छह फुट कद… रौबदार चेहरा… गठीला बदन… शेर की तरह दहाड़… गालों पर फैली झब्बेदार मूंछें… शरीर पर चढ़ी खाकी वर्दी… एक हाथ में अमेरिकन सेल्फलोडिंग राइफल तो दूसरे में लाउडस्पीकर… 1970 के दशक में ये चेहरा मध्यप्रदेश, यूपी और राजस्थान की संधि पर पसरे चंबल-यमुना नदी के बीहड़ों में खौफ की तस्वीर बनकर उभरा था… ‘चंबल के शेर’ के नाम से कुख्यात यह शख्स था दस्यु मलखान सिंह… 1983 तक चंबल के बीहड़ों में निर्बाध दनदनाने वाले मलखान सिंह पर 32 पुलिसकर्मियों सहित 185 लोगों की हत्या करने का आरोप था। साल 1983 में ही मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के समक्ष मलखान ने भिंड के एसएएफ मैदान पर समर्पण कर दिया। कुछ समय उन्होंने अदालतों का सामना किया और अपने ऊपर लगे मामलों से रिहा होने के बाद सामाजिक-धार्मिक कार्यों से जुड़ गए। इसके बावजूद ग्वालियर-चंबल संभाग में मलखान सिंह का प्रभाव कम नहीं हुआ। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मलखान सिंह के बीच सियासी झूले की पींगें जैसी बढ़ रही हैं, उससे पूरी उम्मीद की जा सकती है कि जल्दी ही इस पूर्व दस्यु को चंबल-ग्वालियर की चुनावी राजनीति में सक्रिय भूमिका में देखा जा सकेगा। यह उम्मीद गुजरे रविवार को जागी, जब मलखान सिंह गुना में शिवराज सिंह के साथ मंच साझा करते नजर आए।
मलखान सिंह खंगार जाति के हैं। गुजरे दौर में गांवों में ज्यादातर चौकीदार इसी जाति से होते थे। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में खंगारों का खासा प्रभाव है। मसलन करैरा विधानसभा सीट (शिवपुरी) में खंगारों का 15-16 हजार का वोट बैंक है। खंगार यहां बाजी को किसी भी तरफ पलट सकते हैं। करैरा अकेली ऐसी सीट नहीं है, ग्वालियर-चंबल की कुल 34 सीटों में से कई सीटों पर खंगार भाग्यविधाता बनने की हैसियत रखते हैं। सूत्र बताते हैं कि भाजपा के चुनावी प्रबंधकों ने इस खास तबके के वोटों को आकर्षित करने के लिए मलखान सिंह के चेहरे को चुन लिया है। भाजपा हर सूरत में ग्वालियर-चंबल संभाग से सिंधिया घराने को हाशिए पर लगाना चाहती है। यहां सिंधिया से आशय ज्यातिरादित्य के साथ-साथ यशोधराराजे से भी है। पार्टी इस बार यशोधरा का टिकट काटने की भी फिराक में है। यह आशंका यशोधरा खुद जता चुकी हैं। करैरा सीट पर पिछले चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई थी। इसलिए भाजपा इस सीट को हर हाल में हथियाना चाहती है। मुख्यमंत्री की जनआशीर्वाद यात्रा रविववार को गुना पहुंची थी। गुना के मंच पर मुख्यमंत्री की दूसरी पंक्ति में पूर्व डकैत मलखान सिंह बैठे दिखाई दिए। मलखान का मुख्यमंत्री के साथ मंच साझा करना यह साबित करता है कि भाजपा अब मलखान के सहारे खंगारों के वोट बैंक को अपने पक्ष में करना चाहती है
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