पंकज मुकाती (राजनीतिक विश्लेषक )
घोषणावीर.. शिवराज जिस तेज़ी से घोषणाएं करते हैं, उनका जोड़ करें तो पूरे देश का बजट कम पड़ जाए, आखिर जुबान हिलाने में कौन से पैसे लगते हैं …
जुबानी जमा खर्च में आगे, ऐसा जुमला बहुत बार सुना। बचपन से अब तक इस जुमले का उदाहरण तलाशते रहे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ये तलाश पूरी कर दी। 28 सीटों के उपचुनाव में वे इस जुबानी रूप में साक्षात दिखाई दे रहे हैं। अब जब भी ये जुमला याद आता है, शिवराज सिंह चौहान के हिलते हुए होंठ दिखाई देने लगते हैं। हर मंच पर एक नई घोषणा। यदि इनकी सारी घोषणा का जोड़ कर लें तो देश का कुल बजट भी कम पड़ जाए। वैसे भी बुजुर्ग कह गए हैं… जुबान हिलाने में कौन से पैसे लगते हैं।
अधिकमास का महीना चल रहा है। इस महीने में भगवान की कथा का महत्व है। पर मध्यप्रदेश में झूठ कथा के पांडाल लगे हैं। इस पर महाराज और शिवराज बैठकर कथा वाचन कर रहे हैं। झूठ की इस कथा में किसान कर्ज माफ़ी पुराण, बिजली बिल का झूठ महात्य, रोजगार के वादों का प्रसाद, पुरुषोत्तम होने का दिखावा, गद्दारी का पुण्यपाठ पढ़े जा रहे हैं।
हकीकत ये है कि किसान कर्ज माफ़ी पर कमलनाथ सरकार को झूठा बताने वाले शिवराज खुद एक्सपोज़ हो गए। सिंधिया और उनके समर्थकों ने भी अपनी गद्दारी का कारण किसानों का कर्ज माफ़ न होना बताया। पर विधानसभा में खुद भाजपा के कृषि मंत्री ने स्वीकारा कि नाथ सरकार ने किसानों का कर्ज माफ़ किया। कमलनाथ खुद मीडिया को 26 लाख किसानों की कर्ज माफ़ी की पूरी सूची पेन ड्राइव में सौंप चुके हैं।
बिजली बिल के झूठ भी अब सभाओं में झटके दे रहे हैं। कमलनाथ सरकार ने सौ यूनिट पर सौ रुपये बिजली बिल कर दिया था। ये सभी वर्गों के लिए था। खुद को जनता का लीडर बताने वाले शिवराज ने ये राहत बंद कर दी। अब जो बिजली बिल आ रहे हैं, वो एक महीने के राशन खर्च से भी ज्यादा है। लोग रोटी की जुगाड़ करें कि बिजली बिल की। शिवराज सिंह इस पर भी सफाई से झूठ बोल रहे हैं। पहला झूठ-हमने बिजली दरें नहीं बढ़ाई। दूसरा झूठ.. बिजली बिल रद्द होंगे, पर रद्द नहीं हुए। अफसरों ने मना कर दिया ऐसे किसी आदेश से। अधिक बिल अधिकमास में पाप का भागी बनाएंगे शिवराज जी।
बेरोजगारों को रोजगार देने का वादा सबसे बड़ा झूठ है। पूरा प्रदेश और देश अनलॉक हो चूका है। तमाम टेस्ट पास कर चुके हजारों युवा अपने नियुक्ति पत्र का इंतज़ार कर रहे हैं। उस पर सरकार कुछ नहीं बोल रही दूसरी तरफ शिवराज रोज घोषणा कर रहे हैं, सभी रिक्त पद भरे जायेंगे। भर्तियां खुलेगी। कितना झूठ जो चयनित हो चुके पहले उनको तो नियुक्त करिये। बेरोजगारों की बद्दुआ में बड़ा असर होता है।
कर्मवीर और घोषणावीर के बीच मुकाबला
उपचुनाव के प्रचार में भी कमलनाथ और शिवराज के मिज़ाज़ को देखा जा सकता है। शिवराज सिंह चौहान कलश यात्रा, घोषणएं और भूमिपूजन में लगे हैं। जबकि कमलनाथ जनता से सीधे पूछे रहे हैं क्या माफिया पर कार्रवाई करना गुनाह है, क्या जनता को शुद्ध दूध, मिठाई, खाद्य सामग्री देना गुनाह है। ऐसे में पहली बार जनता के बीच से भी आवाजें गूँज रहे हैं। लोग कई जगह नारे लगा रहे हैं-शिवराज जी ये घोषणा तो आपने पांच साल पहले भी की हैं।
इलायची … मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने पिछले कार्यकाल में कुल 5115 घोषणाएं की। इनमे से सिर्फ 1838 पूरी हुई (इसमें से भी आधी पर सिर्फ काम शुरू हुआ) अब वे फिर नई घोषणाओं के साथ मैदान में हैं। इन्हे देखते हुए प्रदेश में एक घोषणा मंत्रालय बनाये जाने की जरुरत है, ताकि शिवराज जी अपनी घोषणाएं भूल न जाएँ।सुना है शंखपुष्पी से याददाश्त दुरुस्त रहती है। जनता इसका सेवन करने लगे इसके पहले सरकार ही पिले तो बेहतर है। याद रहेगा न।
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