आखिर मोदी सरकार ने क्यों बोला रामसेतु का कोई सुबूत नहीं
Top Banner Featured देश

आखिर मोदी सरकार ने क्यों बोला रामसेतु का कोई सुबूत नहीं

ये 18 हजार साल पुराना है भारत से लंका को जोड़ने वाले रामसेतु का इतिहास , समंदर में इसके अवशेष है या सेतु दावे से कुछ भी नहीं कह सकते

दिल्ली। सड़कों पर और राजनीतिक बहस के बीच एक बड़ी खबर संसद से निकली। रामसेतु को लेकर। भाजपा हमेशा मंचों पर रामसेतु के होने का दावा करती है। साथ ही कांग्रेस पर आरोप लगाती है कि कांग्रेस रामसेतु का अस्तित्व मानने से इंकार करती है। पर सदन में मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने भी माना कि रामसेतु के होने की कोई पुष्टि उनके पास नहीं है, न ही कोई पुख्ता साक्ष्य है।

सरकार ने संसद में कहा है कि भारत और श्रीलंका के बीच रामसेतु के पुख्ता साक्ष्य नहीं हैं। स्पेस मिनिस्टर जितेंद्र सिंह गुरुवार को भाजपा सांसद कार्तिकेय शर्मा के रामसेतु पर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा- जिस जगह पर पौराणिक रामसेतु होने का अनुमान जाहिर किया जाता है, वहां की सैटेलाइट तस्वीरें ली गई हैं। छिछले पानी में आइलैंड और चूना पत्थर दिखाई दे रहे हैं, पर यह दावा नहीं कर सकते हैं कि यही रामसेतु के अवशेष हैं।

रामसेतु पर मंत्री बोले – 18 हजार साल पुराना इतिहास, हमारी भी सीमाएं हैं

जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में कहा, ‘टेक्नोलॉजी के जरिए कुछ हद तक हम सेतु के टुकड़े, आइलैंड और एक तरह के लाइम स्टोन के ढेर की पहचान कर पाए हैं। हम यह नहीं कह सकते हैं कि यह पुल का हिस्सा हैं या उसका अवशेष हैं।’ उन्होंने कहा- मैं यहां बता दूं कि स्पेस डिपार्टमेंट इस काम में लगा हुआ है। रामसेतु के बारे में जो सवाल हैं तो मैं बताना चाहूंगा कि इसकी खोज में हमारी कुछ सीमाए हैं। वजह यह है कि इसका इतिहास 18 हजार साल पुराना है और, अगर इतिहास में जाएं तो ये पुल करीब 56 किलोमीटर लंबा था।

तूफ़ान में डूब गया रामसेतु
भारत के दक्षिणपूर्व में रामेश्वरम और श्रीलंका के पूर्वोत्तर में मन्नार द्वीप के बीच चूने की उथली चट्टानों की चेन है। इसे भारत में रामसेतु और दुनियाभर में एडम्स ब्रिज (आदम का पुल) के नाम से जाना जाता है। इस पुल की लंबाई लगभग 30 मील (48 किमी) है । यह पुल मन्नार की खाड़ी और पाक जलडमरू मध्य को एक दूसरे से अलग करता है। इस इलाके में समुद्र बेहद उथला है। जिससे यहां बड़ी नावें और जहाज चलाने में खासी दिक्कत आती है।

कहा जाता है कि 15 शताब्दी तक इस ढांचे पर चलकर रामेश्वरम से मन्नार द्वीप तक जाया जा सकता था, लेकिन तूफानों ने यहां समुद्र को कुछ गहरा कर दिया जिसके बाद यह पुल समुद्र में डूब गया। 1993 में नासा ने इस रामसेतु की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की थीं जिसमें इसे मानव निर्मित पुल बताया गया था।

Leave feedback about this

  • Quality
  • Price
  • Service

PROS

+
Add Field

CONS

+
Add Field
Choose Image
Choose Video

X