जीतू पटवारी के सामने कैलाश , जिराती उषा के टिकट पर खतरा

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प्रभारी मंत्री से सर्वे के बाद उभरी तस्वीर, रमेश और सुदर्शन की
चमक बरक़रार, स्मार्ट सिटी ने उतारा मालिनी पर गुस्सा

इंदौर। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव 2018 का खाका तैयार होने लगा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के निर्देशानुसार मप्र में प्रभारी मंत्रियों के माध्यम से विधायकों का रिपोर्ट कार्ड तैयार होने लगा है। इंदौर में अब तक के सर्वे के दौरान विधानसभा 1, 2 और 4 में भाजपा का वजन बरकरार है। वहीं विधानसभा 3 में उग्र हिंदुवादी छवि के चक्कर में जनता से दूरी रखने वाली उषा ठाकुर के टिकट को पार्टी राम, राम कर सकती है. । पार्टी उनका विकल्प तलाश रही है जो उसी क्षेत्र का रहवासी हो और कांग्रेस के एक मात्र चेहरे अश्विन जोशी को शिकस्त भी दे सके। यही स्थिति राऊ की है। यहां जीतू जिराती फिर कोशिश भर रहे हैं लेकिन जीतू पटवारी के वजन के आगे उनका पलड़ा झुका हुआ है. कांग्रेस के मजबूत नेता पटवारी के सामने राऊ से कैलाश विजयवर्गीय को उतारकर पार्टी सबके गणित बिगाड़ सकती है. कैलाश विजयवर्गीय के अलावा कोई और नेता ये चुनौती स्वीकार कर भी नहीं सकता। ऐसा होने पर आकाश विजयवर्गीय के लिए महू से लड़ने का रास्ता साफ़ हो जायेगा. पहले भी दो नंबर छोड़कर महू में कैलाश अपनी ताकत दिखा चुके हैं.

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भोपाल दौरे के साथ ही विधानसभा चुनाव की मैदानी तैयारियों का शंखनाद कर चुके हैं। इन्हीं तैयारियों के तहत जिलों में विधानसभा वार विधायकों का रिपोर्टकार्ड तैयार करने की जिम्मेदारी प्रभारी मंत्रियों का सौंपी गई है। इंदौर का प्रभार वित्त मंत्री जयंत मलैया के पास है, सो वे भी अपने तीन दिनी इंदौर प्रवास के दौरान विधानसभा 1, 2 और चार का सर्वे कर चुके हैं। इस दौरान विधानसभा 3, 5 और राऊ की भी समीक्षा हुई। हालांकि सर्वे होना है।
विधानसभावार स्थिति

विधानसभा -एक सुदर्शन को पूरे अंक

बुधवार को विधानसभा 1 का सर्वे हुआ। मंत्री मलैया के साथ महापौर मालिनी गौड़, विधायक सुदर्शन गुप्ता और दो चुनाव से टिकट के लिए पार्टी की तरफ सहानुभूति की नजर से देखती आ रही उमाशशि शर्मा भी उनके साथ रहे। चंदननगर, सिरपुर जैसे मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में लोगों ने गुप्ता के कार्यों को सराहा। कालानीनगर, नगीननगर, राजनगर, पल्हरनगर, वैकुण्ठधाम जैसे क्षेत्रों में गुप्ता वजन बरकरार नजर आया। छोटा बांगड़दा, टिगरिया बादशाह, बाणगंगा क्षेत्र में जरूर क्षेत्र की पुरानी विधायक उषा ठाकुर के समर्थक गुप्ता से नाराज दिखे। मंत्री ने गुप्ता के काम गिनाते हुए न सिर्फ गुप्ता से मनमुटाव दूर कर पार्टी को चौथी बार सत्तासीन कराने की अपील भी की। इस दौरान तकरीबन हर वार्ड में करोड़ों रुपए के विकासकार्यों का शिलान्यास भी मंत्री मलैया ने किया।
विधानसभा चार , बढे नाराज़
गुरुवार का दिन विधानसभा 4 के सर्वे का था। महापौर के टिकट पर संशय है । वजह – लगातार वजनदार पोस्ट और सड़क निर्माण के नाम पर क्षेत्र में हुई भारीभरकम तोड़फोड़। तोड़फोड़ में कई के घर तबाह हुए। इसीलिए क्षेत्र में कार्यकर्ता भी गौड़ से नाराज नजर आए। इसीलिए मंत्री ने अपने दौरे की शुरूआत ब्लॉक अध्यक्ष गिरधारीलाल शर्मा के घर स्वल्पाहार लेकर की। मंत्री ने उन्हें समझाया। महापौर से समझौता कराया। फिर अलग-अलग वार्डों में करोड़ों के कार्यों का भूमि पूजन किया। दशहरा मैदान पर चल रही लक्ष्मणसिंह गौड़ क्रिकेट प्रतियोगिता में मंत्री ने बल्ले पर हाथ आजमाया। महापौर बॉल ढूंढने में लगी रही तब तक भाजपा नगर अध्यक्ष कैलाश शर्मा मंत्री को लेकर चल दिए। कुल मिलाकर सर्वे गौड़ के लिए ठीकठाक रहा।
विधानसभा दो, दादा का रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन
विधानसभा 2 में सर्वे हुआ शुक्रवार को। रेडीसन चौराहे पर दो साल पहले हुए चांटाकांड के बाद से क्षेत्र के मेंदोला खेमे के पार्षद नगर निगम से दूरी बनाकर बैठे हैं। विधायक रमेश मेंदोला भी। रसूख के कारण मेंदोला और वजनदर पार्षदों के काम तो फिर भी होते रहे। इसीलिए क्षेत्र में महापौर और नगर निगम को लेकर जबरदस्त नाराजगी है। इस नाराजगी को मंत्री मलैया दूर करने की कोशीश करते इससे पहले ही महापौर ने विधानसभा 2 में पैर रखने से मना कर दिया था। काम न होने से पार्षदों से जनता नाराज है। पार्षद पार्टी से नाराज हैं। दोनों ही मेंदोला से जरूर खुश हैं। इसीलिए 2013 में छोटू शुक्ला को हराकर 91 हजार वोटों से जीत का रिकॉर्ड बनाने वाले मेंदोला की नजर है 1 लाख से अधिक वोटों की जीत पर।

विधानसभा तीन- उषा ठाकुर से राम-राम !
विधानसभा 3 में सर्वे नहीं हुआ, क्योंकि विधायक उषा ठाकुर बीमारी के कारण बॉम्बे हॉस्पिटल में भर्ती थीं। मगर फीडबैक जरूर लिया गया, जहां ठाकुर कमजोर नजर आई। उग्र हिंदुवादी छवि के दम पर खुद को प्रचारित करने के फेर में उन्होंने जनता को भूला ही दिया. ठाकुर इलाके की स्थानीय नेता भी नहीं रही है, इसलिए जनता पूरे पांच साल उन्हें खोजती ही रही. पहुंच से दूर होने के कारण अन्य मतदाताओं में भी उनकी पकड़ उतनी दिखी नहीं जितनी के दम पर वे जीती थी। यूं तो यहां गोपीकृष्ण नेमा, मंदार महाजन, रमेश मेंदोला, गोविंद मालू, ललित पोरवाल जैसे नेताओं के नाम चर्चा में हैं. लेकिन सर्वे के दौरान वजनदारी से नाम सामने आया नगर अध्यक्ष कैलाश शर्मा का, जो अब तक विधानसभा 4 का मन बनाए हुए बैठे थे लेकिन अंगद की तरह जमे गौड़ परिवार के कारण उन्हें अपनी चाहत छोड़ना पड़ी।
विधानसभा राऊ – मधु-कैलाश के नाम
ऐसी कुछ कहानी है राऊ की। जहां 2013 में जीतू पटवारी ने जीतू जिराती से विधायकी छीनी थी। पटवारी की जीत के बाद अलग-अलग कहानियां सामने आइ थी। पर जमीनी तौर पर जीतू जिराती खुद को खड़ा करने में नाकामयाब रहे. संगठन और इलाके दोनों में ही पिछले पांच साल उनकेखाते में कुछ खास नहीं जुड़ा. इसके विपरीत जीतू पटवारी कांग्रेस के बड़े नेता बनकर उभरे हैं, इलाके में भी उनकी तगड़ी पैठ है. कांग्रेस से ये सीट जितने के लिए बीजेपी कैलाश विजयवर्गीय को यहाँ से उतार सकती है. महू के साथ राऊ में भी विजयवर्गीय की मजबूत पकड़ है. दावेदारों में पूर्व आईडीए अध्यक्ष मधू वर्मा, पूर्व जिलाध्यक्ष रवि रावलिया और दिनेश मल्हार के नाम है। अब तक मधू वर्मा की दावेदारी ज्यादा वजनदारी से है। पर बीजेपी पटवारी को रोकने के लिए कुछ चौंका देने वाला फैसला ले सकती है. पार्टी सूत्रों के अनुसार कैलाश विजयवर्गीय को राऊ से उतारा जा सकता हैं. अपने बेटे के लिए महू सीट मिलने पर कैलाश ये चुनौती स्वीकार सकते हैं. साथ ही वे अगला लोकसभा चुनाव के टिकट की शर्त भी पार्टी के सामने रख सकते हैं.

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