मध्यप्रदेश भाजपा लगातार अपने ही नेताओं की बगावत का सामना कर रही है, जिस सिंधिया के भरोसे पार्टी जीत के सपने देख रही थी उनके खिलाफ भाजपा और जनता कम गद्दार का नारा गूंज रहा है
भोपाल। मध्य्प्रदेश में 27 सीटों पर उपचुनाव होना है। इसमें से 18 सीटों पर भाजपा के चुनाव प्रभारी ही मैदान में जाने को तैयार नहीं। वरिष्ठ नेता सुहास भगत के सामने समीक्षा बैठक में कुछ विधायकों ने काम करने से ही मना कर दिया। ग्वालियर-चम्बल की 16 सीटों पर सिंधिया गद्दार गूंज रहा है। सांवेर में तुलसी सिलावट, अनूपपुर में बिसाहूलाल साहू, बदनावर में राजयवर्धन सिंह दत्तीगांव और गोविन्द राजपूत जैसे बड़े नेताओं को अपने इलाकों में भारी विरोध का सामना कर पड़ा रहा है।
अपने ही नेताओं की सिंधिया समर्थकों के खिलाफ बगावत से परेशान भाजपा को उपचुनाव जीतने के लिए इनामी योजना लानी पड़ रही है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को भी लग गया है कि जीत बेहद मुश्किल है। पार्टी के संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने बदहवार को मंत्रियों को कहा कि चुनाव जिताओ तो पुरस्कार मिलेगा, वरना माइनस मार्किंग होगी। संतोष ये भूल गए कि आधे से ज्यादा मंत्री तो खुद चुनाव लड़ रहे हैं, और उनके खिलाफ ही माहौल है। राजनीतिक हलकों में अनुशासित पार्टी के इस इनामी योजना को बड़ी हार के तौर पर देखा जा रहा है।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने प्रदेश में होने वाले 27 उप चुनाव की तैयारियों के लिए भाजपा नेताओं को बुधवार दिन भर जीत के कई मंत्र दिए। इस बीच उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा की मौजूदगी में मंत्रियों को चेताया कि उनके क्षेत्र में हर हाल में पार्टी की जीत सुनिश्चित होनी चाहिए।
हार और जीत दोनों पर मंत्रियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी। यदि हारे तो माइनस मार्किंग होगी और जीते तो पुरस्कार मिलेगा। पार्टी के संगठन महामंत्री का पूरा फोकस उपचुनावों पररहा। मुख्यमंत्री चौहान, प्रदेश अध्यक्ष शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत के अलावा उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती से भी लंबी बातचीत की। भारती से उनकी मुलाकात करीब 45 मिनट तक चली। पार्टी उमा भारती की कट्टरवादी छवि को उपचुनावों में भुनाना चाहती है खास तौर पर बुंदेलखंड के बड़ा मलहरा रायसेन जिले की सांची सीट के अलावा उमा भारती को चंबल और मालवा में भी घुमाया जाएगा।
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नाराज नेताओं को मनाने की कोशिश
पार्टी से नाराज चल रहे तीन नेताओं पूर्व मंत्री गौरीशंकर शेजवार, जय भान सिंह पवैया और लाल सिंह आर्य ने भी संतोष के सामने अपना पक्ष रखा। पवैया कोरारी 2018 का विधानसभा चुनाव हारे हैं और इन से जीते नेता भाजपा में आ गए हैं। वहीं शेजवार के बेटे को मौजूदा मंत्री प्रभु राम चौधरी ने चुनाव हराया था। संतोष ने पार्टी की अलग-अलग बैठक ली इसमें उन्होंने कहा कि हमारे कार्यकर्ता का पसीना सभी 27 विधानसभा सीटों पर हमारी जीत को सुनिश्चित करेगा।
शिवराज पहले ही जता चुके हार की आशंका
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अनुपपुर में अपने ही पूर्व विधायक की नाराजगी का सामना करना पड़ा था। संगठन महामंत्री सुहास भगत के साथ हुई फीडबैक बैठक में शिवराज सिंह चौहान को ये तक कहना पड़ा था कि काम करो, यदि सरकार चली गई तो सारा रुतबा मिट जाएगा। शिवराज के इस बयान के साफ़ मायने है कि जीत बेहद मुश्किल है
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