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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने एक दम नया कदम उठाया है। एलजीबीटी समुदाय पर बातें तो सब करते हैं, पर उन्हें अपने बराबर जगह देने की हिम्मत दिखाई शरद पवार की राकांपा ने। एलजीबीटी कम्युनिटी के लिए एक अलग सेल पार्टी ने बनाया। ऐसा करने वाली वह देश की पहली पार्टी बन गई।
मुंबई में सोमवार को बारामती से सांसद सुप्रिया सुले और पार्टी अध्यक्ष जयंत पाटिल ने ट्रांसजेंडर प्रिया पाटिल को इस सेल का अध्यक्ष बनाया। विरार स्टेशन के प्लेटफार्म पर एक साल गुजारने के बाद राजनीति में आने की प्रिया की कहानी में कई मोड़ और पड़ाव है।
13 की उम्र में मां ने निकाला, फिर प्लेटफार्म पर रही प्रिया
मुंबई के विरार में एक लड़के के रूप में उसका जन्म हुआ। बेटे की ख़ुशी जैसे जश्न भी हुए। 9 साल की उम्र में उसे ऐसा लगा कि वह आम बच्चे से कुछ अलग हैं। पिता को समाज का डर लगा और वो उसे छोड़कर चले गए। जैसे तैसे मुश्किलों से चार साल कटे। 13 की उम्र में समाज के साथ मां भी खिलाफ हो गई।
मां ने धक्का देकर उन्हें घर से बाहर निकाल दिया। प्रिया पाटिल ने बताया कि घर से निकलने के बाद वे मुंबई के विरार रेलवे स्टेशन पर आ गईं। यहां करीब एक साल तक रहीं। कई बार दो-तीन दिन तक खाना नहीं मिलता । लोगों की जूठन खाई और यौन उत्पीड़न का शिकार भी हुईं। 2002 में ट्रांसजेंडर कम्युनिटी से जुड़े कुछ लोगों से मुलाकात हुई हुई और पेट भरने के लिए उनके साथ ट्रेन में भीख मांगना, लोगों के घरों में बधाइयां देने जैसे काम शुरू किए।
दोस्त की मौत के बाद पॉलिटिक्स में आई
प्रिया ने बताया कि ट्रेन में भीख मांग कर काम करने वाली उनकी एक दोस्त एक दिन पुलिस से बचने के लिए ट्रेन के ऊपर चढ़ गई और ओवरहेड वायर की चपेट में आकर बुरी तरह से झुलस गई। इस घटना के बाद वह 8 दिनों तक हॉस्पिटल में रहीं और सही ढंग से इलाज नहीं मिलने के कारण उसकी मौत हो गई। इसके बाद ही प्रिया ने फैसला लिया कि राजनीति के जरिये ही ये हालात बदले जा सकते हैं। इसके बाद वह पहले एक एनजीओ से जुड़ीं और फिर साल 2017 में बीएमसी से चुनाव लड़ा। इसमें हार हुई। मार्च 2019 में उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की।
प्रिया की सोच पर सुप्रिया ने बनाई सेल
समुदाय से जुड़े लोगों तक आर्थिक मदद पहुंचाने के साथ उन्होंने आगे ऐसा न हो इसलिए बारामती से सांसद सुप्रिया सुले से मुलाकात की और पार्टी में ट्रांसजेंडर सेल शुरू करने का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव को और आगे बढ़ाते हुए सुप्रिया सुले ने इसमें एलजीबीटी कम्युनिटी से जुड़े लोगों को शामिल करने की बात कही। इस तरह से देश का पहला एलजीबीटी सेल बनकर तैयार हुआ।
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