13 साल वाली बच्ची को संन्यास दिलाने वाले महंत कौशल गिरि 7 साल के लिए निष्कासित

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प्रयागराज। महाकुंभ 2025 के दौरान 13 साल की एक लड़की ने संन्यास लेने का निर्णय लिया, लेकिन महज 6 दिन बाद उसे वापस लिया गया। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरि द्वारा दी गई दीक्षा के बाद यह मामला विवादों में घिर गया। जूना अखाड़े ने महंत कौशल गिरि को 7 साल के लिए निष्कासित कर दिया है, क्योंकि उन्होंने नाबालिग को संन्यास दिलवाने में परंपराओं का उल्लंघन किया।
संन्यास लेने के बाद लड़की का नाम गौरी गिरि रखा गया था, और उसे संगम स्नान कराकर दीक्षा दी गई थी। हालांकि, जूना अखाड़े के संरक्षक हरि गिरि महाराज ने बताया कि इस तरह की दीक्षा नाबालिगों को नहीं दी जाती, और इस मामले पर एक बैठक कर निर्णय लिया गया।

लड़की की परिवारिक स्थिति और संन्यास का कारण:
यह लड़की आगरा की रहने वाली है और 5 दिसंबर को अपने परिवार के साथ महाकुंभ में आई थी। नागाओं को देखकर उसने संन्यास लेने का फैसला किया और घर लौटने से मना कर दिया। परिवार ने उसकी जिद के चलते उसे महंत कौशल गिरि के पास भेज दिया, जहां उसे दीक्षा दी गई। लड़की के पिता, जो एक पेठा कारोबारी हैं, का कहना है कि वे अपनी बेटी की खुशी में सहभागी हैं, हालांकि भगवा वस्त्र में देख उन्हें दुख भी होता है।

महंत कौशल गिरि का बयान:
महंत कौशल गिरि ने इस मुद्दे पर कहा था कि संन्यास की परंपरा में किसी भी उम्र के व्यक्ति को दीक्षा दी जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि गौरी गिरि महारानी को 12 साल तक कठोर तप करने की आवश्यकता होगी, और वह गुरुकुल में वेद, उपनिषद और धर्म ग्रंथों का अध्ययन करेगी।हालांकि, इस विवाद के बाद जूना अखाड़ा ने महंत कौशल गिरि के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है, और यह मुद्दा धार्मिक परंपराओं और नाबालिगों के अधिकारों पर सवाल उठाता है।

संन्यास के बाद पिंडदान की तैयारी:
गौरतलब है कि 19 जनवरी को नाबालिग लड़की का पिंडदान भी होना था, लेकिन इससे पहले ही अखाड़े की सभा ने इस मामले में कार्रवाई की। संन्यास लेने के दौरान खुद का पिंडदान करने की परंपरा है, जो अब रद्द कर दी गई।इस पूरे मामले ने महाकुंभ में धर्म, परंपराओं और नाबालिगों के अधिकारों पर बहस छेड़ दी है।

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