सब इंजीनियर गजानंद पाटीदार के घर से मिले प्राधिकरण के 38 प्लॉटों के कागज़
एक आदमी एक से जयादा प्लाट नहीं खरीद सकता फिर ऐसा कैसे हुआ ?
इंदौर.लोकायुक्त पुलिस इंदौर ने इंदौर विकास प्राधिकरण के सब इंजीनियर गजानंद पाटीदार व उसके प्रापर्टी व्यवसाई भाई रमेशचंद्र पाटीदार के घरों सहित नौ ठिकानों पर छापे मारे। छापे में 37 लाख रुपए नकद व 40 लाख रुपए के जेवरात सहित करोड़ों की संपत्ति मिली है। पूर्व में दोनों भाइयों के पास मकान-प्लाट सहित 15 संपत्ति होने की सूचना थी। बाद में भाई रमेशचंद्र के नाम पर 23 प्लाट-मकानों के दस्तावेज और मिले। इन्हें मिलाकर संपत्ति की संख्या 38 हो गई। प्राधिकरण में 32 साल पहले ट्रेसर से भर्ती होकर सब इंजीनियर बने गजानंद व उसके भाई ने प्राधिकरण को प्लाटों की खरीद-फरोख्त और प्रापर्टी व्यवसाय का जरिया बना रखा था। खास बात यह है कि गजानंद व उसके परिजन के नाम मिले सारे प्लाट व मकान आईडीए योजनाओं के हैं। दोनों के पास मिली संपत्ति की कीमत वर्तमान बाजार मूल्य के मान से 20 करोड़ से अधिक हो सकती है। अपनी 38 साल की नौकरी में पाटीदार ने कुल 56 लाख रुपये वेतन के जरिये कमाए फिर इतनी करोड़ों की संपत्ति कैसे आई।
पाटीदार और उसके करीबियों पर आईडीए का बोर्ड और अफसर खासे मेहरबान थे। वो सिर्फ दो घंटे के लिए ऑफिस जाता था, फिर भी कभी कोई सवाल नहीं उठे। एक कर्मचारी एक से जयादा प्लाट प्राधिकरण की योजना में नहीं खरीद सकता फिर भी पाटीदार और उसके परिवार के पास 38 प्लाट मिले। आखिर ये कैसे संभव हुआ। सूत्रों के अनुसार वर्तमान बोर्ड पाटीदार पर बेहद मेहरबान था। उसने पूरी संपत्ति पिछले दस साल में भाजपा के दौर में बनाई। पिछले पांच सालो में उसने इसे कई गुना किया। मालूम कि इस दौर में भाजपा के इंदौर से प्रत्याशी शंकर लालवानी आईडीए बोर्ड के चेयरमैन रहे। पाटीदार की नेताओं से खासी निकटता है। आखिर कैसे एक सब इंजीनियर बिना अधिकारीयों की मेहरबानी के दो घंटे ऑफिस आकर बाकी वक्त में अपना प्रॉपर्टी का बिज़नेस कर सकता है। पाटीदार के घर मिले कागज़ों में कई अफसरों और बोर्ड के मेम्बरों का हिसाब भी कोड वर्ड में मिला है. इसकी जांच जारी है।
लोकायुक्त पुलिस ने छापे की कार्रवाई शनिवार सुबह छह बजे शुरू की। इंजीनियर पाटीदार के घर टीम सुबह छह बजे के पहले ही पहुंच चुकी थी। टीम उसके घर की डोर-बेल बजाती किंतु टीम जब पहुंची तो घर का मेनगेट खुला मिला। पाटीदार ने कहा- मेरे पास मेरी मेहनत की कमाई है। इंजीनियर के पास मिली संपत्ति प्रापर्टी व्यवसाय के तहत होने का अनुमान है जबकि उसका भाई रमेशचंद्र व बहनोई भी प्रापर्टी का व्यवसाय करते हैं।लोकायुक्त पुलिस ने इंजीनियर के खिलाफ अनुपातहीन संपत्ति पाए जाने पर भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया है। उसका भाई रमेशचंद्र चूंकि निजी बिज़नेस करते हैं, इसलिए उनपर कोई केस दर्ज नहीं किया गया है।
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