Punjab Haryana Water Dispute: पंजाब और हरियाणा के बीच पानी को लेकर तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है।
भाखड़ा नहर से हरियाणा को पानी दिए जाने के मुद्दे पर दोनों राज्यों की सरकारें आमने-सामने हैं।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि “पंजाब का पानी पंजाबियों के लिए है, इसे किसी और को नहीं दिया जाएगा।”
वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने इसे “AAP की घटिया राजनीति” करार देते हुए आरोप लगाया कि भगवंत मान की वजह से पानी पाकिस्तान चला जाएगा।
विवाद की गंभीरता को देखते हुए भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) के सचिव और वाटर रेगुलेशन डायरेक्टर को बदल दिया गया है।
हरियाणा को पानी नहीं देंगे- सीएम मान
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने नंगल डैम पर पहुंचकर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि “हमारे पास कोई अतिरिक्त पानी नहीं है। जो 4 हजार क्यूसिक पानी हरियाणा को दे रहे हैं, वह भी मानवता के आधार पर है। हरियाणा अपने कोटे का पानी मार्च में ही खत्म कर चुका है।”
सीएम मान ने केंद्र सरकार और बीजेपी शासित राज्यों पर निशाना साधते हुए कहा कि बीबीएमबी में पंजाब का 60% हिस्सा है, फिर भी बहुमत के बल पर हरियाणा को पानी देने का फैसला किया गया।
मुख्यमंत्री ने यह भी ऐलान किया कि इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक या विधानसभा सत्र बुलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि “पंजाब के डैम अपने स्तर से नीचे चल रहे हैं, ऐसे में पानी देना संभव नहीं।” भगवंत मान ने कहा कि यदि हरियाणा को अतिरिक्त पानी चाहिए तो वह पाकिस्तान का पानी रोककर हमें दे दें, फिर हम उसे पानी दे देंगे।
BBMB का फैसला और सचिवों की अदला-बदली
भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) की आपात बैठक में केंद्रीय बिजली मंत्री मनोहर लाल खट्टर के निर्देश पर हरियाणा को 8,500 क्यूसिक पानी देने का निर्णय हुआ।
पंजाब ने इसका कड़ा विरोध किया, जबकि हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान के प्रतिनिधि फैसले के पक्ष में थे।
इसके बाद BBMB में सचिव सुरिंदर सिंह मित्तल (हरियाणा कोटा) को हटाकर बलवीर सिंह (पंजाब कोटा) को नियुक्त किया गया।
इसी तरह पहले ही डायरेक्टर रेगुलेशन आकाशदीप सिंह (पंजाब कोटा) को हटाकर संजीव कुमार (हरियाणा कोटा) को नियुक्त किया गया था।
हरियाणा का जवाब, पानी की राजनीति बंद करें
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कहा कि AAP सरकार चुनावों को देखते हुए घटिया राजनीति कर रही है।
उन्होंने कहा, “पंजाब हमारा बड़ा भाई है। आज तक कभी पीने के पानी को लेकर विवाद नहीं हुआ। AAP सरकार लोगों को बांटने का काम कर रही है।”
सीएम सैनी ने कहा कि “हमारे घर पंजाब में हैं, वहां कैसे नहीं जाएंगे? अगर पंजाब प्यासा रहेगा तो हम अपने हिस्से का पानी देंगे।”
उन्होंने आरोप लगाया कि भगवंत मान ने फोन पर पानी देने का वादा किया था, अब मना कर रहे हैं।
वहीं, हरियाणा सरकार ने जल संकट से निपटने के लिए पांच सूत्रीय योजना भी बनाई है जिसमें पानी की खपत की समीक्षा, प्रति व्यक्ति 150 लीटर पानी का मानक तय करना, अलर्ट सिस्टम और वाटर स्रोतों की निगरानी शामिल है।
AAP का भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप
पंजाब सरकार ने केंद्र और हरियाणा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। वित्त मंत्री हरपाल चीमा और मंत्री अमन अरोड़ा ने कहा कि “पानी हमें अपने खून से भी ज्यादा प्यारा है। केंद्र सरकार BBMB के जरिए हरियाणा को पंजाब का पानी देकर विश्वासघात कर रही है।”
आम आदमी पार्टी ने बीजेपी नेताओं के खिलाफ पूरे पंजाब में प्रदर्शन की चेतावनी दी है। AAP सांसद, विधायक और कार्यकर्ता बीजेपी के दफ्तरों और घरों के बाहर धरने देंगे।
कैबिनेट मंत्री लाल चंद कटारूचक ने कहा, “BBMB से हरियाणा को अतिरिक्त पानी देना पंजाब के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। केंद्र सरकार किसानों से बदला ले रही है।”
वहीं, NRI मंत्री कुलदीप धालीवाल ने आरोप लगाया कि “पंजाबियों को प्यासा मारने की साजिश हो रही है।”
विपक्ष की प्रतिक्रिया और सियासत गरम
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने कहा, “अगर पानी की कमी है तो हम पंजाब के हित में सरकार के साथ हैं। पहले ही हम हरियाणा और दिल्ली को उनका हिस्सा दे चुके हैं।”
शिरोमणि अकाली दल ने भगवंत मान पर सवाल उठाते हुए कहा कि वे पानी को लेकर केवल दिखावा कर रहे हैं, उन्हें हरियाणा सीएम के आरोपों का जवाब सबूतों के साथ देना चाहिए।
मुख्यमंत्री मान ने भी अकाली दल और बीजेपी नेताओं पर तंज कसते हुए कहा, “बादलों को मोगे और नक्कों का क्या पता है। अब वफादारी परखने का वक्त है। या तो पंजाब के पक्ष में खड़े हो जाओ, या इस्तीफा दो।”
जल संकट पर और चढ़ेगा सियासी पारा
पंजाब और हरियाणा के बीच पानी का यह विवाद सिर्फ जल संकट नहीं, बल्कि राजनीतिक रणनीति, क्षेत्रीय अस्मिता और संसाधनों के अधिकार की लड़ाई बन गया है।
एक ओर जहां पंजाब अपनी जल क्षमता की सीमाओं का हवाला देकर पानी देने से इनकार कर रहा है, वहीं हरियाणा पानी को जीवनरेखा बताते हुए अपने हिस्से का दावा कर रहा है।
इस बीच केंद्र सरकार की भूमिका और बीबीएमबी के फैसले ने आग में घी डालने का काम किया है।
आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सियासी पारा और चढ़ने की संभावना है।
क्या समाधान बातचीत से निकलेगा या मामला अदालत तक जाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
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