Shibu Soren Passed Away: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रहे शिबू सोरेन का सोमवार सुबह निधन हो गया।
81 वर्षीय सोरेन ने दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में सुबह 8:56 बजे अंतिम सांस ली।
वे लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे और पिछले एक महीने से वेंटिलेटर पर थे।
उनके निधन से झारखंड सहित पूरे देश की राजनीति में शोक की लहर दौड़ गई है।
झारखंड सरकार ने 3 दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया है।
साथ ही मानसून सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है।
आज झारखंड की हवा शांत है,
जंगल सिसक रहा है,
नदियां-पहाड़ मौन हैं और,
हमारी आत्मा रो रही है,
झारखंड निर्माता दिशोम गुरु अब हमारे बीच नहीं रहे!हमारे बीच से सिर्फ एक नेता नहीं गए – एक युग पुरुष, दिशोम गुरु, मार्गदर्शक, झारखंड की आत्मा — आदरणीय शिबू सोरेन जी हम सभी को छोड़कर… pic.twitter.com/Hhvj0Jzh5F
— Jharkhand Mukti Morcha (@JmmJharkhand) August 4, 2025
ब्रेन स्ट्रोक के बाद बिगड़ी तबीयत
शिबू सोरेन को करीब डेढ़ महीने पहले ब्रेन स्ट्रोक हुआ था, जिससे उनके शरीर के बाएं हिस्से में पैरालिसिस हो गया था।
इसके बाद से उनकी हालत लगातार नाजुक बनी रही। वे बीते एक साल से डायलिसिस पर भी थे।
न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी और नेफ्रोलॉजी विभागों के विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम उनकी निगरानी कर रही थी।
उन्हें डायबिटीज थी और पहले ही उनकी बायपास सर्जरी हो चुकी थी।
PM समेत कई नेताओं ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, झारखंड के सीएम और शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन समेत तमाम राजनीतिक हस्तियों ने गहरा दुख प्रकट किया।
Shri Shibu Soren Ji was a grassroots leader who rose through the ranks of public life with unwavering dedication to the people. He was particularly passionate about empowering tribal communities, the poor and downtrodden. Pained by his passing away. My thoughts are with his…
— Narendra Modi (@narendramodi) August 4, 2025
हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर लिखा— आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं।
आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं।
आज मैं शून्य हो गया हूँ…
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) August 4, 2025
नीतीश कुमार ने कहा, झारखंड की राजनीति में उनका अहम योगदान रहा है। उनके निधन से देश की राजनीति को अपूरणीय क्षति हुई है।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन जी का निधन दुःखद। स्व॰ शिबू सोरेन जी एक प्रख्यात राजनेता थे। वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे थे। झारखंड की राजनीति में उनका अहम योगदान रहा है। उनके निधन से न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश के राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति…
— Nitish Kumar (@NitishKumar) August 4, 2025
शिबू सोरेन: आदिवासी आंदोलन से मुख्यमंत्री तक
जन्म: 11 जनवरी 1944
स्थान: नेमरा गांव, गोला प्रखंड, रामगढ़ जिला (तत्कालीन हजारीबाग)
लोकप्रिय नाम: दिशोम गुरु
शिबू सोरेन ने आदिवासियों के अधिकारों के लिए जीवन भर संघर्ष किया।
13 साल की उम्र में उनके पिता की महाजनों ने हत्या कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़कर आदिवासी समाज के हक के लिए लड़ना शुरू किया।
1970 के दशक में उन्होंने धान कटनी आंदोलन की शुरुआत की और सूदखोर महाजनों के खिलाफ संघर्ष किया।
उनका बाइक पर गांव-गांव जाकर आदिवासियों को जागरूक करना आज भी झारखंड की जनता याद करती है।
एक बार उन्हें महाजनों के गुंडों ने घेर लिया था, लेकिन उन्होंने बाइक समेत बराकर नदी में छलांग लगाकर जान बचाई।
इस घटना के बाद लोग उन्हें “दिशोम गुरु” कहने लगे, जिसका अर्थ है “देश का गुरु”।
तीन बार बने CM, एक बार भी कार्यकाल पूरा नहीं
शिबू सोरेन ने पहली बार 1977 में चुनाव लड़ा लेकिन हार गए।
इसके बाद 1980 में सांसद चुने गए और 11 बार संसद पहुंचे।
वे केंद्र में UPA सरकार में कोयला मंत्री भी रहे, लेकिन चिरूडीह हत्याकांड में नाम आने पर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने तीन बार कुर्सी संभाली पर कार्यकाल पूरा नहीं कर सके।
- 2 मार्च 2005: पहली बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन 10 दिन में ही सरकार गिर गई।
- 27 अगस्त 2008: दूसरी बार सीएम बने, लेकिन 5 महीने में इस्तीफा देना पड़ा।
- 30 दिसंबर 2009: तीसरी बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन 5 महीने में पद छोड़ना पड़ा।
तीनों कार्यकाल मिलाकर शिबू सोरेन सिर्फ 10 महीने 10 दिन तक मुख्यमंत्री पद पर रहे।
बिहार से अलग झारखंड राज्य के गठन की लड़ाई में शिबू सोरेन की भूमिका ऐतिहासिक रही है।
उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा के जरिए एक जन आंदोलन खड़ा किया, जिसने केंद्र सरकार को नया राज्य बनाने पर मजबूर किया।
शिबू सोरेन वर्तमान में राज्यसभा सांसद थे। उनके निधन पर राज्यसभा में श्रद्धांजलि दी गई और सदन की कार्यवाही 5 अगस्त सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दी गई।
शिबू सोरेन का निधन केवल एक राजनेता का नहीं, बल्कि एक आंदोलन, एक विचार और एक संघर्ष की आवाज का अंत है।
उन्होंने झारखंड को न केवल एक अलग पहचान दिलाई, बल्कि आदिवासियों को संगठित कर उन्हें उनका हक भी दिलाया।
दिशोम गुरु की विरासत झारखंड और देश की राजनीति में हमेशा जीवित रहेगी।
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