देवास-शाजापुर सीट से 64 साल के टिपाणिया को जातिगत समीकरण से आगे कर रहे दिग्विजय, पर बलाई समाज उन्हें वोट देगा इसमें भी संदेह !
इंदौर। मध्यप्रदेश की शाजापुर-देवास सीट इस बार नए चेहरे देखेगी। कांग्रेस से सज्जनसिंह वर्मा इस सीट से अपने बेटे के लिए कोशिश कर रहे हैं। खुद वर्मा इस सीट से सांसद रह चुके हैं। वर्तमान में वे प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। बलाई बाहुल्य इस सीट पर जातिगत समीकरण के नाम दिग्विजय ने एक नया पत्ता फेंका है। दिग्विजय सिंह प्रख्यात कबीर भजन गायक प्रहलाद सिंह टिपाणिया को चुनाव लड़वाना चाहते है। दिग्विजय की इस कबीर धारा से वे एक नयी गुणी राजनीति लिखेंगे। प्रहलाद सिंह टिपाणिया गायक के साथ-साथ बलाई समाज के भी हैं। यही कारण है कि टिपाणिया सज्जन सिंह वर्मा की सीधी काट हो सकते हैं।
मालूम हो कि दिग्विजय सिंह सज्जनसिंह वर्मा को बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं देते। कमलनाथ के करीबी सज्जन सिंह वर्मा को मंत्रिमंडल में भी विभागों के लिए भारी मशक्कत का सामना करना पड़ा था। अभी तक ये माना जा रहा था कि देवास-शाजापुर सीट सज्जन सिंह वर्मा ही तय करेंगे। अचानक से दिग्विजय ने अपना ऐसा दांव चला कि पूरे समीकरण उलट गए। टिपाणिया की लोकप्रियता और जातिगत समीकरण उन्हें मजबूत देते हैं। बस, एक बात इस भजन गायक के खिलाफ जा सकती है, वो है उनकी उम्र और स्वास्थ्य। टिपाणिया 64 साल के हैं और हाल ही में बाईपास सर्जरी भी हुई है।
सूत्रों के अनुसार सर्जरी के बाद वे चुनाव लड़ने से इंकार भी कर चुके थे, पर दिग्विजय आग्रह से वे अब राजी हो गए हैं। बीजेपी के मजबूत नेता रहे थावरचंद गेहलोत के यहां सक्रिय हैं, पर बीजेपी किसी युवा प्रत्याशी को यहाँ से लड़वाना चाहती हैं। बहुत संभव है बीजेपी बलाई समाज की किसी महिला उम्मीदवार को सामने लाकर पूरा मामलाउलट दे। दूसरी तरफ इस बात में भी बहुत संदेह है कि बलाई समाज टिपाणिया को कितना सहयोग करेगा। सामजिक तौर पर टिपाणिया कबीर धारा का
बताते हुए जाति से दुरी ही रखते है।कांग्रेस और भाजपा दोनों को इस सीट पर पुर्नविचार कर कुछ ऐसे चेहरे को सामने लाना होगा जो परंपरागत और विरासत की राजनीति से दूर हो। इलाके में पिछले तीस साल से वही पुराने चेहरे और घराने सामने आ रहे हैं। ऐसे में कोई भी नया चेहरा और यदि वो बलाई समाज का हुआ तो जीत की गारंटी बन जाएगा, भले वो बहुजन समाज पार्टी का उम्मीदवार। हो
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