पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राजीव गांधी की जयंती पर राजीव के हिंदुत्व और मंदिर निर्माण में बड़ी भूमिका का विज्ञापन देकर हिंदुत्व की राजनीति का रुख मोड़ दिया, कमलनाथ वैसे भी पुराने हनुमान भक्त हैं।
कुमार दिग्विजय
हनुमानभक्त कमलनाथ राम मंदिर को लेकर इतने खुले तौर पर सामनेआयेंगे,इसकी कल्पना भाजपा ने कभी नही की होगी। दरअसल राम मंदिर को मुद्दा बनाकर सत्ता के शीर्ष तक का सफर तय करने वाली भारतीय जनता पार्टी पिछले कुछ दिनों से हैरान हैऔर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के तेवरों को देखकर परेशान भी है। राम मंदिर के भूमिपूजन के ठीक पहले 4 अगस्त को हनुमान चालीसा का उद्घोष मध्यप्रदेश के कोने कोने में सुनाई दिया।
कमलनाथ ने राम मंदिर को लेकर साफ कहा था कि इसकी शुरुआत तो राजीव गाँधी के कार्यकाल में ही हो गई थी और इसका श्रेय राजीव गाँधी को ही दिया जाना चाहिए। इसका असर पूरे मध्यप्रदेश में दिखाई दिया, कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने एकजुटता से गाँव गाँव समारोहपूर्वक हनुमान पाठ करवाए। इस समय मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा पर कांग्रेसने बढ़त ले ली।
अब राजीव गाँधी की जयंती पर एक बार फिर कमलनाथ की फोटो के साथ जो विज्ञापन जारी हुआ है,उसमे कांग्रेस ने राम राज्य की कल्पना को लेकर खुले तौर पर अपनी भावनाओं का इजहार किया है। विज्ञापन में राजीव गाँधी को याद करके लिखा गया है कि राजीव गांधी के समय में ही रामराज्य की नींव रखने की कवायद शुरू हो चुकी थी। उस समय ही राजीव गांधी ने भारतीयों की आस्था और धार्मिकता का सम्मान किया था। कांग्रेस ने इस बात को भी विज्ञापन में शामिल किया है कि महात्मा गांधी के रामराज्य की भावना का प्रभाव राजीव गांधी पर पड़ा था जिसके कारण ही 1985 में दूरदर्शन पर रामायण का टेलीकास्ट शुरू हुआ था।
इसके बाद ही 1986 में यूपी के तत्कालीन सीएम वीरबहादुर सिंह को राम जन्मभूमि के ताले खोले थे और 1989 में राममंदिर शिलान्यास को इजाजत मिली तथा तत्कालीन गृहमंत्री बूटा सिंह को इसके लिए भेजा गया। इतना ही नहीं यह भी बताया गया है कि चेन्नई में राजीव गांधी ने अपनी अंतिम प्रेस कांफ्रेस में कहा था कि अयोध्या में ही राममंदिर बनेगा।
कांग्रेस ने राजीव गांधी को नवोदय स्कूल खोलने का श्रेय देते हुए बताया है कि राजीव गांधी रामराज्य की गतिशील यात्रा के कुशल सारथी थे जो आधुनिक भारत में राम राज्य का सपना देखते थे। विज्ञापन को लेकर कांग्रेस का राम मंदिर और राम राज्य को लेकर खुले तौर स्वीकारोक्ति से यह भी साफ हो गया है कि अब कांग्रेस हिंदुत्व को लेकर भाजपा के सामने है।
पुराने हनुमान भक्त है कमलनाथ
ऐसा भी नही है कि कांग्रेस यह सिर्फ दिखावे के लिए कर रही है क्योंकि कमलनाथ हनुमान भक्त है और उन्होंने अपने गृह जिला छिंदवाड़ा में भगवान हनुमान की एक विशाल मूर्ति स्थापित की हुई है। यह देश की सबसे ऊंची हनुमान प्रतिमाओं में से एक है जो प्रदेश के छिंदवाड़ा जिला मुख्यालय से 15 किमी सिमरिया के मंदिर में है।
इस हनुमान प्रतिमा की ऊंचाई लगभग 101 फीट की है। मंदिर के रखरखाव के लिए छिंदवाड़ा मंदिर ट्रस्ट भीबनाया,जिसकी मुख्य ट्रस्टी सांसद कमलनाथ की पत्नी अलका नाथ हैं।
कमलनाथ जब मुख्यमंत्री बने तब भी उन्होंने हनुमान भक्ति को लेकर अपनी भावनाओं का खुलकर इजहार किया था और इस साल जनवरी में हनुमान जयंती पर भोपाल के मिन्टों हाल में एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन कर इसका सीधा प्रसारण दुनिया के कई देशों में किया गया था।
इसके पहले 2018 विधानसभा चुनाव के समय से ही कमलनाथ को हनुमान भक्त बताया गया था और सरकार बनने के बाद राम वन गमन पथ योजना हो, गौशालाओं के निर्माण की योजना हो या मंदिरों के सौंदर्यीकरण की योजना हो, कांग्रेस ने खुद को हिंदुत्व से दूर नहीं होने दिया
नेहरू ने सोमनाथ का जीर्णोद्धार कराया, पर कांग्रेस ने कभी प्रचार नहीं किया
अभी तक कांग्रेस नेताओं का धर्म को लेकर सार्वजनिक प्रदर्शन और बयानबाज़ी नकरने का एक कारण यह भी रहा कि आज़ादी के आन्दोलन में सबकी भागीदारी रही और इसीलिए सबका सम्मान करने के लिए कांग्रेस नेताओं ने आस्था कोउदारता पूर्वक स्वयं तक सीमित रखा। महमूद गजनवी द्वारा तोड़े गये सोमनाथमंदिर का जीर्णोद्धार पंडित नेहरु के कार्यकाल में ही हो गया था,लेकिन कांग्रेस ने कभी इसे चुनावी मुद्दा नही बनाया। कुल मिलाकर अभी तक हिंदुत्व को लेकर कांग्रेस पर हमलावर रहनेवाली भाजपा हैरान है की यदि यह मुद्दा उनके हाथ से निकल गया तो मुकाबले में कांग्रेस बहुत आगे निकल जायेगी।
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