US Halts Reciprocal Tariffs: लगता है अमेरिका के राष्ट्रपति कन्फ्यूज़्ड हो गए हैं, जैसे को तैसा टैरिफ लगाने के अपने फैसले को उन्होंने एक बार फिर से बदल दिया है।
डोनाल्ड ट्रंप ने 75 से ज्यादा देशों पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ को 90 दिनों के लिए रोक दिया है। हालांकि अमेरिका ने चीन को कोई राहत नहीं दी है, उलटा टैरिफ को 104% से बढ़ाकर 125% कर दिया है।
ट्रेड वॉर की आशंका के कारण बैकफुट पर ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा फैसला लेते हुए 75 से ज्यादा देशों पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ को 90 दिनों के लिए रोक दिया है।
अमेरिका ट्रेड वॉर की आशंका के कारण बैकफुट पर आ गया है। इस फैसले के तहत इन देशों के लिए आयात शुल्क (टैरिफ) में अस्थायी राहत दी गई है, जिससे अमेरिका नए व्यापार समझौतों की दिशा में आगे बढ़ सके।
ट्रंप के मुताबिक, जिन देशों ने अमेरिका से संवाद के लिए कदम बढ़ाए हैं और टैरिफ के जवाब में कोई आक्रामक कदम नहीं उठाया है, उनके साथ अमेरिका व्यापारिक समझौतों के लिए बातचीत को तैयार है। इसी कारण उन्होंने 90 दिनों का “टैरिफ पॉज” घोषित किया है।
बातचीत के इच्छुक देशों के लिए घटेगी टैरिफ दर
अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि बातचीत के इच्छुक देशों के लिए टैरिफ दर को घटाकर 10% कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि पहले कनाडा और मैक्सिको के कुछ उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाया जाता था, अब उन्हें भी बेसलाइन टैरिफ की श्रेणी में शामिल किया गया है।
हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि यूरोपीय यूनियन (EU) इस श्रेणी में आता है या नहीं। दरअसल, EU के 26 देशों ने 9 अप्रैल को अमेरिका के सामानों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जो 15 अप्रैल से लागू हो जाएगा।
75 देशों को राहत पर चीन पर फिर बढ़ा टैरिफ
एक तरफ तो अमेरिका ने 75 से ज्यादा देशों को राहत दी है, लेकिन दूसरी तरफ चीन पर टैरिफ और बढ़ा दिया है। डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आने वाले उत्पादों पर टैरिफ को 104% से बढ़ाकर 125% कर दिया है।
यह फैसला चीन की ओर से अमेरिकी सामान पर टैरिफ बढ़ाकर 84% करने के जवाब में लिया गया है।
ये खबर भी पढ़ें – ट्रंप के 104% टैरिफ पर चीन का करारा जवाब, कल से अमेरिका पर लागू होगा 84% टैरिफ
इसके पीछे ट्रंप का तर्क है कि चीन ने ग्लोबल मार्केट के लिए सम्मान नहीं दिखाया है, इसलिए अब उन्हें इसका असर महसूस होगा। अमेरिका और अन्य देशों को लूटने के दिन अब खत्म हो चुके हैं।
बता दें टैरिफ बढ़ने से चीन में बना 100 डॉलर का कोई उत्पाद अब अमेरिका में जाकर 225 डॉलर में बिकेगा। इससे अमेरिकी बाजार में चीनी सामान की कीमत बढ़ेगी और बिक्री में गिरावट आएगी।
ट्रंप पर राजनीतिक और आर्थिक दोनों स्तर पर दबाव
टैरिफ पॉलिसी को लेकर ट्रंप पर राजनीतिक और आर्थिक दोनों ही स्तर पर दबाव बढ़ता जा रहा था। वॉल स्ट्रीट के बड़े बैंक, आर्थिक सलाहकार, यहां तक खुद ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के कई प्रमुख नेता टैरिफ के खिलाफ थे। इसके अलावा एलन मस्क जैसे कारोबारी भी ट्रंप को टैरिफ वॉर रोकने की सलाह दे चुके थे।
दूसरी ओर जहां एक दिन पहले टैरिफ वॉर से घबराए दुनियाभर के बाजार 4% तक गिर गए थे। वहीं, टैरिफ विराम की घोषणा के कुछ घंटों बाद ही अमेरिकी शेयर बाजार में 3.1 लाख करोड़ डॉलर की रिकवरी देखी गई।
डॉऊ जोंस 2,600 अंक (7.1%) से ज्यादा उछला, S&P 500 में 9.5% और नैस्डैक में 1536 अंक (10.3%) की वृद्धि हुई। टेस्ला, एप्पल और एनवीडिया जैसी कंपनियों के शेयरों में भी जबरदस्त बढ़त देखी गई।
टैरिफ वॉर में अमेरिका को भी हो रहा नुकसान
डोनाल्ड ट्रंप का यह यू-टर्न इस बात की ओर इशारा करता है कि टैरिफ वॉर में अमेरिका को भी नुकसान हो रहा था। हालांकि चीन के खिलाफ कड़ा रुख बरकरार रखते हुए बाकी देशों के लिए नरमी दिखाना अमेरिका की दोहरी नीति को उजागर करता है।
इधर चीन ने भी अमेरिकी टैरिफ का जवाब देने के लिए कमर कस ली है। उसने इंडस्ट्रियल सेक्टर के लिए 1.9 लाख करोड़ डॉलर का अतिरिक्त कर्ज देने की घोषणा की है। इसका उद्देश्य फैक्ट्रियों के निर्माण और अपग्रेडेशन को तेज करना है।
चीन के पास अमेरिका के करीब 760 अरब डॉलर के सरकारी बॉन्ड भी हैं, जिससे वह अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डाल सकता है। ऐसे में टैरिफ वॉर का असर दोनों देशों की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ वैश्विक बाजार पर भी स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है।
अब देखना यह होगा कि आने वाले 90 दिनों में अमेरिका किन देशों से नए व्यापार समझौते कर पाता है और क्या अमेरिका चीन के बीच तनाव बढ़ेगा या दोनों देश समझौते पर आएंगे।
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