नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम के लिए काफी संख्या में लोग इकट्ठा हुए । इस दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे। इस
बलरामपुर से पीएम मोदी ने कहा कि जब भी हम अयोध्या में राम मंदिर की बात करेंगे, बलरामपुर रियासत (पूर्ववर्ती) के महाराजा पटेश्वरी प्रसाद सिंह साहब के योगदान का उल्लेख किया जाएगा।
साथ ही पीएम ने कहा कि बलरामपुर के लोग पारखी हैं, उन्होंने नानाजी देशमुख और अटल बिहारी वाजपेयी के रूप में 2 भारत रत्न दिए हैं।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जनरल बिपिन रावत जहां भी होंगे, आने वाले दिनों में वे भारत को नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ते देखेंगे।
गोरखपुर में सात दिसंबर को देश को बड़ा खाद का कारखाना व एम्स गोरखपुर समर्पित करने के चार दिन बाद पीएम मोदी पांच नदियों तथा नौ जनपदों को जोड़ने वाली इस राष्ट्रीय परियोजना का शुभांरभ किया जिसका काम 1971 में किया गया था, लेकिन इसको अंजाम तक लाने का काम उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने किया है।
बता दें कि यूपी के बहराइच, श्रावस्ती और बलरामपुर से होकर गोरखपुर तक जाने वाली 318 किलोमीटर लम्बी और करीब 9,800 करोड़ रुपए की लागत वाली सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना से 29 लाख के करीब किसानों को फायदा होगा। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने यह जानकारी दी थी।
इस परियोजना से 14 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि की सिंचाई के लिए सुनिश्चित पानी मिलेगा। जिससे पूर्वी उत्तर प्रदेश के 6200 से अधिक गांवों के लगभग 29 लाख किसान लाभान्वित होंगे। इससे किसान अब क्षेत्र की कृषि क्षमता को भी बढ़ाने में सक्षम होंगे। पीएम मोदी ने भगीरथ बनकर पूर्वांचल के नौ जिलों के 30 लाख किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाया है।
सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना की कुल लागत 9800 करोड़ रुपए है, जिसमें से पिछले चार वर्ष में 4600 करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान किया गया।
इस परियोजना में क्षेत्र के जल संसाधनों का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए पांच नदियों घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिणी को आपस में जोड़ा गया है।
इससे पूर्वी उत्तर प्रदेश के नौ जिले बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संत कबीर नगर, गोरखपुर और महाराजगंज के किसान लाभान्वित होंगे।
इस परियोजना के विलंबित होने से सर्वाधिक पीड़ित किसानों को बड़ा लाभ मिलेगा। उन्नत सिंचाई क्षमता से अत्यधिक लाभान्वित होंगे। इसके साथ अब बड़े पैमाने पर फसल उगाने और क्षेत्र की कृषि क्षमता को अधिकतम करने में सक्षम होंगे।
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