#politicswala report
-हाईकोर्ट ने कहा यह महिलाओं की गरिमा के मौलिक अधिकारों का हनन,
-चरित्र शंका पर पति ने लगाई थी याचिका
-हाईकोर्ट ने कहा पति खुद अपना मेडिकल टेस्ट करवा ले
-सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया हवाला
High Court’s decision on virginity test-बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में पति-पत्नी के आपसी झगड़ों का एक हमभीर मामला सामने आया है। पति पत्नी ने एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए। पति ने पत्नी पर चरित्र शंका तो वहीं, पत्नी ने अपने पति पर नपुंसक होने का आरोप लगाया। जिसके बाद पति ने पत्नी की वर्जिनिटी टेस्ट की मांग की और मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने महिलाओं की वर्जिनिटी टेस्ट की मांग वाली याचिका को असंवैधानिक मानकर खारिज कर दिया है। जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह की मांग करना न केवल महिलाओं की गरिमा के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
इस मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि, वर्जिनिटी टेस्ट असंवैधानिक है और महिला की गरिमा के अधिकारों का हनन है। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर पति खुद पर लगे आरोपों को गलत साबित करना चाहता है, तो वह खुद का मेडिकल परीक्षण करा सकता है। लेकिन पत्नी पर ऐसा आरोप थोपना अवैधानिक है।
ऐसा है पूरा मामला
रायगढ़ जिले के रहने वाले एक युवक की शादी 30 अप्रैल 2023 को हिंदू रीति रिवाज से हुई थी। विवाह के कुछ दिनों तक पति-पत्नी के बीच संबंध ठीक रहा। लेकिन, कुछ महीने बाद ही पति-पत्नी के बीच विवाद शुरू हो गया। जिसके बाद पति-पत्नी अलग रहने लगे।
भरण-पोषण के लिए पत्नी पहुंची फैमिली कोर्ट
इस बीच पत्नी ने रायगढ़ के फैमिली कोर्ट में जुलाई 2024 में परिवाद प्रस्तुत की, जिसमें उसने भरण-पोषण के लिए 20 हजार रुपए प्रतिमाह अंतरिम भरण-पोषण की मांग की। पत्नी ने आरोप लगाया कि उसका पति नपुंसक है, जिसके कारण वह शारीरिक संबंध बनाने में सक्षम नहीं है। उसे और परिवार वालों को धोखे में रखकर शादी की गई है।
पति ने अपनी पत्नी के चरित्र पर लांछन लगाया। उसने कहा कि आरोप लगाया कि पत्नी का उसके बहनोई से अवैध संबंध है। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद फैमिली कोर्ट ने पति की दलील को खारिज कर दिया। साथ ही उसे अपनी पत्नी को भरण-पोषण राशि देने का आदेश दिया।
पति ने की हाईकोर्ट में अपील
फ़ेमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में अपील की। उसने अपनी पत्नी पर उसके बहनाई से अवैध संबंध का आरोप लगाया है। पत्नी ने उस पर नपुंसक होने का आरोप लगाया है। नपुंसक बताने पर पति ने अपनी पत्नी की वर्जिनिटी टेस्ट कराने की मांग कर दी।
इस मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि, वर्जिनिटी टेस्ट असंवैधानिक है और महिला की गरिमा के अधिकारों का हनन है।
हाईकोर्ट ने कहा कि अगर पति खुद पर लगे आरोपों को गलत साबित करना चाहता है, तो वह खुद का मेडिकल परीक्षण करा सकता है। लेकिन पत्नी पर ऐसा आरोप थोपना अवैधानिक है।
हाईकोर्ट ने कहा- मौलिक अधिकार की रक्षा सर्वोपरि
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में फैमिली कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए पति की पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही कहा है कि पत्नी की मौलिक अधिकारों की रक्षा करना सर्वोपरि है। कोर्ट ने दोहराया कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गरिमा संविधान द्वारा संरक्षित अधिकार हैं, जिन्हें छीना नहीं जा सकता।
संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के खिलाफ है। हाईकोर्ट ने इस केस में फैमिली कोर्ट के आदेश को भी सही ठहराया है।
You may also like
-
फिर साथ आ सकते हैं राज और उद्धव ठाकरे, बस एक कसम की बात है
-
केंद्रीय मंत्री का NDA से मोह भंग! जानें चिराग ने क्यों कहा मैं केंद्र की राजनीति में नहीं रहना चाहता?
-
‘रोहित वेमुला एक्ट’ लागू करेगा कर्नाटक- सिद्धारमैया
-
One Party One Election: भाजपा संगठन में बड़ा बदलाव, अब एक साथ होंगे मंडल से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक चुनाव !
-
दिल्ली के सामने झुकेगा नहीं, स्टालिन का शाह पर निशाना बोले- हम कंट्रोल से बाहर