पंकज मुकाती
भोपाल/ दिल्ली। हैदराबाद मेघा इंजीनियरिंग इस वक्त चर्चा में हैं। इलेक्टोरल बांड के जरिये 1200 करोड़ का चंदा देने वाली इस कंपनी पर सरकारी प्रोजेक्ट हासिल करने और उसका पेमेंट लेने के लिए भारी मात्रा में रिश्वत देने का मामला सामने आया है। सीबीआई जांच, पूछताछ जारी है।
पॉलिटिक्सवाला ने इस खबर के मध्यप्रदेश कनेक्शन पर पिछली स्टोरी में बताया था। इसमें मध्यप्रदेश के कुछ अफसरों से पूछताछ होने की सम्भावना है। अब इसमें कमलनाथ और उनकी सरकार के कुछ अफसर भी जांच के घेरे में हैं। कमलनाथ और उनके करीबियों के घर पड़े छापे में मिले कॅश को भी कंपनी के टेंडर से जोड़कर देखा जा रहा है , इसके कारण ही कांग्रेस को 1800 करोड़ का नोटिस मिला और आयकर की छूट भी नहीं मिली।
पॉलिटिक्सवाला पडताल में ये सामने आया कि इस कंपनी को सबसे ज्यादा लाभ कमलनाथ की सरकार ने पहुंचाया। चौंकाने वाली बात ये है कि शिवराज सिंह चौहान ने इस कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया था। इसके काम की गुणवत्ता को लेकर विपक्ष ने रहते कांग्रेस ने ही सवाल उठाया था। उसके बाद शिवराज ने कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया। कमलनाथ सरकार ने शपथ लेते इस ब्लैकलिस्टेड कंपनी पर मेहरबानी दिखाई। इसको बड़ा टेंडर दिया। कमलनाथ सरकार ने 4 हजार करोड़ का कालीसिंध फेज-2 का मेघा इंजीनियरिंग को दिया था।
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इन टेंडरों को देने के लिए बड़े पैमाने पर नियमों में हेर फेर के आरोप रहे हैं। नियम शिथिल भी किये गए हैं। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक मध्यप्रदेश के कई आला अफसरों से भी इस बारे में पूछताछ से इंकार नहीं किया जा सकता।
कांग्रेस को 1800 करोड़ के नोटिस और टैक्स छूट न मिलने
के पीछे भी कमलनाथ और कांग्रेस को मिला कैश
आयकर विभाग के सूत्रों के मुताबिक अप्रैल 2019 के आयकर सर्च से पता चला कि कांग्रेस ने मेघा इंजनियरिंग और कमलनाथ के जरिए कैश प्राप्त किया था। कई सालों (2013-14 से अप्रैल 2019) तक मिला कैश 626 करोड़ रुपए तक था। मेघा इंजीनियरिंग से पाया गया कैश टेंडरों के लिए था, जबकि कमलनाथ से मिला कैश एक बड़े कथित भ्रष्टाचार घोटाले का था / जिसमें वरिष्ठ नौकरशाहों, मंत्रियों, व्यापारियों समेत कई लोगों से रिश्वत वसूली शामिल थी .
इसकी पुष्टि कई तरीकों (सर्च के दौरान मिले दस्तावेज़, व्हाट्सएप मैसेज, दर्ज किए गए बयान आदि) से हुई है। मेघा इंजीनियरिंग को ब्लैकलिस्टेड होने के बावजूद कमलनाथ सरकार ने क्यों दिया चार हजार करोड़ का ठेका। ये भी सीबीआई जांच का विषय है।
क्यों हुई थी ब्लैकलिस्टेड
किसान संगठनों के कड़े विरोध पर शिवराजसिंह सरकार ने उसे ब्लैक लिस्टेड कर 55 करोड़ की धरोहर राशि राजसात कर ली। कंपनी ने अंडरग्राउंड सीमेंट लाइन की जगह बिना सीमेंट बेस की पाइपलाइन डाल दी।पाइप दबाव झेल नहीं पाने से लीकेज होकर जगह-जगह फूटते गए। इससे सालाना 331 करोड़ रुपए का लाभ किसानों को फसलों में मिलने लग जाता। लेकिंन अधूरी व अनुपयोगी संरचनाएं खेतों में खड़ी रही । टर्मिनेट करने से पहले भुगतान हो चुका था। हकीकत है कि कुंदा, वेदा व अवर नदी पर न स्टाॅपडेम बने और न ही पुनासा डेम से पंप हाउस तक स्थायी ट्रांसमिशन लाइन डाली गई। खेतों में कुंडियों तक पानी नहीं पहुंचा। पिपलाई में जलाशय की बजाय टैंक बनाकर काम छोड़ दिया।