Abbas Ansari: उत्तर प्रदेश के मऊ से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के विधायक अब्बास अंसारी की विधायकी अब खत्म हो गई है।
साल 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान भड़काऊ भाषण देने के मामले में अब्बास अंसारी को दोषी करार दिया है।
मऊ की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा और तीन हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।
अधिकारियों को धमकी देने का आरोप
चर्चित बाहुबली और पूर्व सांसद मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी की विधायकी रद्द हो गई है।
3 मार्च 2022 को विधानसभा चुनाव के दौरान मऊ के पहाड़पुर मैदान में एक जनसभा में अब्बास अंसारी ने कथित तौर पर अधिकारियों को धमकी दी थी।
उन्होंने कहा था कि चुनाव के बाद अगर उनकी सरकार बनती है, तो वह अधिकारियों से ‘हिसाब’ लेंगे।
इस बयान को भड़काऊ और चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए तत्कालीन सब-इंस्पेक्टर गंगाराम बिंद ने मऊ कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई थी।
इन धाराओं में दर्ज हुआ था मामला
अब्बास अंसारी पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की 6 गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया था:
- धारा 153A: दो समुदायों में वैमनस्य फैलाना
- धारा 506: आपराधिक धमकी
- धारा 189: सरकारी सेवक को धमकाना
- धारा 171F: चुनाव में गलत प्रभाव डालना
- धारा 186: सरकारी कार्य में बाधा
- धारा 120B: आपराधिक साजिश
इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) डॉ. केपी सिंह की कोर्ट में हुई।
कोर्ट ने सह आरोपी मंसूर अंसारी को भी दोषी करार देते हुए 6 महीने की सजा और 1000 रुपये का जुर्माना सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार विधायकी रद्द
सुप्रीम कोर्ट के एक ऐतिहासिक निर्णय के तहत, अगर किसी सांसद या विधायक को किसी आपराधिक मामले में दो साल या उससे अधिक की सजा होती है, तो उसकी सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाती है।
पहले जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4) के तहत अपील का समय मिल जाता था, लेकिन अब यह प्रावधान खत्म कर दिया गया है।
विधानसभा अध्यक्ष अब्बास अंसारी की सदस्यता रद्द करने का आधिकारिक नोटिफिकेशन जल्द जारी करेंगे, जिसमें सदस्यता आज की तारीख से रद्द मानी जाएगी।
अपील की स्थिति में क्या होगा?
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह प्रावधान भी रखा है कि अगर दोषी ठहराया गया सांसद या विधायक उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट में अपील करता है और वहां से राहत मिलती है, तो उसकी सदस्यता स्वतः बहाल मानी जाएगी।
बहरहाल, अब्बास अंसारी की विधायकी खत्म होने से मऊ सदर सीट खाली हो गई है और उपचुनाव की संभावना बन गई है।
इस मामले का असर उत्तर प्रदेश की क्षेत्रीय राजनीति पर भी पड़ सकता है, खासकर सुभासपा और अंसारी परिवार की राजनीतिक पकड़ पर।
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