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दिल्ली। कांग्रेस पार्टी भारत जोड़ो यात्रा को मिल रहे समर्थन से उत्साहित है। पार्टी ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बीच जंतर-मंतर पर नौ दिसंबर को राष्ट्रीय स्तर की रैली आयोजित करने की घोषणा की है। इस रैली में देशभर के किसान शामिल होंगे। सात दिसंबर से संसद सत्र शुरू हो रहा है। सत्र की शुरुआत में ही कांग्रेस पार्टी ने किसानों की मांग उठा दी है। आने वाले दिनों में भारत जोड़ो यात्रा, ऐसे कई बड़े राज्यों से गुजरेगी, जहां किसान आंदोलन का व्यापक असर रहा है। मंगलवार को अखिल भारतीय किसान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखपाल सिंह खैरा ने प्रधानमंत्री मोदी के नाम 14 मांगों वाला एक पत्र जारी किया है। पीएम मोदी से मांग की गई है कि वे कॉरपोरेट सेक्टर का 10 लाख करोड़ रुपये का ऋण माफ कर सकते हैं, तो किसानों का क्यों नहीं। देश का किसान कर्ज में डूबा है और आत्महत्या करने पर मजबूर है। सुखपाल सिंह खैरा का दावा है कि इस रैली में देशभर से भारी संख्या में किसान शामिल होंगे।
किसानों की मांगों पर कोई कदम नहीं उठाया
कांग्रेस पार्टी की भारत जोड़ो यात्रा, अब राजस्थान में है। उसके बाद यह यात्रा, उत्तर भारत के दूसरे राज्यों में पहुंचेगी। यात्रा की मजबूती के लिए पार्टी ने किसानों को साथ लेने की रणनीति बनाई है। यही वजह है कि अब संसद सत्र की शुरुआत में ही एक बड़ी रैली आयोजित करने की घोषणा कर दी है। सुखपाल सिंह खैरा कहते हैं कि देश के किसानों एवं खेतिहर मजदूरों की विकट समस्याओं के प्रति केंद्र सरकार उदासीन है। उनकी मांगों को अनदेखा किया जा रहा है। किसानों की समस्याओं के शीघ्र निराकरण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजा गया है। इसमें किसान आंदोलन का जिक्र भी हुआ है। आंदोलन को खत्म हुए लगभग एक वर्ष हो चुका है, लेकिन केंद्र सरकार ने किसानों की मांगों पर कोई कदम नहीं उठाया। ऐसी स्थिति में किसानों के लिए दोबारा से सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं बचा है।
समर्थन मूल्य जरुरी
अखिल भारतीय किसान कांग्रेस ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर विशाल रैली एवं प्रदर्शन करने की घोषणा की है। किसानों की मांगों में, कानूनी तौर से न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देना शामिल है। यह गारंटी स्वामीनाथन रिपोर्ट के आधार पर सभी फसलों के लिए C2+50 प्रतिशत के फॉर्मूले पर होनी चाहिए। केंद्र सरकार ने इस दिशा में जो कमेटी गठित की थी, उसे किसान पहले ही नकार चुका है। पुरानी कमेटी भंग की जाए, एमएसपी के लिए कानूनी तौर पर गारंटी देने के लिए नई कमेटी गठित हो। इसमें किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए। खेती की लागत बढ़ने और उत्पादन का सही मूल्य न मिलने के कारण, किसान कर्ज में डूबा है। वह आत्महत्या करने पर मजबूर है।
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