MP Congress Fund Bias: भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर राज्य में विधायकों को आवंटित सरकारी फंड में भेदभाव का आरोप लगाया है। पटवारी ने अपने पत्र में कहा कि सरकार पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाकर कांग्रेस विधायकों के क्षेत्रों में विकास निधि के आवंटन में कटौती कर रही है। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ बताते हुए सीएम से इस अन्यायपूर्ण नीति को तत्काल समाप्त करने की मांग की है।
सरकार पर पक्षपाती राजनीति का आरोप
जीतू पटवारी ने अपने पत्र में लिखा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद मोहन यादव ने निष्पक्ष और समान भाव से सभी नागरिकों की सेवा करने का वचन दिया था, लेकिन वर्तमान में उनकी सरकार पक्षपातपूर्ण राजनीति कर रही है। कांग्रेस विधायकों के क्षेत्रों में भी वहीं जनता निवास करती है, जो सरकार को कर चुकाती है और उन्हें भी विकास योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए। यदि एक लोकतांत्रिक सरकार ही भेदभाव करने लगे, तो जनता का विश्वास व्यवस्था से उठ जाएगा।
विधायक निधि का 40% कमीशन में जाता है
पटवारी ने पत्र में सरकारी फंड के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि नौकरशाही और ठेकेदारी के स्तर पर व्यापक भ्रष्टाचार व्याप्त है। यदि मोटे तौर पर देखा जाए तो एक लाख रुपए में से 65 से 70 हजार रुपए भ्रष्टाचार और कमीशन में चले जाते हैं और केवल 30-35% राशि ही वास्तविक विकास कार्यों में खर्च होती है। पटवारी ने आरोप लगाया कि बीजेपी विधायकों की निधि का भी 40% हिस्सा कमीशन में चला जाता है, जिससे राज्य की छवि एक भ्रष्ट प्रदेश के रूप में बन रही है।
पीसीसी चीफ सीएम से रखी 3 प्रमुख मांगें
- सभी विधायकों को समान रूप से 15 करोड़ रुपए की विकास निधि प्रदान की जाए, ताकि किसी भी क्षेत्र के साथ भेदभाव न हो।
- निधि के आवंटन और व्यय की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए, जिससे भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी पर रोक लगाई जा सके।
- कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों और ठेकेदारों की निष्पक्ष जांच कर कठोर कार्रवाई की जाए।
“सबका साथ, सबका विकास” की नीति अपनाने की अपील
जीतू पटवारी ने कहा कि जनता ने विधायकों को उनके क्षेत्र के विकास के लिए चुना है, न कि भेदभाव और भ्रष्टाचार सहने के लिए। यदि सरकार वास्तव में “सबका साथ, सबका विकास” की नीति में विश्वास रखती है, तो इस अन्यायपूर्ण रवैये को तत्काल समाप्त किया जाना चाहिए। उन्होंने सीएम से आग्रह किया कि वे अपनी संकीर्ण मानसिकता से ऊपर उठकर निष्पक्ष रूप से विकास कार्यों के लिए निधि वितरित करें।
फिलहाल, मध्य प्रदेश में विधायकों को मिलने वाली सरकारी निधि को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच नया विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस जहां इसे भेदभाव और भ्रष्टाचार से जोड़ रही और इसे सरकार की विफलता करार दे रही है, वहीं बीजेपी नेताओं ने इन आरोपों को निराधार बताया है। पीसीसी चीफ के आरोप पर मोहन कैबिनेट में मंत्री कृष्णा गौर ने पलटवार करते हुए कहा कि भेदभाव करने का चरित्र कांग्रेस का है, साथ ही उन्होंने कांग्रेस को उनकी सरकार के 15 महीनों का वक्त भी याद दिलाया।
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