कांग्रेस की चेहरा नीति…होर्डिंग्स अच्छे हैं, पर जमीन कौन नापेगा ?
Featured Top Banner एडिटर्स नोट

कांग्रेस की चेहरा नीति…होर्डिंग्स अच्छे हैं, पर जमीन कौन नापेगा ?

एक नेता को अपने कार्यकर्ताओं के लिए हमेशा उपलब्ध रहना चाहिए। कांग्रेस में अपने अध्यक्ष से मिलना तो छोड़िये बात करने का वक्त लेना भी बेहद मुश्किल है। आप आज कोई बात शीर्ष नेतृत्व को बताना चाहते हैं, वो आपको 15 दिन बाद का वक्त देंगे। तब तक वो मुद्दा ही ख़त्म हो जाता।

पंकज मुकाती (संपादक, #politicswala )

मध्यप्रदेश में आठ महीने बाद चुनाव होने हैं। भाजपा, कांग्रेस दोनों के दावे भी शुरू हो गए। भाजपा ने 200 पार अबकी बार का नारा लगा दिया। कांग्रेस ने सीट का नारा नहीं लगाया। वो नेता के पीछे खड़ी है। कांग्रेस ने 200 पार अबकी बार के जवाब में होर्डिंग्स टाँगे। सभी जिलों में। इन पर लिखा -कमलनाथ भावी मुख्यमंत्री। छटेगा अंधकार, आएगी कमलनाथ सरकार

ये दो तरीके दोनों दलों की राजनीति को समझने को काफी है। भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच। कांग्रेस नेता के चेहरे के पीछे। भाजपा ने प्रभारी तक घोषित कर दिए। कांग्रेस अभी तक प्रदेश कार्यकारिणी ही नहीं बनी। कई बार ये टल चुकी। 18 दिसंबर को घोषित होनी थी। 18 जनवरी तक भी होना मुश्किल। अब बताएं कोई पार्टी जिसकी कार्यकारिणी ही तय नहीं, वो चुनाव में कैसे जायेगी। सिर्फ नेता के चेहरे पर।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष खुद कमलनाथ हैं। वे घुटे हुए नेता हैं। फिर भी कार्यकारिणी नहीं बना पा रहे हैं। क्यों ? क्या वे और उनके करीबी गुणा भाग नहीं बैठा
पा रहे। या बंटवारे का हिसाब किताब नहीं बैठ रहा। नाथ के होर्डिंग लगाने और उसका विचार देने वालों को प्रदेश के कार्यकर्ताओं और कार्यकारिणी पर भी
विचार देने चाहिए।

2018 में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने सत्ता खो दी। उससे भी सबक नहीं लिया। सत्ता जाने का बड़ा कारण भी कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद न होना रहा। क्योंकि पार्टी सिर्फ चेहरे के भरोसे रही। उसके नाक,कान, मुँह, हाथ, पैर यानी कार्यकर्ताओं को से दूरी ही रही। किसी भी पार्टी के लिए उसके कार्यकर्ता मुखबिर की तरह होते हैं। वे सारे घटनाक्रम से अवगत कराते, सतर्क करते हैं। कांग्रेस को अपने विधायकों के जाने की खबर तक नहीं लगी। क्योंकि उसका तंत्र ही ख़त्म हो चुका है। अभी भी उसमे बहुत सुधार नहीं आया।

Related stories

एक नेता को अपने कार्यकर्ताओं के लिए हमेशा उपलब्ध रहना चाहिए। कांग्रेस में अपने अध्यक्ष से मिलना तो छोड़िये बात करने का वक्त लेना भी बेहद मुश्किल है। आप आज कोई बात शीर्ष नेतृत्व को बताना चाहते हैं, वो आपको 15 दिन बाद का वक्त देंगे। तब तक वो मुद्दा ही ख़त्म हो जाता। राजनीति तत्काल फैसले, त्वरित तर्क पर चलती है। कांग्रेस को ये सीखने की जरुरत है।

अब आते हैं जनता पर। बड़ी संख्या में आम आदमी दूसरे राज्यों के नेताओं और खुद संघ का आकलन है कि इस बार प्रदेश में भाजपा की राह आसान नहीं।
कांग्रेस जीत सकती है। पर खुद कांग्रेस क्या इस मौके को लपकने को तैयार है। एक शब्द में कहें तो- नहीं। कांग्रेस के एक्शन में कहीं भी भाजपा सरकार
को घेरने के रणनीति नहीं दिखती। कई बड़े मौकों पर वे खामोश रहते हैं और जिन मुद्दों को उठाते हैं उनके ठोस आधार नहीं होते।

Leave feedback about this

  • Quality
  • Price
  • Service

PROS

+
Add Field

CONS

+
Add Field
Choose Image
Choose Video

X