नई दिल्ली। बिहार में शुरुवाती दो घंटों में कांग्रेस-राजद गठबंधन स्पष्ट बहुमत लेते दिख रहा था। फिर अचानक एनडीए ने भी तेज़ी पकड़ी और एक घंटे में दोनों दल बराबरी पर खड़े दिख रहे हैं। 243 सदस्यों वाले बिहार विधानसभा चुनाव के सभी 243 सीटों के आए रुझान में महागठबंधन 112 और एनडीए 112 सीटों पर आगे चल रही है। इधर मध्यप्रदेश में भाजपा 28 सीटों में से 16 पर आगे दिखाई दे रही है, कमलनाथ का दावा है कि एक घंटा रुकिए परिणाम हमारे पक्ष में होंगे। क्या बिहार की तरह मध्यप्रदेश में भी भाजपा-कांग्रेस के बीच बराबरी की पकड़ होगी।
बिहार में एनडीए में भाजपा को 62, जदयू 41 और हम व वीआईपी सात सीटों पर आगे चल रही हैं. जदयू को 31 सीटों का बड़ा नुकसान होता दिख रहा है। वहीं, महागठबंधन में राजद 72, कांग्रेस 29, माकपा पांच और भाकपा (माले) आठ सीटों पर आगे है। वहीं, लोजपा दस सीटों पर आगे चल रही है और अगर यह ट्रेंड बरकरार रहता है तो लोजपा सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकती है।
राज्य में सरकार बनाने के लिए 122 सीटों के बहुमत को हासिल करना होगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा का वर्तमान कार्यकाल 29 नवंबर को खत्म हो रहा है।
जबरदस्त सत्ताविरोधी लहर के साथ लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों द्वारा सामना की गई समस्याओं और विपक्ष द्वारा उठाए गए बेरोजगारी के मुद्दे के कारण 69 वर्षीय नीतीश कुमार के चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की उम्मीदें धुंधली नजर आ रही है। वह इसे अपना आखिरी चुनाव भी बता चुके हैं। वहीं कई एग्जिट पोल के अनुसार राजद नीत विपक्षी महागठबंधन को सत्तारूढ़ एनडीए पर बढ़त मिलती दिख रही है।
कम से कम तीन एग्जिट पोल में महागठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलने का अनुमान लगाया गया है। इससे 31 वर्षीय तेजस्वी यादव देश के किसी पूर्ण राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री बन सकते हैं। इस बार एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने वाली 37 वर्षीय चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोजपा पूरे चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर ही हमलावर रही।
उसने जहां चुनाव बाद भाजपा के साथ सरकार बनाने का दावा किया वहीं महागठबंधन के खिलाफ कोई आक्रामक रवैया नहीं अपनाया। एक्जिट पोल में भी ऐसा अनुमान लगाया गया है कि लोजपा ने जदयू को नुकसान पहुंचाया है।
तीन चरणों वाले चुनाव में कुल 3733 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें 371 महिलाएं थीं। पहले चरण में 16 जिलों की 71 विधानसभा सीटों पर, दूसरे चरण में 17 जिलों की 94 विधानसभा सीटों पर और तीसरे चरण में 15 जिलों की 78 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हुई। पहले चरण में जहां 55.68 फीसदी, दूसरे चरण में 55.70 फीसदी और तीसरे चरण में 60 फीसदी मतदान हुआ।
भाजपा ने जहां 116, जदयू ने 110, हम सात और वीआईपी 11 सीटों पर चुनाव लड़ी. वहीं, लोजपा ने 143 सीटों पर चुनाव लड़ा। महागठबंधन में इस बार राजद और कांग्रेस के अलावा माकपा, भाकपा और भाकपा (माले) भी हिस्सा. राजद 144, कांग्रेस 70, माकपा चार, भाकपा छह और माले ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा।
ये मुद्दे रहे पूरे चुनाव में हावी
बिहार में सत्ताधारी जदयू और भाजपा ने राजद नेतृत्व वाले विपक्षी महागठबंधन को लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के 15 सालों के शासनकाल को जंगलराज बताकर घेरा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आखिरी चरण के मतदान से पहले भारत माता की जय और जय श्री राम जैसे राष्ट्रवादी और सांप्रदायिक मुद्दों से विपक्ष को घेरना चाहा तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घुसपैठियों और सीएए-एनआरसी का मुद्दा उठाया. हालांकि, नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर अलग रुख अपनाया था।
वहीं, नीतीश कुमार अपने 15 साल के काम पर वोट मांगने के बजाय जनता को 15 साल के जंगलराज का भय दिखाते रहे. कई मौकों पर अपना आपा भी खोते देखे गए और यहां तक की उन्होंने लालू प्रसाद यादव के नौ बच्चे होने पर भी कटाक्ष किया. इस पर राज्य के वरिष्ठ नेताओं ने आपत्ति भी जताई थी।
इस पूरे चुनाव प्रचार के दौरान चिराग पासवान नीतीश कुमार के खिलाफ सबसे अधिक मुखर रहे और मुंगेर की घटना को लेकर उन्होंने कुमार की तुलना जनरल डायर से कर दी थी. उन्होंने बिहार की बदहाली के भी नीतीश कुमार को ही जिम्मेदार ठहराया।
वहीं, इस दौरान राजद नेतृत्व वाला महागठबंधन एकजुट दिखा और बेरोजगारी, प्रवासी मजदूरों की समस्याओं औ विकास जैसे मुद्दों को लेकर आगे बढ़ा।
तेजस्वी यादव कमाई, दवाई, पढ़ाई और सिंचाई जैसे मुद्दों को लेकर आगे बढ़े और उन्होंने 10 लाख सरकारी नौकरी का वादा भी किया।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लद्दाख में चीनी सेना के अतिक्रमण, नोटबंदी, जीएसटी, बेरोजगारी, कोविड-19 को रोकने में विफलता, आर्थिक संकट जैसे मुद्दों पर प्रधानमंत्री मोदी को घेरने का काम किया।