Scindia Digvijay Kamal Nath: मध्यप्रदेश की राजनीति में एक बार फिर 2020 में गिरी कमलनाथ सरकार को लेकर बयानबाजी तेज हो गई है।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के हालिया बयान के बाद कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच पुराने मतभेद चर्चा में हैं।
इस विवाद ने यह साफ कर दिया है कि सत्ता परिवर्तन के पीछे की अंदरूनी कलह आज भी कांग्रेस और बीजेपी के लिए सियासी हथियार बनी हुई है।
कमलनाथ-सिंधिया में तालमेल नहीं बना- दिग्विजय
दिग्विजय सिंह ने एक इंटरव्यू में बताया कि 2018 में कांग्रेस सरकार बनने के बाद कमलनाथ और सिंधिया के बीच काम करने के तौर-तरीकों पर जो सहमति बनी थी, उसका पालन नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में जिस तरह से दोनों नेताओं की सहमति से काम होना था, उस पर अमल नहीं हुआ।
दिग्विजय के मुताबिक, इस वजह से ही नाराजगी बढ़ी और सरकार खतरे में आ गई।
उन्होंने बताया कि वे लगातार इस मतभेद को दूर करने की कोशिश करते रहे।
यहां तक कि एक उद्योगपति के घर बैठक और डिनर तक हुआ, जिसमें मामला सुलझाने के प्रयास किए गए। लेकिन आपसी मनमुटाव दूर नहीं हो सका।
दिग्विजय ने साफ कहा कि उनके पास सरकार गिरने की आशंका को लेकर जानकारी थी और उन्होंने चेतावनी भी दी थी।
सिंधिया को लगता था दिग्गी चला रहे सरकार- कमलनाथ
दिग्विजय सिंह के बयान पर कमलनाथ ने X (ट्विटर) पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि पुरानी बातों को उखाड़ने का कोई फायदा नहीं है।
लेकिन सच्चाई यह है कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा और यह धारणा कि सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं, सिंधिया की नाराजगी का कारण बनी।
मध्य प्रदेश में 2020 में मेरे नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिरने को लेकर हाल ही में कुछ बयानबाजी की गई है।
मैं सिर्फ़ इतना कहना चाहता हूँ कि पुरानी बातें उखाड़ने से कोई फ़ायदा नहीं। लेकिन यह सच है कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के अलावा श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को यह लगता था कि…
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) August 24, 2025
कमलनाथ आरोप लगाया कि इसी कारण सिंधिया ने कांग्रेस के विधायकों को तोड़ा और बीजेपी में शामिल हो गए, जिससे उनकी सरकार अल्पमत में आकर गिर गई।
उन्होंने ने यह भी कहा कि 2020 की घटना को बार-बार उठाने का कोई अर्थ नहीं है, क्योंकि जनता सब जानती है।
लेकिन इस बयानबाजी ने एक बार फिर उस दौर की याद ताजा कर दी, जब डेढ़ साल पुरानी कांग्रेस सरकार का पतन हुआ था।
सिंधिया ने अतीत की बात कहकर टाला विवाद
इधर दिग्विजय सिंह के बयान और कमलनाथ के पलटवार के बीच, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस विवाद में खुद को सीधे तौर पर शामिल नहीं किया।
गुना दौरे के दौरान पत्रकारों के सवाल पर उन्होंने कहा कि वे अतीत की बातों में नहीं पड़ना चाहते।
इस बयान से साफ है कि सिंधिया फिलहाल इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी से बचना चाहते हैं।
इस पूरे विवाद पर बीजेपी ने तुरंत कांग्रेस पर हमला बोला।
पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने X पर लिखा कि अब सच्चाई सबके सामने आ चुकी है।
उनके अनुसार, कमलनाथ सरकार पर माफियाओं और भ्रष्टाचार का शिकंजा था।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार में गुटबाजी और अव्यवस्था चरम पर थी, इसलिए ही सिंधिया ने सरकार बदलने का फैसला लिया।
आशीष अग्रवाल ने व्यंग्य करते हुए दिग्विजय सिंह को कांग्रेस की गुटबाजी का सबसे बड़ा कारण बताया।
कैसे गिरी कमलनाथ सरकार?
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 114 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सरकार बनाई थी।
भाजपा को 109 सीटें मिलीं, जबकि बसपा के पास 2, सपा के पास 1 और 4 निर्दलीय विधायक थे।
बसपा, सपा और निर्दलियों के समर्थन से कमलनाथ के नेतृत्व में सरकार बनी।
लेकिन मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी में शामिल हो गए।
इससे कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई। कमलनाथ ने 20 मार्च 2020 को विधानसभा में बहुमत परीक्षण से पहले इस्तीफा दे दिया और सरकार गिर गई।
इसके बाद बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार बनाई।
बाद में हुए उपचुनावों में सिंधिया समर्थकों को बीजेपी टिकट मिला और ज्यादातर सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज कर अपनी सरकार मजबूत कर ली।
कांग्रेस में गुटबाजी बनी कमजोरी
मध्यप्रदेश में कांग्रेस लंबे समय से गुटबाजी से जूझ रही है।
दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और सिंधिया तीन बड़े चेहरों के बीच तालमेल की कमी को खुद कांग्रेस नेताओं ने भी स्वीकार किया है।
दिग्विजय सिंह के हालिया बयान और कमलनाथ की प्रतिक्रिया इस बात का सबूत हैं कि पुराने जख्म पूरी तरह भरे नहीं हैं।
भले ही सिंधिया इस विवाद को अतीत की बात कहकर टाल रहे हों, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही इस मुद्दे का राजनीतिक इस्तेमाल कर रहे हैं।
कांग्रेस को जहां गुटबाजी से उबरने की चुनौती है, वहीं बीजेपी 2020 के सत्ता परिवर्तन को अपनी उपलब्धि के रूप में पेश करती रही है।
यह भी साफ है कि कांग्रेस के भीतर पुराने मतभेद आज भी पूरी तरह खत्म नहीं हुए हैं और बीजेपी इसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
You may also like
-
साक्षात्कार … मैं सिर्फ अखिलेश से मिलूंगा….. जब मेरी पत्नी ईद पर अकेली रो रही थी, तो क्या कोई भी आया ?’
-
#BiharElection… औरतों के नाम खूब कटे, नीतीश की चिंता बढ़ी
-
सपा में फिर एकजुटता का संदेश: जेल से छूटने के बाद आजम खान-अखिलेश यादव की पहली मुलाकात
-
UN में भारत ने बंद की पाक की बोलती: कहा- जिनकी सेना 4 लाख महिलाओं से दुष्कर्म करे, उन्हें दूसरों को सिखाने का हक नहीं
-
रायबरेली मॉब लिंचिंग: राहुल गांधी बोले- यह एक इंसान की नहीं बल्कि इंसानियत, संविधान और न्याय की हत्या