Trump Zelensky Meeting: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की सोमवार को वॉशिंगटन में मिलेंगे।
यह बैठक रूस-यूक्रेन जंग को रोकने की कोशिशों का अहम पड़ाव मानी जा रही है।
इस मुलाकात की खासियत यह है कि इसमें यूरोपीय यूनियन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन, नाटो महासचिव मार्क रूटे शामिल रहेंगे।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्त्ज, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी भी शामिल रहेंगे।
यह ट्रंप और जेलेंस्की की 7 महीने में तीसरी बैठक होगी। पिछली मुलाकात में दोनों नेताओं के बीच तीखी बहस हो गई थी।
उस समय ट्रम्प ने जेलेंस्की से नाराजगी जताते हुए कहा था कि वे अमेरिकी मदद को लेकर आभारी नहीं हैं।
इसी टकराव के चलते अमेरिका-यूक्रेन के बीच मिनरल डील भी अधर में लटक गई थी।
माना जा रहा है कि इस बार यूरोपीय नेताओं की मौजूदगी इसी कारण रखी गई है, ताकि किसी प्रकार का विवाद बैठक को असफल न कर दे।
ट्रंप-पुतिन की बेनतीजा मुलाकात से बढ़ी उम्मीद
तीन दिन पहले ही ट्रम्प ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से मुलाकात की थी।
करीब तीन घंटे चली इस बैठक के बाद भी कोई ठोस समझौता नहीं हो सका।
ट्रंप पहले से ही मानते रहे हैं कि जंग रोकने का रास्ता “जमीन की अदला-बदली” से निकल सकता है।
यानी यूक्रेन को अपने कुछ इलाके रूस को सौंपने पड़ सकते हैं।
यही कारण है कि वॉशिंगटन में आज की वार्ता और भी अहम हो गई है।
ये है जेलेंस्की की तीन प्रमुख मांगें
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की इस मीटिंग में तीन अहम मुद्दों पर फोकस करने वाले हैं:
1. रूस की ओर से आम नागरिकों की हत्याएं बंद हों।
2. रूस पर और कड़े आर्थिक और राजनीतिक प्रतिबंध लगाए जाएं।
3. किसी भी शांति समझौते से पहले स्थायी सीजफायर लागू हो और यूक्रेन को ठोस सुरक्षा गारंटी दी जाए।
जेलेंस्की बार-बार यह साफ कर चुके हैं कि उनकी प्राथमिकता यूक्रेन की संप्रभुता और सुरक्षा है। वे बिना शर्त युद्धविराम चाहते हैं और किसी भी कीमत पर अपनी जमीन रूस को सौंपने के पक्ष में नहीं हैं।
रूस का रुख: कब्जा छोड़े बिना शांति असंभव
रूस फिलहाल यूक्रेन के करीब 20% हिस्से पर कब्जा जमाए हुए है।
इसमें क्रीमिया, डोनेट्स्क, लुहांस्क, खेरसॉन और जापोरिज्जिया जैसे रणनीतिक और संसाधन-समृद्ध इलाके शामिल हैं।
पुतिन का साफ कहना है कि इन इलाकों को रूस अपनी ऐतिहासिक धरोहर मानता है और इन्हें छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता।
उन्होंने शांति वार्ता की शर्त रखते हुए कहा है कि यूक्रेन को इन इलाकों पर अपना दावा छोड़ना होगा।
साथ ही, रूस का एक और बड़ा दबाव यह है कि यूक्रेन नाटो में शामिल होने की कोशिश हमेशा के लिए छोड़ दे।
पुतिन इसे अपनी “रेड लाइन” मानते हैं और पश्चिमी गठबंधन को पूर्व की ओर विस्तार न करने की चेतावनी दे चुके हैं।
जमीन की अदला-बदली पर अटके हालात
सूत्रों के मुताबिक, पुतिन ने हाल ही में ट्रम्प के सामने प्रस्ताव रखा था कि यूक्रेन डोनेट्स्क क्षेत्र का कुछ हिस्सा छोड़ दे।
अगर ऐसा होता है तो रूस खेरसॉन और जापोरिज्जिया में अपने मोर्चे को स्थिर कर देगा और आगे नए हमले नहीं करेगा।
हालांकि, यह प्रस्ताव यूक्रेन को किसी भी रूप में मंजूर नहीं है।
डोनेट्स्क, जो कोयला खदानों और हैवी इंडस्ट्री का केंद्र है, यूक्रेन की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम है।
वहीं खेरसॉन और जापोरिज्जिया रूस के लिए सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये क्रीमिया को रूस से जोड़ते हैं।
ट्रंप का नया बयान और अमेरिकी दूत का दावा
ट्रम्प ने सोमवार को सोशल मीडिया पर लिखा कि यूक्रेन नाटो में शामिल नहीं होगा और क्रीमिया भी वापस नहीं मिलेगा।
उन्होंने कहा कि अगर जेलेंस्की चाहें तो युद्ध तुरंत खत्म हो सकता है।
इस बीच, ट्रम्प के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने दावा किया है कि पुतिन यूक्रेन को नाटो जैसी सुरक्षा गारंटी देने पर तैयार हो गए हैं।
नीजि चैनल को दिए इंटरव्यू में विटकॉफ ने बताया कि अलास्का में हुई बातचीत में अमेरिका और यूरोप की ओर से यूक्रेन को “आर्टिकल-5 जैसी सुरक्षा व्यवस्था” देने पर सहमति बनी है।
इसका मतलब है कि अगर यूक्रेन पर हमला होता है, तो पश्चिमी देश उसकी रक्षा करेंगे।
यूरोप का स्टैंड- यूक्रेन की सुरक्षा पहले
जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे यूरोपीय देश रूस की शर्तों के खिलाफ खड़े हैं।
उनका कहना है कि यूक्रेन की संप्रभुता और सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता।
वे चाहते हैं कि शांति समझौते में सुरक्षा गारंटी को प्राथमिकता मिले।
यूरोपीय नेताओं का मानना है कि अगर यूक्रेन की भागीदारी और सुरक्षा को दरकिनार कर कोई सौदा किया गया तो यह शांति स्थायी नहीं होगी।
जेलेंस्की का आभार और चेतावनी
वॉशिंगटन पहुंचने के बाद जेलेंस्की ने अमेरिका द्वारा सुरक्षा गारंटी देने के वादे पर आभार जताया।
उन्होंने इसे ऐतिहासिक फैसला बताया लेकिन साथ ही यह चेतावनी भी दी कि गारंटी सिर्फ कागजों पर न रह जाए।
उन्होंने यूरोपीय देशों से एकजुट होकर जिम्मेदारी निभाने की अपील की।
जेलेंस्की ने कहा कि 2022 में युद्ध शुरू होने पर यूरोप ने एकजुट होकर सहयोग दिया थ, और अब भी वही मजबूती दिखाने की जरूरत है।
उनके मुताबिक, असली शांति तभी संभव है जब यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता बरकरार रहे।
क्या निकलेगा बैठक का नतीजा?
आज की बैठक का नतीजा दुनिया की नजरों में बेहद अहम होगा।
एक ओर ट्रंप और पुतिन “जमीन की अदला-बदली” के फॉर्मूले पर जोर दे रहे हैं, तो दूसरी ओर जेलेंस्की और यूरोपीय नेता इसे यूक्रेन की संप्रभुता पर हमला मानते हैं।
स्पष्ट है कि जंग खत्म करने के लिए समझौते की राह अभी भी कठिन और विवादों से भरी है।
फिर भी वॉशिंगटन में होने वाली यह बहुपक्षीय बैठक रूस-यूक्रेन संघर्ष को थामने की दिशा में अब तक की सबसे बड़ी कूटनीतिक कोशिशों में से एक है।
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