योगी आदित्यनाथ की सत्ता में पीड़िता के आधी रात को गुपचुप अंतिम संस्कार के बाद भी प्रताड़ना का दौर जारी है। पीड़ित परिवार के किसी के भी मिलने पर रोक है, भाजपा नेता उमा भारती ने भी इसे गलत बताया
लखनऊ। दिल्ली चुप है। सरकार मनमानी पर उतारू है। पीड़ित परिवार का नार्को टेस्ट करवाने का फैसला हुआ। पीड़िता का परिवार कैद है, पर उसी गांव में ठाकुर और ब्राह्मणों को मज़मा लगाकर पंचायत की खुली छूट मिली हुई है। वे दलितों के बहिष्कार का फैसला सुना रहे हैं। मीडिया पर भी रोक है। सबसे शर्मनाक ये है कि उनका दावा है हम उन नीची जाति वालों का छुआ तक हाथ नहीं लगाते उनकी लड़की का रेप क्या करेंगे ?
हाथरस गैंगरेप मामले में लोग पीड़िता के लिए न्याय मांग रहे है। दूसरी तरफ जातिवादी आग भड़क रही है। न्याय की छोड़िये लोग जातिवाद के आधार पर आरोपियों के समर्थन में भी लोग लामबंद हो रहे हैं।शुक्रवार को बूलगढ़ी गांव के पास ही स्थित बघना गांव में ठाकुर समुदाय की पंचायत हुई जिसमें आरोपियों की रिहाई के लिए अभियान चलाने का फैसला लिया गया।
इस पंचायत में बूलगढ़ी और आसपास के एक दर्जन गांव के ठाकुर, ब्राह्मण और सवर्ण समाज के लोग शामिल हुए। उनका दावा है कि सवर्ण समाज के खिलाफ दलितों का आक्रोश भड़काया जा रहा है।
पंचायत ने मांग की है कि जब मेडिकल रिपोर्ट में गैंगरेप की पुष्टि ही नहीं हुई है तब आरोपियों को किस आधार पर निशाना बनाया गया है। इस घटना की सीबीआई जांच की मांग करते हुए दोनों पक्षों के नार्कों टेस्ट कराए जाने की मांग की है। सवर्ण पंचायत की मांग के बाद ही योगी आदित्यनाथ ने पीड़ित परिवार का नार्को टेस्ट करवाने का फैसला लिया है।
पंचायत ने फैसला भी लिया गया कि पीड़िता के गांव में किसी बाहरी को घुसने नहीं दिया जाएगा। ठाकुर समाज से संबंध रखने वाले एक पूर्व विधायक ने बयान दिया था कि लड़की की हत्या में उसके परिजन ही शामिल हैं।
दैनिक भास्कर अखबार के मुताबिक बूलगढ़ी के एक ठाकुर युवक ने बताया कि पंचायत के बाद से ही माहौल बदल गया है और अब लोग दलित परिवार के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं। इस गांव में दलितों के गिने-चुने घर हैं। ठाकुरों और ब्राह्मणों के एक साथ आने के बाद उनके लिए हालात अब और भी मुश्किल हो जाएंगे। बात करने के दौरान युवक बहुत डरा हुआ था कि कहीं गांव में समाज के लोगों को ये ना पता चल जाए कि उसने मीडिया से बात की है।
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