अपने परिवार की मौत से रो पड़ा मसूद अज़हर कि

अपने परिवार की मौत से रो पड़ा मसूद अज़हर कि

OPERATION SINDOOR-जिंदा बचने का मातम मना रहा मसूद अजहर- जारी किया मातम भरा खत

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कई लोगों की जान अब तक ले चुका मसूद अज़हर अपने परिवार

के लोगों की मौत से इतना आहत हुआ कि रो पड़ा।

उसने एक मातम भरा पत्र भी जारी किया है ।

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OPERATION SINDOOR: भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान को जवाब देने के लिए ऑपरेशन सिंदूर चलाया। इस ऑपरेशन ने आतंकियों के 9 ठिकानों को ढ़ेर कर दिया है। जिसमें आतंकी मसूद अजहर का ठिकाना भी ढेर कर दिया गया है। उसके परिवार के 14 लोग इसमें मरे गए। जिससे उसके परिवार में मातम पसर गया है। इसके बाद मसूद अज़हर का बयान आया है- काश! मैं भी उनमें शामिल होता। OPERATION SINDOOR-जिंदा बचने का मातम मना रहा मसूद अजहर- जारी किया मातम भरा खत

मातम मना रहा मसूद अजहर

ऑपरेशन सिंदूर में आतंकी मसूद अजहर के ठिकाने को भी ढ़ेर कर दिया गया है, जिससे उसके परिवार में मातम पसर गया है। ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए परिवार के लोगों के लिए मातम मनाते हुए मसूद अजहर की ओर से एक सार्वजनिक पत्र जारी कर बयान दिया गया है। OPERATION SINDOOR-जिंदा बचने का मातम मना रहा मसूद अजहर- जारी किया मातम भरा खत

मसूद का पत्र

मुल्क के मालिक के मेहमान – शहादत का अमर सौभाग्य

हज़रत मौलाना हकीम मोहम्मद अख्तर (रह.) के सार्वजनिक पत्र पर आधारित

दिनांक 7 मई, 2025 की रात एक ऐसी रात थी, जो हमेशा के लिए दर्ज हो गई। यह रात कुछ लोगों के लिए अल्लाह की बारगाह में बुलावा लेकर आई। वे लोग अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनका दर्जा, उनका मुकाम आज भी ज़िंदा है- वे अब ‘मालिक-ए-मुल्क’ यानी अल्लाह के खास मेहमान बन गए हैं।

“बुझदिल मोदी ने मासूम बच्चों, पर्दानशीन महिलाओं और बुजुर्गों को निशाना बनाया। दुख और सदमा, इतना कि बयान नहीं किया जा सकता, लेकिन न अफ़सोस, न निराशा, न डर है, न हिचक है। बल्कि बार-बार दिल में आता है कि मैं भी इस “चौदह सदस्यीय खुशनसीब कारवां” में शामिल हो जाता। लेकिन अल्लाह से मिलने का वक्त होता है, इसमें आगे-पीछे नहीं हो सकता।”

क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाते हैं कि जो लोग उसकी राह में शहीद होते हैं, वे मरे नहीं होते, बल्कि वे ज़िंदा होते हैं। वे अल्लाह के दरबार में इज़्ज़त के साथ रहते हैं। वे ऐसे मेहमान होते हैं, जिन्हें अल्लाह खुद अपने पास बुलाता है।

इस रात, हमारे कुछ अज़ीज़ रिश्तेदारों और मासूम बच्चों को भी यह सौभाग्य नसीब हुआ। पांच मासूम बच्चे, जो अभी जिंदगी की शुरुआत में थे, वे जन्नत के फूल बन गए। मेरी बड़ी बेटी, जो मेरी जान से प्यारी थी, उसका इंतिकाल हो गया। उनका शौहर, एक आलिम और नेक इंसान भी इस काफिले में शामिल हो गया। मेरी भांजी, जो सच्ची, पाक और ईमानदार थी, और हमारे एक करीबी भाई के वालिद, सभी अब अल्लाह के दरबार में अमर हो गए हैं।

हमारे समाज में जब कोई बड़ा हादसा होता है, तो अक्सर आंकड़ों में गुम हो जाते हैं वे चेहरे, जो अब हमारे बीच नहीं होते। लेकिन इस हादसे ने हमें यह अहसास कराया कि ये सब महज़ संख्या नहीं थे। ये फूल थे, जो अभी खिले भी नहीं थे। ये वो लोग थे, जिनके साथ हमारी उम्मीदें, हमारा प्यार और हमारी दुआएं जुड़ी थीं।

इस दर्दनाक हादसे का सबसे अफसोसनाक पहलू यह है कि यह सब एक ज़ालिम शासन के ज़ुल्म की वजह से हुआ। मासूम बच्चों, औरतों, बुज़ुर्गों और आम नागरिकों को जानबूझ कर निशाना बनाना एक ऐसा अपराध है, जिसे इंसानियत कभी माफ़ नहीं कर सकती। इस कदर बेरहमी, निर्दयता और नफ़रत का नंगा नाच एक सभ्य समाज के लिए कलंक है।

इस हादसे में एक घर के चार बच्चे- जिनकी उम्र महज़ तीन से सात साल के बीच थी- एक ही पल में इस दुनिया से रुख़सत हो गए। उनके मां-बाप अब अकेले रह गए। यह ऐसी टूटन है, जिसकी कोई मिसाल नहीं दी जा सकती। लेकिन वही मां-बाप आज अल्लाह से यह तसल्ली पा रहे हैं कि उनके बच्चे जन्नत में अल्लाह के सबसे करीबी मेहमान बन चुके हैं।

यह हादसा अगर एक तरफ घोर पीड़ा है, तो दूसरी ओर सब्र, इमानी यक़ीन और शहादत की ऊंचाई का पैग़ाम भी है। यह हादसा हमें यह समझाता है कि अल्लाह जिन्हें चाहता है, उन्हें अपनी राह में बुला लेता है- और उनकी मौत को ज़िंदगी में बदल देता है।

हमारे लिए यह भी सबक है कि हम दुनिया की ज़ालिम सियासतों से डरें नहीं, बल्कि उन्हें बेनकाब करें। हम हर शहीद की याद को ज़िंदा रखें, ताकि जुल्म कभी अपनी जीत का जश्न न मना सके।

आज, इन शहीदों की नमाज़े जनाज़ा अदा की जाएगी। चार मासूम बच्चों और सात कुल लोगों के लिए यह आख़िरी नमाज़ है, लेकिन यह आख़िरी नहीं — यह अल्लाह की रहमतों के दरवाज़े की शुरुआत है। हमें चाहिए कि इस मौके पर खुद को ईमान, सब्र और मग़फिरत से भर लें। दुआ करें कि अल्लाह इन सभी को अपने नूर से भर दे और जन्नत में ऊँचा दर्जा दे।

आज का दिन सिर्फ शोक का नहीं, बल्कि सोच का भी है। क्या हम ऐसे हालात के ख़िलाफ़ खड़े हो सकते हैं? क्या हम मासूमों की कुर्बानी को बेमानी होने देंगे?

इन सवालों के बीच हम दुआ करते हैं-

ऐ अल्लाह! हमारे नबी मुहम्मद (स.अ.व.) पर दरूद व सलाम नाज़िल फ़रमा। हमें भी उन लोगों में शामिल कर, जिन्हें तू अपना बना ले।

मसूद अजहर 2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले, 2016 के पठानकोट एयरबेस अटैक, और 2019 के पुलवामा हमले जैसे कई बड़े आतंकी वारदातों में शामिल रहा है। भारत ने उसे ‘मोस्ट वांटेड’ आतंकवादी घोषित किया है और उसके खिलाफ कई बार पाकिस्तान से कार्रवाई की मांग की है।

पाकिस्तान के प्रतिबंधित संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर ने इस बात की पुष्टि की है कि बहावलपुर स्थित मस्जिद पर भारतीय वायुसेना के ऑपरेशन सिंदूर में उसके परिवार के 10 सदस्यों और चार करीबी साथियों की मौत हुई है ।

कांधार विमान हाईजैक का मास्टरमाइंड मसूद

मसूद अजहर पहली बार 29 जनवरी,1994 को दिल्ली पहुंचा था। उसके बाद वह फेक पहचान बनाकर श्रीनगर में घुस गया था। इस बीच भारत ने उसे आतंकी गतिविधियों में शामिल

होने के लिए अनंतनाग से गिरफ्तार कर लिया था।

24 दिसंबर 1999 को अजहर के भाई और उसके आतंकी साथियों ने काठमांडू से दिल्ली आ रहे एक इंडियन प्लेन को हाईजैक कर लिया। प्लेन को अफगानिस्तान के कांधार ले जाया

गया, जो उस वक्त तालिबान के कब्जे में था। बदले में उन्होंने मसूद अजहर और दो और आतंकियों को छोड़ने की मांग की। लोगों की जान बचाने के लिए भारत सरकार को उनकी बात

माननी पड़ी और मसूद अजहर को छोड़ना पड़ा। अजहर रिहा होते ही पाकिस्तान भाग गया।

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