Delhi HC Judge Yashwant Verma

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जस्टिस यशवंत वर्मा का तबादला, दिल्ली HC जज के सरकारी आवास पर 15 करोड़ कैश मिलने के बाद उठे सवाल

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Delhi HC Judge Yashwant Verma: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाई कोर्ट में करने की सिफारिश की है। यह सिफारिश उस समय आई जब उनके सरकारी आवास में आग लगने के बाद वहां भारी मात्रा में नकदी मिलने की खबर सामने आई। इस घटना के बाद न्यायपालिका की छवि को लेकर सवाल उठ रहे हैं और उनके खिलाफ जांच या महाभियोग की प्रक्रिया पर भी चर्चा हो रही है।

घर में मिला कैश, आग ने खोला राज

होली की छुट्टियों के दौरान जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी बंगले में आग लग गई थी। उस समय वे शहर से बाहर थे और उनके परिवार ने ही फायर ब्रिगेड को इसकी सूचना दी। जब दमकल विभाग और पुलिस की टीम आग बुझाने पहुंची, तो बंगले के अंदर से 15 करोड़ रुपये कैश बरामद हुआ।

पुलिस ने इस नकदी का रिकॉर्ड दर्ज किया और इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को दी गई। इसके बाद कॉलेजियम ने एक इमरजेंसी बैठक बुलाई, जिसमें जस्टिस वर्मा के तबादले की सिफारिश की गई। हालांकि, कुछ वरिष्ठ न्यायाधीशों ने चिंता जताई कि केवल स्थानांतरण से न्यायपालिका की छवि को नुकसान पहुंचेगा, इसलिए उनके खिलाफ जांच और महाभियोग की प्रक्रिया पर भी विचार किया जा रहा है।

कौन हैं जस्टिस यशवंत वर्मा?

जस्टिस यशवंत वर्मा का जन्म 6 जनवरी 1969 को हुआ था। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से बीकॉम (ऑनर्स) किया और फिर 1992 में रीवा यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने 8 अगस्त 1992 को वकील के रूप में पंजीकरण कराया और इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकालत शुरू की। वे मुख्य रूप से सिविल मामलों में विशेषज्ञता रखते थे और संवैधानिक, औद्योगिक विवाद, कॉरपोरेट, टैक्सेशन और पर्यावरण से जुड़े मामलों की पैरवी करते थे।

2006 में उन्हें हाई कोर्ट का विशेष वकील नियुक्त किया गया और 2012 में उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता बने। अगस्त 2013 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा मिला। 13 अक्टूबर 2014 को जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 1 फरवरी 2016 को उन्होंने स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। इसके बाद 11 अक्टूबर 2021 को उनका तबादला दिल्ली हाई कोर्ट में कर दिया गया। अब, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 20 मार्च 2025 को उनके दोबारा इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरण की सिफारिश की है।

जस्टिस यशवंत वर्मा के अहम फैसले

अपने कार्यकाल के दौरान जस्टिस यशवंत वर्मा ने कई महत्वपूर्ण फैसले दिए। मार्च 2024 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी द्वारा इनकम टैक्स पुनर्मूल्यांकन के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी थी। इसके अलावा, जनवरी 2023 में उन्होंने नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज़ ‘Trial by Fire’ पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इस मामले में रियल एस्टेट कारोबारी सुशील अंसल ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर फैसला सुनाते हुए उन्होंने कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखना जरूरी है, भले ही सरकारें और न्यायालय कुछ चीजों को प्रकाशित करने के पक्ष में न हों।

न्यायपालिका की निष्पक्षता पर उठ रहे सवाल

फिलहाल जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में नकदी मिलने की खबर के बाद न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे हैं। इस घटनाक्रम के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या जस्टिस वर्मा केवल स्थानांतरण पर ही रहेंगे या उनके खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई होगी। कॉलेजियम के कुछ सदस्यों ने सुझाव दिया है कि उनसे इस्तीफा मांगा जाना चाहिए। अगर वे इनकार करते हैं, तो संसद में उनके खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। बता दें कि भारत में किसी भी हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को हटाने की एक तय प्रक्रिया होती है। 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ गाइडलाइंस तय की थीं, जिनके अनुसार:

  • सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संबंधित जज से जवाब मांगते हैं।
  • यदि जवाब संतोषजनक नहीं होता, तो एक इंटरनल जांच कमेटी बनाई जाती है, जिसमें एक सुप्रीम कोर्ट जज और दो हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस होते हैं।
  • यदि जांच में जज दोषी पाए जाते हैं, तो चीफ जस्टिस उन्हें इस्तीफा देने के लिए कह सकते हैं।
  • यदि जज इस्तीफा देने से इनकार करते हैं, तो चीफ जस्टिस सरकार को उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश कर सकते हैं।

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