मई 2019 में चुनाव के ठीक पहले वाट्सएप ने सरकार को 121 लोगों की जासूसी की सूचना दी थी, सरकार ने कहा -सारी जानकारी तकनीकी थी
नई दिल्ली। वाट्सएप में सेंध लगाकर हुई भारतीयों की जासूसी में नया खुलासा हुआ है। वॉट्सऐप ने दावा किया है कि उसने मई 2019 में मोदी सरकार को भारतियों की जासूसी की सूचना दी थी। सरकार का कहना है कि वॉट्सऐप ने जो सूचनाएं दी थीं वे बहुत ही तकनीकी थीं ,उनमें डेटा चोरी करने या इजराइली सॉफ्टवेयर का कही कोई उल्लेख नहीं था। दूसरी तरफ कांग्रेस सहित विपक्ष ने इसे सरकार प्रायोजित जासूसी बताया है। विपक्ष का कहना है सरकार ने जानकारी के बावजूद जानबूझकर कोई कार्रवाई नहीं की।
वाट्सएप ने कहा कि इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाइवेयर ने 121 भारतीयों की सुरक्षा में सेंध लगाई है। ख़बरों के मुताबिक संख्या में बदलाव हो सकता है पर वाट्सएप ने सूचना दी ये सच है। वाट्सएप ने कहा कि मई से लेकर अब तक भारत सरकार ने एक बार भी उनसे कोई जानकारी नहीं मांगी। .सरकार ने उस समय कंपनी के मैसेज का जवाब तक नहीं दिया। मामला सामने आने के बाद इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय ने दो दिन पहले वॉट्सएप से जवाब माँगा हैं। मंत्रालय के नोटिस के बाद कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि उसने पेगासस स्पाइवेयर से लोगों के फोन की जासूसी किए जाने के मामले की जानकारी मई में ही भारत सरकार को दे दी थी।
बयान में कहा गया, मई में हमने बहुत ही जल्द सुरक्षा से जुड़े एक मामले को हल किया था। संबंधित भारतीय और अंतरराष्ट्रीय सरकारी अधिकारियों को सूचित किया था। उसने कहा, ‘हम भारत सरकार से सहमत हैं कि सुरक्षा को कमजोर करने का प्रयास करने वाले हैकर्स से उपयोगकर्ताओं को बचाने के लिए हम मिलजुल कर प्रयास करें। भारत में 1400 से ज्यादा पत्रकारों, वकीलों और बुद्धिजीवियों के फ़ोन में जासूसी सॉफ्टवेयर के जरिये डेटा और कॉल चोरी हुई है।
इधर सरकार ने अपने बचाव में कहा कि वाट्सएप ने मई में सीईआरटी-आईएन को जानकारी दी थी. यह पेगासस या डेटा में सेंध लगाने के किसी भी उल्लेख के बिना शुद्ध तकनीकी था। साझा की गई जानकारी केवल एक तकनीकी खामी के बारे में थी लेकिन इस तथ्य के बारे में कुछ भी नहीं था कि भारतीयों की गोपनीयता से समझौता किया गया था।