इंदौर। मध्यप्रदेश के उपचुनावो में अब स्थिति साफ़ हो गई है। 28 सीटों में से 20 पर भाजपा ने निर्णायक बढ़त बना ली है। सात पर कांग्रेस आगे है, तो दो सीटों पर बसपा। गद्दार, बिकाऊ जैसे नारे खूब गूंजे पर वोट सभी बागियों ने जमकर बटोरे। इस चुनाव ने ये भी साफ़ कर दिया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत जनता की निगाह में गलत नहीं है।
बम्पर वोटिंग के बाद ये कयास लगाए गए कि ये शिवराज के खिलाफ सत्ता विरोधी मत हैं। पर ऐसा नहीं निकला। दरअसल, ये बम्पर वोटिंग भाजपा के समर्पित मतदाता की रही जिसने भाजपा के प्रत्याशी को वोट दिया। इसने ये भी साबित किया कि भाजपा के मतदाता चेहरे पर नहीं कमल के फूल पर वोट देते है। यदि वे चेहरा देखते तो बहुत संभव है परिणाम उलट होते।
शिवराज सरकार के 14 में से 12 मंत्री तगड़ी बढ़त बनाये हुए हैं। सिंधिया अपना गढ़ ग्वालियर तो बचाते साफ दिखाई दे रहे है। लेकिन चंबल में उन्हें एक सीट पर ही बढ़त मिली है। दो मंत्री एंदल कंसाना और गिर्राज दंडोतिया पिछड़ते दिख रहे हैं। इस चुनाव से शिवराज मजबूत हुए पर सिंधिया कमजोर दिख रहे हैं।
सिंधिया के बीस समर्थकों में से 13 जीतते हुए दिख रहे हैं। सात पर कांग्रेस आगे हैं। कांग्रेस 28 में से जिन सात सीटों पर आगे है, वो सभी सिंधिया के इलाके की है। इसमें से चम्बल सात सीटों में से पांच पर कांग्रेस आगे है।
सिंधिया समर्थक प्रत्याशी, जो अभी आगे चल रहे हैं
राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, बदनावर
तुलसी सिलावट, सांवेर
डॉ. प्रभुराम चौधरी, सांची
इमरती देवी, डबरा
प्रद्युम्न सिंह तोमर, ग्वालियर
मुन्नालाल गोयल, ग्वालियर पूर्व
गोविंद सिंह राजपूत, सुरखी
रणवीर जाटव, गोहद
महेंद्र सिंह सिसौदिया, बमोरी
जजपाल सिंह जज्जी, अशोकनगर
बिजेंद्र सिंह यादव, मुंगावली
मनोज चौधरी, हाटपिपल्या
सुरेश धाकड़, पोहरी
सिंधिया समर्थक प्रत्याशी, जो अभी पीछे चल रहे हैं
रघुराजसिंह कंषाना, मुरैना
गिर्राज सिंह दंडोतिया, दिमनी
कमलेश जाटव, अंबाह
सूबेदार सिंह, जौरा
जसवंत सिंह जाटव, करैरा
ओपीएस भदौरिया, मेहगांव
रक्षा सिरोनिया, भांडेर
You may also like
-
छह करोड़ खर्च करके अमेरिका ने 104 भारतियों को जबरिया भारत भेजा
-
दिल्ली चुनाव .. कौन बड़ा हिंदूवादी भाजपा या आप ? आप भी विहिप के हथियार वितरण में हुआ शामिल
-
केंद्रीय मंत्री चिराग पर एफआईआर की तलवार- पायल मोदी का हॉस्पिटल से वीडियो-जान देने के अलावा कोई चारा नहीं बचा
-
एसटी एससी क्रीमीलेयर के बिना इंसाफ नामुमकिन
-
13 साल वाली बच्ची को संन्यास दिलाने वाले महंत कौशल गिरि 7 साल के लिए निष्कासित