JAC Meeting On Delimitation: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की अगुवाई में चेन्नई में परिसीमन को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें पांच राज्यों के मुख्यमंत्री और कई अन्य नेता शामिल हुए।
इस बैठक में जॉइंट एक्शन कमेटी (JAC) द्वारा 7-सूत्रीय प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें 1971 की जनगणना पर आधारित संसदीय क्षेत्रों की सीमा को 25 वर्षों के लिए बढ़ाने की मांग की गई है। दक्षिणी राज्यों का मानना है कि परिसीमन के बाद लोकसभा में उनकी सीटें घट सकती हैं, जिससे उनका राजनीतिक प्रभाव कमजोर होगा।
परिसीमन पर 5 मुख्यमंत्रियों की बैठक
लोकसभा सीटों के प्रस्तावित परिसीमन को लेकर राजनीतिक बहस तेज हो गई है। चेन्नई में शनिवार को तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, पंजाब के मुख्यमंत्री और कर्नाटक के डिप्टी सीएम की बैठक हुई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने चेन्नई में ये मीटिंग बुलाई, जिसमें 5 राज्यों से आए विभिन्न दलों के 14 नेता शामिल हुए।
- एम.के. स्टालिन (तमिलनाडु के मुख्यमंत्री)
- पिनाराई विजयन (केरल के मुख्यमंत्री)
- रेवंत रेड्डी (तेलंगाना के मुख्यमंत्री)
- भगवंत मान (पंजाब के मुख्यमंत्री)
- डी.के. शिवकुमार (कर्नाटक के डिप्टी सीएम)
- नवीन पटनायक (बीजद प्रमुख)
- भक्त चरण दास (ओडिशा कांग्रेस अध्यक्ष)
- के. चंद्रशेखर राव (तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री)
- संजय कुमार दास बर्मा (बीजू जनता दल के नेता)
JAC का 7 सूत्रीय प्रस्ताव पास
चेन्नई में DMK की अगुवाई में आयोजित बैठक के दौरान जाइंट एक्शन कमेटी (JAC) ने परिसीमन के मुद्दे पर एक 7 सूत्रीय प्रस्ताव पारित किया है। कमेटी ने इस प्रस्ताव में परिसीमन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी पर चिंता जताई और इसे निष्पक्ष व न्यायसंगत तरीके से करने की मांग की:
- परिसीमन में पारदर्शिता: केंद्र सरकार को सभी राज्यों, राजनीतिक दलों और हितधारकों के साथ परामर्श कर परिसीमन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना चाहिए।
- संविधान संशोधन की मांग: 42वें, 84वें और 87वें संविधान संशोधनों के पीछे की मंशा को बरकरार रखते हुए परिसीमन को 25 साल और टाला जाए।
- दक्षिणी राज्यों के साथ न्याय: जनसंख्या नियंत्रण में सफल राज्यों को सजा नहीं दी जानी चाहिए और उनके संसदीय क्षेत्रों में कटौती नहीं होनी चाहिए।
- संसदीय रणनीति: प्रतिनिधि राज्यों के सांसद केंद्र सरकार की किसी भी विपरीत परिसीमन योजना के खिलाफ सामूहिक रणनीति तैयार करेंगे।
- प्रधानमंत्री को ज्ञापन: JAC के सांसद मौजूदा संसदीय सत्र में प्रधानमंत्री को संयुक्त रूप से अपनी चिंताओं से अवगत कराएंगे।
- विधानसभा प्रस्ताव: विभिन्न राज्यों की सरकारें अपने-अपने राज्यों की विधानसभाओं में परिसीमन के खिलाफ प्रस्ताव पारित करेंगी।
- जन जागरूकता अभियान: JAC परिसीमन के प्रभावों पर जनता को जागरूक करने के लिए एक समन्वित जनमत संग्रह रणनीति अपनाएगा।
पहचान खतरे में, सीटें कम होने का डर
बैठक के दौरान तमिलनाडु के CM एम के स्टालिन ने कहा कि परिसीमन के मुद्दे पर हमें एकजुट रहना होगा, वर्ना हमारी पहचान खतरे में पड़ जाएगी। वहीं, केरल के CM पिनाराई विजयन ने कहा, लोकसभा सीटों का परिसीमन तलवार की तरह लटक रहा है। भाजपा सरकार इस मामले पर बिना किसी परामर्श के आगे बढ़ रही है। दक्षिण के सीटों में कटौती और उत्तर में बढ़ोतरी भाजपा के लिए फायदेमंद होगी और उत्तर में उनका प्रभाव है।
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने अपील की है कि परिसीमन प्रक्रिया को इस तरह से हो कि किसी भी राज्य को लोकसभा या राज्यसभा में प्रतिनिधित्व में कोई कमी न आए, खासकर सदन में कुल सीटों की संख्या के मामले में।
स्टालिन का अनुमान, दो तरीकों से हो सकता है परिसीमन
एमके स्टालिन ने 3 मार्च 2025 को परिसीमन मामले में अन्य राज्यों के मौजूदा और पूर्व मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने 22 मार्च को होने वाली JAC की पहली बैठक में अपने प्रतिनिधि भेजने का अनुरोध किया था। इस चिट्ठी स्टालिन ने बताया था कि 2026 की जनसंख्या के आधार पर परिसीमन दो तरीकों से हो सकता है।
पहले में मौजूदा लोकसभा की 543 सीटों को राज्यों के बीच फिर से बांटा जा सकता है। वहीं, दूसरे में सीटों की संख्या बढ़कर 800 से ज्यादा हो सकती है। दोनों स्थितियों में जनसंख्या कंट्रोल करने वाले राज्यों को नुकसान होगा। स्टालिन का कहना है कि हम परिसीमन के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि हम निष्पक्ष परिसीमन के पक्ष में हैं।
जानें क्या परिसीमन और समानुपातिक परिसीमन ?
लोकसभा और विधानसभा सीट की सीमा नए तरह से तय करने की प्रक्रिया को परिसीमन कहा जाता है, इसके लिए आयोग बनता है। 1952, 1963, 1973 और 2002 में परिसीमन के लिए आयोग गठित हो चुके हैं। आखिरी बार परिसीमन आयोग अधिनियम 2002 के तहत साल 2008 में परिसीमन हुआ था। लोकसभा सीटों को लेकर परिसीमन प्रक्रिया की शुरुआत साल 2026 से हो सकती है और इससे 2029 के चुनाव में करीब 78 सीटें बढ़ सकती हैं।
दक्षिणी राज्य जनसंख्या आधारित परिसीमन का विरोध कर रहे हैं और इस वजह से सरकार समानुपातिक परिसीमन पर विचार कर रही है। इसे ऐसे समझें जैसे उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं, वहीं तमिलनाडु-पुडुचेरी में इसकी आधी यानी 40 सीटें हैं। अगर उत्तर प्रदेश की 14 सीटें बढ़ती हैं तो इसकी आधी यानी 7 सीटें तमिलनाडु-पुडुचेरी में बढ़ाना समानुपातिक प्रतिनिधित्व है। आबादी के आधार पर जितनी सीटें हिंदी पट्टी में बढ़ेंगी, उसी अनुपात में जनसंख्या नियंत्रण करने वाले राज्यों में भी सीटें बढ़ेगी। हिंदी पट्टी के किसी राज्य की सीट में 20 लाख की आबादी पर एक सांसद होगा, तो दक्षिणी राज्य में 10-12 लाख की आबादी पर एक सांसद होगा।
देश की 85 लोकसभा सीटों में अल्पसंख्यकों की आबादी 20% से 97% तक है। जानकारी के मुताबिक इन सीटों पर जनसंख्या संतुलन कायम रखने के लिए परिसीमन के तहत लोकसभा क्षेत्रों को नए सिरे से ड्रा किया जा सकता है। वहीं 1976 से लोकसभा सीटों की संख्या को फ्रीज रखा गया है, लेकिन अब महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के लिए इसे डिफ्रीज करना होगा। जनसंख्या नियंत्रण करने वाले राज्यों ने चेतावनी दी है कि इस आधार पर उनकी सीटों में कमी का विरोध होगा।
ट्राई लैंग्वेज को लेकर स्टालिन का मोदी पर हमला
इससे पहले भी तमिलनाडु CM एमके स्टालिन ट्राई लैंग्वेज को लेकर केंद्र पर हमला बोले चुके हैं, उन्होंने कहा था अगर भाजपा का यह दावा सच है कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री को तमिल से बहुत प्यार है, तो यह कभी भी काम में क्यों नहीं दिखता? तमिलनाडु में हिंदी पखवाड़ा मनाने और योजनाओं में संस्कृत नाम देने पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। सिर्फ संसद में सेन्गोल लगाने से तमिल का सम्मान नहीं बढ़ेगा। स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु में केंद्र सरकार के ऑफिस से हिंदी हटाओ, तमिल को हिंदी के बराबर ऑफिसीयल भाषा बनाओ और संस्कृत से ज्यादा फंड तमिल को दो।
स्टालिन ने संस्कृत और हिंदी के प्रचार-प्रसार पर भी सवाल उठाए और केंद्र सरकार से मांग की कि थिरुवल्लुवर (Thiruvalluvar) की रचनाओं को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाए। उन्होंने कहा कि अगर पीएम मोदी सच में तमिल से प्रेम है, तो तमिलनाडु के लिए विशेष योजनाएं बनाए, आपदा राहत कोष दें और नए रेलवे प्रोजेक्ट शुरू करें। तमिलनाडु की ट्रेनों के नाम हिंदी में रखने की बजाय तमिल नाम दिए जाएं।
इससे पहले भी एमके स्टालिन ने सोशल मीडिया पर की गई एक पोस्ट में लिखा था, जबरन हिंदी थोपने से 100 सालों में 25 नॉर्थ इंडियन भाषाएं खत्म हो गई। एक अखंड हिंदी पहचान की कोशिश प्राचीन भाषाओं को खत्म कर रही है। उत्तर प्रदेश और बिहार कभी भी हिंदी क्षेत्र नहीं थे। अब उनकी असली भाषाएं अतीत की निशानी बन गई है।
You may also like
-
फ्रांस में आयोजित 6 वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन कंसोलफूड-2025 में जायेंगे इंदौर के समीर शर्मा
-
पंजाब से पाकिस्तानी महिला गायब, पुलिस बोली- कहां गई, पता नहीं
-
देशद्रोह के मुकदमे से भड़कीं नेहा सिंह राठौर ने जारी किया एक और वीडियो कहा- दम है तो आतंकियों का सिर लेकर आइए…
-
देश का पहला पूर्णतः महिला प्रशासनिक District बना लाहौल- स्पीति
-
पाकिस्तान के खिलाफ भारत की डिजिटल स्ट्राइक, शोएब अख्तर के यूट्यूब चैनल समेत 17 बैन