं हो पा रही है तो ही सभा और रैलियां हो सकेंगी। इसके लिए चुनाव आयोग की इजाजत लेनी होगी।संविधान ने उम्मीदवार और मतदाता दोनों को अधिकार दिए हैं। उम्मीदवार को चुनाव प्रचार का अधिकार है तो लोगों को जीने के साथ-साथ स्वस्थ रहने का अधिकार है। उम्मीदवार के अधिकार से बड़ा लोगों के स्वस्थ रहने का अधिकार है।’मौजूदा हालात में राजनेताओं को लोगों के लिए उदारता दिखानी चाहिए थी, लेकिन उनके व्यवहार से ऐसा नजर नहीं आ रहा। सभाओं में सुरक्षित शारीरिक दूरी का पालन नहीं हो रहा है।’
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