MP Employees Promotion

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मोहन कैबिनेट के फैसले: MP में 9 साल बाद प्रमोशन का रास्ता साफ, 4 लाख कर्मचारी-अधिकारियों को लाभ

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MP Employees Promotion: मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य के लाखों सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को बड़ी राहत देते हुए 9 साल बाद प्रमोशन देने का रास्ता साफ कर दिया है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई।

सरकार के इस फैसले से जहां करीब 4 लाख कर्मचारियों-अधिकारियों को सीधा फायदा होगा।

वहीं लगभग 2 लाख रिक्त पदों पर भर्ती की संभावनाएं भी खुलेंगी।

बैठक के बाद मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि सरकार ने प्रमोशन से संबंधित फार्मूला तैयार कर लिया है।

जिसमें आरक्षण, वरिष्ठता और विधिक जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए सभी पहलुओं को संतुलित किया गया है।

साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया है कि इस प्रक्रिया से सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

सीएम ने ट्वीट कर दी प्रमोशन की जानकारी

साल 2016 से बंद थी प्रमोशन प्रक्रिया

मध्यप्रदेश में वर्ष 2016 से सरकारी कर्मचारियों की प्रमोशन प्रक्रिया ठप पड़ी थी।

इसका कारण था पदोन्नति में आरक्षण को लेकर मप्र हाईकोर्ट का फैसला।

साल 2002 में तत्कालीन सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण का नियम लागू किया था।

जिसके तहत आरक्षित वर्ग के कर्मचारी आगे बढ़ते रहे, लेकिन अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी पिछड़ते गए।

इससे नाराज कुछ कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियम को चुनौती दी।

अप्रैल 2016 में कोर्ट ने मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 को खारिज कर दिया।

इसके बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची और वहां से यथास्थिति बनाए रखने का आदेश मिला, जिसके चलते प्रमोशन पर रोक लग गई।

नई प्रक्रिया के तहत होगी पदोन्नति

अब 9 साल बाद सरकार ने प्रमोशन की नई प्रक्रिया और नियम तय कर दिए हैं।

सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने इस संबंध में विस्तृत फॉर्मूला तैयार किया, जिसे मुख्यमंत्री मोहन यादव को दो बार प्रेजेंटेशन के जरिए बताया गया।

इसके बाद सपाक्स और अजाक्स के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में मुख्य सचिव अनुराग जैन ने भी मंत्रियों को इसकी जानकारी दी।

सरकार द्वारा तैयार इस फॉर्मूले में अग्रिम डीपीसी (DPC) यानी पूर्व प्रमोशन प्रक्रिया, रिव्यू डीपीसी की व्यवस्था, वरिष्ठता का ध्यान, उपयोगिता के आधार पर प्रमोशन और अपात्रता की स्पष्ट परिभाषा जैसे प्रावधान शामिल किए गए हैं।

प्रमोशन में आरक्षित वर्ग की हिस्सेदारी को भी बरकरार रखा गया है।

जून में ही होगी पहली डीपीसी

सरकार की योजना है कि जीएडी द्वारा आदेश जारी होते ही जून माह में पहली डीपीसी आयोजित की जाए।

इसके बाद सितंबर-अक्टूबर में दूसरी डीपीसी की योजना है।

मंत्रालय सूत्रों के अनुसार, सरकार नहीं चाहती कि इस प्रक्रिया में अनावश्यक देरी हो, क्योंकि ऐसा होने पर कर्मचारी वर्ग में असंतोष बढ़ सकता है।

सरकार इस मुद्दे को आगामी निकाय और पंचायत चुनाव से पहले निपटाना चाहती है।

कोर्ट में जाने की भी तैयारी

हालांकि सरकार ने प्रमोशन के रास्ते खोल दिए हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में यह मामला अब भी विचाराधीन है।

ऐसे में संभावना है कि इस फैसले को लेकर कुछ कर्मचारी और संगठन फिर से कोर्ट का रुख करें। इस स्थिति के लिए सरकार पहले से तैयार है।

सूत्रों के मुताबिक, सरकार कोर्ट से यह पूछेगी कि किस नियम के तहत प्रमोशन प्रक्रिया लागू की जाए और कानूनी स्पष्टता मांगेगी। स

रकार का तर्क है कि वह कर्मचारियों की उम्मीदों के साथ न्याय करना चाहती है, इसलिए उसने बीच का रास्ता निकाला है।

रिटायर हो चुके कर्मचारियों का क्या?

एक बड़ी चिंता यह भी है कि 2016 से अब तक करीब एक लाख से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी प्रमोशन के बिना ही रिटायर हो चुके हैं।

इन कर्मचारियों को समयमान वेतनमान या क्रमोन्नति के जरिए कुछ वित्तीय लाभ जरूर दिए गए, लेकिन उन्हें पदोन्नति का दर्जा और सम्मान नहीं मिल पाया।

कैबिनेट के इस फैसले में उनके लिए फिलहाल कोई प्रावधान नहीं किया गया है।

राज्य के विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है।

लेकिन, साथ ही यह भी मांग की है कि रिटायर हो चुके कर्मचारियों को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जाए या उन्हें विशेष लाभ दिया जाए।

संगठनों का कहना है कि यह फैसला बहुत पहले आ जाना चाहिए था, जिससे कर्मचारियों को समय रहते लाभ मिल पाता।

 

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