Shibu Soren Passed Away

Shibu Soren Passed Away

नहीं रहे JMM सुप्रीमो शिबू सोरेन… ऐसा था आदिवासी आंदोलन से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक का सफर

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Shibu Soren Passed Away: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रहे शिबू सोरेन का सोमवार सुबह निधन हो गया।

81 वर्षीय सोरेन ने दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में सुबह 8:56 बजे अंतिम सांस ली।

वे लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे और पिछले एक महीने से वेंटिलेटर पर थे।

उनके निधन से झारखंड सहित पूरे देश की राजनीति में शोक की लहर दौड़ गई है।

झारखंड सरकार ने 3 दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया है।

साथ ही मानसून सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है।

ब्रेन स्ट्रोक के बाद बिगड़ी तबीयत

शिबू सोरेन को करीब डेढ़ महीने पहले ब्रेन स्ट्रोक हुआ था, जिससे उनके शरीर के बाएं हिस्से में पैरालिसिस हो गया था।

इसके बाद से उनकी हालत लगातार नाजुक बनी रही। वे बीते एक साल से डायलिसिस पर भी थे।

न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी और नेफ्रोलॉजी विभागों के विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम उनकी निगरानी कर रही थी।

उन्हें डायबिटीज थी और पहले ही उनकी बायपास सर्जरी हो चुकी थी।

PM समेत कई नेताओं ने जताया शोक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, झारखंड के सीएम और शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन समेत तमाम राजनीतिक हस्तियों ने गहरा दुख प्रकट किया।

हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर लिखा— आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं।

नीतीश कुमार ने कहा, झारखंड की राजनीति में उनका अहम योगदान रहा है। उनके निधन से देश की राजनीति को अपूरणीय क्षति हुई है।

शिबू सोरेन: आदिवासी आंदोलन से मुख्यमंत्री तक

जन्म: 11 जनवरी 1944
स्थान: नेमरा गांव, गोला प्रखंड, रामगढ़ जिला (तत्कालीन हजारीबाग)
लोकप्रिय नाम: दिशोम गुरु

शिबू सोरेन ने आदिवासियों के अधिकारों के लिए जीवन भर संघर्ष किया।

13 साल की उम्र में उनके पिता की महाजनों ने हत्या कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़कर आदिवासी समाज के हक के लिए लड़ना शुरू किया।

1970 के दशक में उन्होंने धान कटनी आंदोलन की शुरुआत की और सूदखोर महाजनों के खिलाफ संघर्ष किया।

उनका बाइक पर गांव-गांव जाकर आदिवासियों को जागरूक करना आज भी झारखंड की जनता याद करती है।

एक बार उन्हें महाजनों के गुंडों ने घेर लिया था, लेकिन उन्होंने बाइक समेत बराकर नदी में छलांग लगाकर जान बचाई।

इस घटना के बाद लोग उन्हें “दिशोम गुरु” कहने लगे, जिसका अर्थ है “देश का गुरु”।

तीन बार बने CM, एक बार भी कार्यकाल पूरा नहीं 

शिबू सोरेन ने पहली बार 1977 में चुनाव लड़ा लेकिन हार गए।

इसके बाद 1980 में सांसद चुने गए और 11 बार संसद पहुंचे।

वे केंद्र में UPA सरकार में कोयला मंत्री भी रहे, लेकिन चिरूडीह हत्याकांड में नाम आने पर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने तीन बार कुर्सी संभाली पर कार्यकाल पूरा नहीं कर सके।

  • 2 मार्च 2005: पहली बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन 10 दिन में ही सरकार गिर गई।
  • 27 अगस्त 2008: दूसरी बार सीएम बने, लेकिन 5 महीने में इस्तीफा देना पड़ा।
  • 30 दिसंबर 2009: तीसरी बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन 5 महीने में पद छोड़ना पड़ा।

तीनों कार्यकाल मिलाकर शिबू सोरेन सिर्फ 10 महीने 10 दिन तक मुख्यमंत्री पद पर रहे।

बिहार से अलग झारखंड राज्य के गठन की लड़ाई में शिबू सोरेन की भूमिका ऐतिहासिक रही है।

उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा के जरिए एक जन आंदोलन खड़ा किया, जिसने केंद्र सरकार को नया राज्य बनाने पर मजबूर किया।

शिबू सोरेन वर्तमान में राज्यसभा सांसद थे। उनके निधन पर राज्यसभा में श्रद्धांजलि दी गई और सदन की कार्यवाही 5 अगस्त सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दी गई।

शिबू सोरेन का निधन केवल एक राजनेता का नहीं, बल्कि एक आंदोलन, एक विचार और एक संघर्ष की आवाज का अंत है।

उन्होंने झारखंड को न केवल एक अलग पहचान दिलाई, बल्कि आदिवासियों को संगठित कर उन्हें उनका हक भी दिलाया।

दिशोम गुरु की विरासत झारखंड और देश की राजनीति में हमेशा जीवित रहेगी।

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