इंदौर बेहाल- पॉजिटिव रिपोर्ट पांच किलोमीटर पहुँचने में लगे दस दिन

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इंदौर में कोरोना केसंक्रमण के बीच लगातार सरकार द्वारा अधिग्रहित अस्पतालों में मरीजों से वसूली और लेटलतीफी सामने आ रही है, सिनर्जी हॉस्पिटल में ऐसा ही एक मामला सामने आया है, ऐसे कई मामले बाकी

इंदौर। इंदौर का सिनर्जी हॉस्पिटल सवालों के घेरे में हैं। ये सरकार द्वारा अधिग्रहित किये गए हॉस्पिटल में से एक है। इस अस्पताल के साथ मेडिकल कॉलेज और प्रशासन भी उतना ही गैर जिम्मेदार दिख रहा जितना ये हॉस्पिटल। सिनर्जी हॉस्पिटल में मेडिकल कॉलेज से कोरोना मरीज की रिपोर्ट आने में दस दिन लग गए। मेडिकल कॉलेज का कहना है कि उसने 9 तारीख को सिनर्जी हॉस्पिटल में भर्ती ललित बड़जात्या की रिपोर्ट 11 अप्रैल को सिनर्जी हॉस्पिटल में भेज दी थी। बड़जात्या कोरोना पॉजिटिव निकले।

सिनर्जी हॉस्पिटल का दावा है कि उसे रिपोर्ट 21 अप्रैल को मिली। यानी पांच किलोमीटर की दूरी तय करने में रिपोर्ट को दस दिन लगा गए। इससे ये सवाल भी उठता है कि प्रतिदिन जारी होने वाले हेल्थ बुलेटिन भी क्या दस-दस दिन बाद सामने आ रहे हैं। ललित बड़जात्या से सिनर्जी हॉस्पिटल ने 3.5 लाख रुपये भी ले लिए। क्या कोरोना पॉजिटिव से हॉस्पिटल पैसे ले सकता है ?

वो भी उस हॉस्पिटल में क्या बिलिंग हो सकती है जो सरकार ने अधिग्रहित कर रखा है। इंदौर में प्रशासन की नाक के तले हमेशा की तरह निजी हॉस्पिटल अपनी दूकान चला रहे हैं। सिनर्जी का मामला इस लिए सामने आ गए क्योंकि ललित बड़जात्या जैन समाज में रसूख वाले आदमी है, नहीं तो कई मामले की कही कोई सुनवाई नहीं।

पॉलिटिक्सवाला वाला वेबसाइट ने इस मामले में बुधवार को पूरी रिपोर्ट प्रकाशित के थी। इसके बाद जनप्रतिनिधियों ने ये मुद्दा दिल्ली से आई टीम के सामने रखा। इंदौर के प्रमुख अखबार दैनिक भास्कर, नईदुनिया, पत्रिका ने भी इस मुद्दे को विस्तार से रखा। पत्रिका ने लिखा कि दस दिनों तक कोरोना पॉजिटिव का इलाज सामान्य तरीके से येलो हॉस्पिटल सिनर्जी करता रहा।

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सिनर्जी हॉस्पिटल ने भी पहले दो दिन खुद को खरा बताने की कोशिश की। हॉस्पिटल ने कलेक्टर मनीष सिंह को एक चिट्ठी लिखकर मीडिया पर रोक की भी गुजारिश की। हॉस्पिटल प्रबंधन का दावा है कि मीडिया झूठी खबर चला रहा है। क्या पॉजिटिव मरीज से पैसे लिए जा सकते हैं ?

उसका इलाज सरकार की तरफ से होगा या उसको अपना खर्च खुदउठाना है, इसकी भी कोई गाइड लाइन तय है हुई है। आम आदमी परेशां है। यदि पॉजिटिव मरीज का इलाज फ्री होना है (अधिग्रहित हॉस्पिटल में। सरकारी नियमों के मुताबिक अधिग्रहित हॉस्पिटल को सरकार पैसा दे रही है, ऐसे में क्या सिनर्जी अब बड़जात्या को उसके साढ़े तीन लाख रुपये लौटाएगा।

केंद्रीय दल के सामने भी उठा सिनर्जी का मामला

दिल्ली से आये केंद्रीय दल की बैठक में भी ललित बड़जात्या की रिपोर्ट में देरी और सिनर्जी सहित अधिग्रहित अस्पतालों की व्यवस्था का मुद्दा उठा। इंदौर सांसद शंकर लालवानी ने रिपोर्ट में देरी तो विधायक महेंद्र हार्डिया ने व्यवस्था को दुरुस्त करने की मांग उठाई। कांग्रेस मीडिया अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी
बैकलॉग वे निजी अस्पतालों की वसूली पर केंद्रीय दल से बात की।

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